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तृतीय गोधूली परिवार कैंप, ऋषिकेश - 1 से 5 दिसंबर 2023 - (शिविर स्थल तक कैसे पहुंचे?)

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गोधूलि परिवार पांच दिवसीय  तृतीय गोधूली परिवार ऋषिकेश कैंप तृतीय गोधूली पांच दिवसीय पारिवारिक शिविर (दिसंबर 2023) ******************************************* पिछले शिविर की सुखद स्मृतियाँ : गोधूली परिवार द्वितीय ऋषिकेश कैंप (10 - 13 नवंबर 2022) / Glimpse of Previous Gaudhuli Parivaar Rishikesh Camp (10-13 Nov 2022) https://gaudhuli.com/rishikeshcamp2022/ *************************************************   शिविर स्थल तक कैसे पहुंचे? जानकारी केवल पंजीकृत परिवारो के लिए यदि आपने पंजीकरण नहीं करवाया है और फिर भी आप शिविर में आना चाहते है तो किसी धर्मशाला, होटल, आश्रम या अन्य स्थान पर स्वयं की रुकने की व्यवस्था करके भी शिविर में न्यूनतम सहयोग राशि देकर भाग ले सकते है। यदि किसी कारणवश शिविर स्थल आश्रम में रहने का स्थान उपलब्ध होगा तो ही आपको देने का प्रयास किया जाएगा। ************* ट्रेन से कैसे पहुंचे? *************** अधिकांश ट्रेन आपको हरिद्वार तक मिलेगी एवं कुछ ही ट्रैन ऋषिकेश तक आती है अधिकांश लोग हरिद्वार उतरकर टैक्सी या ऑटो से ऋषिकेश तक जाते है। हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी

दीपावली – सभ्यता का त्योहार

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  लेख - श्री आशीष कुमार गुप्ता ( संस्थापक - जीविका आश्रम, जबलपुर) ढेरों जानकारियाँ होने के बाद भी इस बात का पूरा अहसास गाँव में रहकर ही हो पाया, कि कैसे दीपावली जैसे ढेरों त्योहार किसी धर्म, पन्थ, आदि के न होकर हमारी ‘सभ्यता’ के त्योहार रहे हैं। हमारी सभ्यता में ‘घर’ का मतलब ही ‘मिट्टी, लकड़ी, आदि से बना घर’ होता है, जो न केवल पूर्णतः प्राकृतिक सामग्री से बना होता है, बल्कि उसकी पूरी डिज़ाइन में कुछ ऐसे सिद्धान्तों का पालन होता है, जो उसमें रहने वालों को ‘आरोग्यप्रद’ रखने के साथ-साथ उनके ‘आर्थिक हितों की रक्षा’ भी करते हैं और साथ ही साथ उन्हें निरन्तर और भी अधिक ‘प्रकृति-प्रेमी’, ‘सामाजिक’ और ‘आध्यात्मिक’ होने की दिशा में अग्रसर करता है। दशहरे तक बरसात के पूरी तरह खत्म होने के बाद मिट्टी के घर एक बार पूरी तरह से साफ-सफाई और थोड़ी-बहुत मरम्मत मांगते हैं। खपरैल / कबेलू की छतों से पानी गिरने के कारण जमीन की मिट्टी से सने पानी के छीटें जहाँ – तहाँ दीवार को थोड़ा – बहुत मटमैला कर देते हैं। तेज हवा के साथ होने वाली बारिश भी मिट्टी की दीवारों की बाहरी सतह को थोड़ा-बहुत नुकसान पहुँचाती है। बरसात के

निब वाला पेन - भूली हुइ यादें

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जब हम स्कूल में पढ़ते थे उस स्कूली दौर में निब पैन का चलन जोरों पर था..! तब कैमलिन की स्याही प्रायः हर घर में मिल ही जाती थी, कोई कोई टिकिया से स्याही बनाकर भी उपयोग करते थे और बुक स्टाल पर शीशी में स्याही भर कर रखी होती थी 5 पैसा दो और ड्रापर से खुद ही डाल लो ये भी सिस्टम था ...जिन्होंने भी पैन में स्याही डाली होगी वो ड्रॉपर के महत्व से  भली भांति परिचित होंगे !  कुछ लोग ड्रापर का उपयोग कान में तेल डालने में भी करते थे... महीने में दो-तीन बार निब पैन को खोलकर उसे गरम पानी में डालकर उसकी सर्विसिंग भी की जाती थी और  लगभग सभी को लगता था की निब को उल्टा कर के लिखने से हैंडराइटिंग बड़ी सुन्दर बनती है।  सामने के जेब मे पेन टांगते थे और कभी कभी स्याही लीक होकर सामने शर्ट नीली कर देती थी जिसे हम लोग सामान्य भाषा मे पेन का पोंक देना कहते थे...पोंकना अर्थात लूज मोशन... हर क्लास में एक ऐसा एक्सपर्ट होता था जो पैन ठीक से नहीं चलने पर ब्लेड लेकर निब के बीच वाले हिस्से में बारिकी से कचरा निकालने का दावा  कर लेता था !! नीचे के हड्डा को घिस कर परफेक्ट करना भी एक आर्ट था ! हाथ से निब नहीं निकलती थी तो

गर्भनाल देर से क्यों काटनी चाहिए? Why Umbilical Cord Clamping should be delayed after birth?

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गर्भनाल देर से क्यों काटनी चाहिए? यह विषय शायद अधिकतर लोगो के लिए नया है परन्तु वास्तव में बहुत प्राचीन और महत्वपूर्ण है यह आपके होने वाले बच्चे पर जीवन पर्यन्त प्रभाव डालता है अतः इसे अवश्य पढ़े और प्रेषित करें। अन्य विषयो की भाँति आधुनिक विज्ञान इस विषय पर आज बात करने लगा है और लोगो को लगता है कि यह इस विकृत विज्ञान की खोज है परन्तु सत्य यह है कि इस विषय का ज्ञान भारत में प्राचीन काल से रहा है और उसका पालन किया जाता रहा है। लेकिन हमारी गुलाम मानसिकता ऐसी है कि जब तक किसी विषय पर विदेशी ठप्पा न लग जाये उसे स्वीकार करने में शर्म लगती है। क्या है विषय? जब बच्चा गर्भ में होता है तो वह अपना पोषण और जीवन संचालन की शक्ति गर्भनाल के द्वारा माँ से प्राप्त करता है जिसे अंग्रेजी में अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical Cord) कहते है। जब बच्चा जन्म लेता है तो वह इसी नाल से अपनी नाभि द्वारा जुड़ा हुआ ही आता है परन्तु जन्म के कुछ मिनट तक भी इस नाल में रक्त प्रवाह जारी रहता है जो कुछ मिनट बाद पूरा बच्चे में चला जाता है और तब इस नाल को काटकर माँ को बच्चे से अलग कर दिया जाता है। अंग्रेजी में इसे cord cl

क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जिसके मोदी जी प्रचारक है? What is New World Order (NWO) which now a days Modi ji is advocating a lot?

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  क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जिसके मोदी जी आजकल बड़े फैन है? कोरोना महामारी के दौरान एक शब्द बहुत चर्चा में आया है वो है ‘द न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ (NWO) या जिसे नई विश्व व्यवस्था कह सकते हैं, वैसे तो इसके लिए कई षड्यंत्र सिद्धांत (Conspiracy Theories) चर्चाओं में हैं। ये ज़रूरी नहीं कि सभी कांस्पीरेसी थ्योरीज़ झूठ या मनघडंत हों, दुनिया में ऐसी कई कांस्पीरेसी थ्योरीज़ सच भी साबित हुईं हैं जिनपर लोगों को विश्वास नहीं था। 1950 में एक कांस्पीरेसी थ्योरी ये उठी थी कि CIA अपने कुछ ख़ुफ़िया प्रोपगैंडों को पूरा करने और जनता की राय बनाने के लिए जर्नलिस्ट्स को भर्ती कर रही है। और अंत में ये बात Operation Mockingbird में सच साबित हुई। 2011 में अमरीका में इस कांस्पीरेसी थ्योरी पर चर्चा और संशय शुरू हुआ कि सरकार लोगों के फोन को सर्विलेंस कर रही है, और ये बात 2013 में जाकर सच साबित हुई। 2011 में ही वायरस पर बनी फिल्म ‘Contagion’ रिलीज़ हुई ये भी कह सकते हैं कि भविष्य की कांस्पीरेसी थ्योरी ही थी जो कि विश्व में कोरोना महामारी के आगमन के साथ सटीक साबित हुई। ठीक वैसे ही झोरोना से पहले अक्टूबर 2019 में एक Event 20