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Showing posts from August, 2023

क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जिसके मोदी जी प्रचारक है? What is New World Order (NWO) which now a days Modi ji is advocating a lot?

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  क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जिसके मोदी जी आजकल बड़े फैन है? कोरोना महामारी के दौरान एक शब्द बहुत चर्चा में आया है वो है ‘द न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ (NWO) या जिसे नई विश्व व्यवस्था कह सकते हैं, वैसे तो इसके लिए कई षड्यंत्र सिद्धांत (Conspiracy Theories) चर्चाओं में हैं। ये ज़रूरी नहीं कि सभी कांस्पीरेसी थ्योरीज़ झूठ या मनघडंत हों, दुनिया में ऐसी कई कांस्पीरेसी थ्योरीज़ सच भी साबित हुईं हैं जिनपर लोगों को विश्वास नहीं था। 1950 में एक कांस्पीरेसी थ्योरी ये उठी थी कि CIA अपने कुछ ख़ुफ़िया प्रोपगैंडों को पूरा करने और जनता की राय बनाने के लिए जर्नलिस्ट्स को भर्ती कर रही है। और अंत में ये बात Operation Mockingbird में सच साबित हुई। 2011 में अमरीका में इस कांस्पीरेसी थ्योरी पर चर्चा और संशय शुरू हुआ कि सरकार लोगों के फोन को सर्विलेंस कर रही है, और ये बात 2013 में जाकर सच साबित हुई। 2011 में ही वायरस पर बनी फिल्म ‘Contagion’ रिलीज़ हुई ये भी कह सकते हैं कि भविष्य की कांस्पीरेसी थ्योरी ही थी जो कि विश्व में कोरोना महामारी के आगमन के साथ सटीक साबित हुई। ठीक वैसे ही झोरोना से पहले अक्टूबर 2019 में एक Event 20

मोदी जी! असली संतो को गुरु बनाओ! सरकारी संतो को नहीं

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मोदी जी! असली संतो को गुरु बनाओ  इन सरकारी संतो के सामने हाथ जोड़ने की नौटंकी मत करो पुरी शंकराचार्य जी जिनके चरणों मे 2013 में प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद लिया था उनको इस कार्यक्रम में क्यो नही बुलाया? इसका विस्तृत विश्लेषण करता हूँ! जब गुरुकुल प्रभात आश्रम के हमारे सम्माननीय जैसे ओजस्वी स्वामी विवेकानंद सरस्वती जी (लाल घेरे में बैठे हुए) को बुलाना याद रहा तो पुरी शंकाराचार्य जी को क्यो नही? क्योंकि आपने 2013 में उनके चरणों मे बैठकर यही प्रार्थना की थी कि  "मुझसे कोई भूल न हो इसका आशीर्वाद दीजिये।"  परंतु अब जब आप पद के अहंकारवश भूल पर भूल करते जा रहे हो तो किस मुँह से बुलाओगे! क्योंकि  आप विश्व मे शायद अकेले ऐसे नेता हो जो अपनी संसद में और स्वत्रंता दिवस के भाषण में सीना चौड़ा करके New World Order  (क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)   भारत मे लागू करने की बाद बेशर्मी से बोल गए। और उस लक्ष्य की प्राप्ति में असली संत बाधक बनेंगे। 04 दिसम्बर 2021 को महाराज जी और मोदी जी आप दोनों देहरादून में थे। परंतु इतना सा शिष्टाचार भी नही की उनसे 5 मिनट को भी आशीर्वाद

क्यों चमत्कारी है भादवे (भाद्रपद माह) का गोघृत?

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क्यों चमत्कारी है भादवे (भाद्रपद माह) का गोघृत? इस वर्ष भाद्रपद मास 31 अगस्त से 29 सितम्बर 2023 तक रहेगा शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ घी जिसे कहा गया है उस उच्चतम गुणवत्ता के भादवे के घी को गोमाता के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से पिछले कुछ 5 वर्षो में अपने प्रचार एवं अद्भुत गुणवत्ता के कारण द्वारा पुनः प्रचलन में लाने का श्रेय जाता है गोधूली परिवार को। इस घृत को केवल भाद्रपद के माह में बना लेना ही पर्याप्त नहीं है अपितु दूध को गोमाता से लेने के समय से लेकर उसको दही में रूपांतरित करने एवं प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उसे हाथ की मथनी से बिलोना करके गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ मक्खन निकालना महत्वपूर्ण है। तत्पश्चात ही उसमें वह गुण आयेंगे जिसका शास्त्रों में वर्णन है। हमसे अधिकतर आयुर्वेदिक वैद्य इस घृत को पुराना करने को लेते है जो पुराने घी से देसी इलाज करते है क्योंकि पुराने घृत अर्थात 20 वर्षो से पुराने घृत के औषधिय गुण अदभुत होते है।  गोधूली परिवार ने कुछ वर्ष पहले इसके लाभ को सामान्य परिवारों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया और हमें प्रसन्नता है कि बहुत से लोगो ने हमसे प्रेरित होकर इसका

भोजन और पत्तल - किस बीमारी में कौन सी पत्तल?

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भोजन और पत्तल हमने कभी वेदों का अध्ययन नही किया,हमने कभी गीता पढ़कर उसे अमल में लाने का प्रयास नही किया,हमने योग विद्या को कभी नही अपनाया,हमने आयुर्वेद में कोई अनुसंधान नही किया,हमने संस्कृत भाषा को कोई महत्व नही दिया ऐसी बहुत सी अच्छी और महत्वपूर्ण चीजें है जो हमारे पूर्वज हमारे बुजुर्ग हमे विरासत में दे गए पर हम पाश्चात्य संस्कृति अपनाने में अंधे हो गए हमने धीरे धीरे हमारी संस्कृति को ही छोड़ने का काम किया. अब एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया हमारी भोजन संस्कृति इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को "दोने पत्तल" पर परोसने का बड़ा महत्व था कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन एक पंक्ति में बैठकर खाया जाता था और वो भोजन पत्तल पर परोसा जाता था जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पत्तो से निर्मित होती थी. क्या हमने कभी जानने की कोशिश की कि ये भोजन पत्तल पर परोसकर ही क्यो खाया जाता था?नही क्योकि हम उस महत्व को जानते तो देश मे कभी ये "बुफे"जैसी खड़े रहकर भोजन करने की संस्कृति आ ही नही पाती.जैसा कि हम जानते है पत्तले अनेक प्रकार के पेड़ो के पत्तों से बनाई