मानवजाति का उपहास करती प्रकृति माँ! / Mankind's mistakes & Nature Enjoys!
मानवजाति का उपहास करती प्रकृति माँ! मानव जगत के षडयंत्रो में जीवजगत का आनंद छुपा है एक बात सुनी थी की यदि पृथ्वी से मधुमक्खी विलुप्त हो जाये तो मानवजाती 50 वर्ष में विलुप्त हो जाएगी और यदि मनुष्य विलुप्त हो जाये तो पूरी पृथ्वी 50 वर्ष में विषमुक्त हो जाएगी आज मनुष्यजाति द्वारा किये गए कोरोना के षडयंत्र का आनंद प्रकृति ले रही है जहाँ मनुष्यो के 3 दिन की अनुपस्थिति में पूरे देश में विभिन्न शहरो की सड़को पर वन्य जीव आनंद से विचरण कर रहे है। इन निरीह प्राणियों को क्या पता की इन कंक्रीट के जंगल उनके योग्य नहीं है हे गोमाता की ही स्वरूपा नीलगाय अभी कुछ दिन बाद देखना यह मनुष्य तुमको कानून की और से मिली खुली आज्ञा के बिना किसी दया के गोली मार देगा। हे पक्षियों! कुछ दिन बाद देखना जब यह सब अपने घर की क़ैद से छूटेंगे तो फिर से मांसाहार करने को इनकी लार टपकेगी घर का खाना से तंग आये हुए फिर से भूखे सांड की तरह सड़कछाप और बाज़ारू खाने की ओर लपकेगा या ऑनलाइन आर्डर करेगा फिर से अंतराष्ट्रीय पिज़्ज़ा बर्गर खाकर अपनी ...