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Showing posts from April, 2020

उचित स्वदेशी अपनाएं, भारत बचाएँ

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उचित स्वदेशी अपनाएं, भारत बचाएँ अर्थात स्वदेशी को स्वदेशी के माध्यम से ही अपनाएं *** बहुत से लोग पूछते है कि भाई आप अपने गोधूलि परिवार के उत्पाद अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ईकॉमर्स वेबसाइट से क्यों नहीं बेचते? जिस से शुद्ध सामान सबको आसानी से मिल सके तो मैं विनम्रता से कहना चाहूंगा की इनके भरोसे काम न किया है न करेंगे जो मुनाफा इनको देना है वो अपने उत्पादक भाई या परिवार को देना अधिक बेहतर है इनके द्वारा सामान बिकवाना एक तरह से इनके हाथ बिकना है जो स्वीकार्य नहीं है हमें सभी देशवासियों से निवेदन है की स्वदेशी सामान का माध्यम भी स्वदेशी हो तो ही उचित है कोरोना के बाद भी यदि हम भारतवासियों की आँखें न खुली तो भारत क़र्ज़ के ऐसे दुष्चक्र में फँस जायेगा जिसको चुकाते चुकाते हमारी आने वाली पीढ़ियां पूर्ण आर्थिक गुलामी में फस जाएगी। हो सकता है वर्तमान आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार बड़े बड़े आर्थिक सहायता के पैकेज देश को दें परन्तु वह सब वर्ल्ड बैंक आदि से लोन के माध्यम से ही मिलेगा और यह क़र्ज़ जो किसी नेता को अपनी जेब से नहीं अपितु भारत की प्रजा को ही चुकाने है उसक

रामायण में पुष्पक विमान का क्या था मार्ग? - काल्पनिक नहीं है रामायण!

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रामायण में रावण द्वारा सीताजी के हरण में पुष्पक विमान का क्या था मार्ग? प्रमाण: काल्पनिक नहीं है रामायण! रावण द्वारा सीता हरण करके श्रीलंका जाते समय पुष्पक विम ान का मार्ग क्या था ? उस मार्ग में कौनसा वैज्ञानिक रहस्य छुपा हुआ है ? उस मार्ग के बारे में लाखों साल पहले कैसे जानकारी थी ? पढ़ो इन प्रश्नों के उत्तर वामपंथी इतिहारकारों के लिए मृत्यु समान हैं | भारतबन्धुओ ! रावण ने माँ सीता का अपहरण पंचवटी (नासिक, महाराष्ट्र) से किया और पुष्पक विमान द्वारा हम्पी (कर्नाटका), लेपक्षी (आँध्रप्रदेश ) होते हुए श्रीलंका पहुंचा | आश्चर्य होता है जब हम आधुनिक तकनीक से देखते हैं की नासिक, हम्पी, लेपक्षी और श्रीलंका बिलकुल एक सीधी लाइन में हैं | अर्थात ये पंचवटी से श्रीलंका जाने का सबसे छोटा रास्ता है | अब आप ये सोचिये लाखो वर्ष पहले Google Map नहीं था जो Shortest Way बता देता | फिर कैसे उस समय ये पता किया गया की सबसे छोटा और सीधा मार्ग कौनसा है ? या अगर भारत विरोधियों के अहम् संतुष्टि के लिए मान भी लें की चलो रामायण केवल एक महाकाव्य है जो वाल्मीकि ने लिखा तो फिर ये बताओ की उस ज़माने मे

चचा नेहरू

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चचा नेहरू बचपन से ही स्कूल में नेहरू के बारे में हमारे मस्तिष्क में एक छवि बनायीं है कि नेहरू एक बहुत ही महान व्यक्ति थे। कांग्रेस के द्वारा देश पर किये गए कई कुठाराघात में से एक यह भी था कि हमारे बालमन पर एक ऐसे व्यक्ति की छवि अंकित की जा रही थी जो सच्चाई से कोसो दूर थी। जिस से सदियों तक उसकी छद्म महानता पीढ़ीयो के मन पटल पर अंकित हो जाए। इसका एक उदहारण मुझे याद आता है जब हमारी पुस्तक में एक पाठ नेहरू और शास्त्री जी के जीवनशैली के तुलनमात्मक अध्ययन के रूप में पढ़ाया जाता थ ा। इसमें एक वाक्य मुझे अभी तक याद आता है की   "शास्त्री जी की व्यवस्था भी अस्तव्यस्तता से निर्मित थी और नेहरू जी की अस्तव्यस्तता भी व्यवस्था से निर्मित थी" और पाठ के अंत में उत्तर में हमे इसके उत्तर रटाये जाते थे की ऐसा क्यों था और फिर हम अनजाने में यही याद करते थे जिसका भाव यही था की नेहरू जी व्यवस्थित थे जबकि शास्त्री जी अव्यवस्थित। नेहरू को धैर्य और शांति का प्रतीक प्रमाणित करते हुए एक और उदहारण में नेहरू किसी विमान में बैठे है और तकनीकी गड़बड़ी के कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त होने की

प्रधान सेवक का एक और आदेश!

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प्रधान सेवक का एक और आदेश!    कोरोना से उपजे अन्धकार को दूर करने हेतु 5 अप्रैल 2020 रात्रि 9 बजे मोदी जी ने घर की लाइट बंद कर दीपक, मोमबत्ती, टोर्च या मोबाइल की फ़्लैश जलाने को कहा है! इतना समझ आ गया है जनता कर्फ्यू की तरह थाली और थाली आदि बजाने की तरह वैसे तो यह आग्रह केवल यह देखने के लिए है की जो प्रधानमंत्री ने कहा उसका लोग कितना पालन करते है और इतने दिन के लॉकडाउन के बाद भी लोग कितने समर्थन में है और हो सकता है की यदि यह आदेश सफल रहा तो कोई तो सम्भावना है की शायद 15 दिन का लॉकडाउन और आगे न बढ़ा दें। परन्तु फिर भी दीपक हम जलाएंगे क्योंकि देश के साथ मिलकर कोई सही कार्य करने में कोई बुराई नहीं।     मैं यह भी समझता हूँ की यदि केवल दीपक जलाने को बोलते तो ईसाई और लिब्रान्डु बुरा मान जाते क्योंकि वो दीपक नहीं मोमबत्ती जलाते है। शांतिदूत तो और भी बुरा मान जाते क्योंकि वो न दीपक जलाते है न मोमबत्ती, क्योंकि वो तो देश जलाते है लेकिन उनको भी टोर्च और मोबाइल की लाइट का विकल्प देना पड़ा।   परन्तु मैं सबको बता दूँ की PM की मज़बूरी है कि उन्हें सबके अनुसार नपी तुली भाषा प्रयोग करनी पड़त

लोगो को बचा रहा है कोरोना का आशीर्वाद!

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कोरोना के आशीर्वाद से लोग मर नही बच रहे है!  कैसे? अंग्रेजी में दो कहावत है: Every cloud has a silver lining. & Blessing in Disguise यह कोरोना महोदय पर भी लागु होता है। सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं सडकों पर नीलगाय और हिरणों के विचरण की। यह भी कि प्रदुषण में भारी कमी आयी है। लेकिन इसके दुसरे पक्ष के ऊपर विचार कीजिये। अस्पतालों में OPD बंद है; इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है। तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी? माना, सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं; इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है। परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है? दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में 24 प्रतिशत की कमी आयी है। क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया? नहीं. यह सवाल उठाता है मेडिकल पेशे के लूटतंत्र का। जहाँ कोई बीमारी नहीं भी हो वहां डॉक्टर उसे विकराल बना देते हैं। कॉर्पोरेट हॉस्पिटल के उदभव क