मोदी जी! असली संतो को गुरु बनाओ! सरकारी संतो को नहीं
मोदी जी! असली संतो को गुरु बनाओ
इन सरकारी संतो के सामने हाथ जोड़ने की नौटंकी मत करो
पुरी शंकराचार्य जी जिनके चरणों मे 2013 में प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद लिया था उनको इस कार्यक्रम में क्यो नही बुलाया? इसका विस्तृत विश्लेषण करता हूँ!
जब गुरुकुल प्रभात आश्रम के हमारे सम्माननीय जैसे ओजस्वी स्वामी विवेकानंद सरस्वती जी (लाल घेरे में बैठे हुए) को बुलाना याद रहा तो पुरी शंकाराचार्य जी को क्यो नही?क्योंकि आपने 2013 में उनके चरणों मे बैठकर यही प्रार्थना की थी कि
"मुझसे कोई भूल न हो इसका आशीर्वाद दीजिये।"
परंतु अब जब आप पद के अहंकारवश भूल पर भूल करते जा रहे हो तो किस मुँह से बुलाओगे!
क्योंकि आप विश्व मे शायद अकेले ऐसे नेता हो जो अपनी संसद में और स्वत्रंता दिवस के भाषण में सीना चौड़ा करके New World Order
(क्या है न्यू वर्ल्ड आर्डर जानने के लिए यहाँ क्लिक करें) भारत मे लागू करने की बाद बेशर्मी से बोल गए। और उस लक्ष्य की प्राप्ति में असली संत बाधक बनेंगे।
04 दिसम्बर 2021 को महाराज जी और मोदी जी आप दोनों देहरादून में थे। परंतु इतना सा शिष्टाचार भी नही की उनसे 5 मिनट को भी आशीर्वाद लेने चले जाते।
मोदी जी! फरीदाबाद के एक कार्यक्रम में जहां मैं स्वयं उपस्थित थे उन्होंने यहां तक कह दिया कि
सनातन धर्म की हानि करने के लिए आपके और अमित शाह का हाल नरसिम्हा राव और आडवाणी जैसा होने की भविष्यवाणी भी कर दी थी। जिसका वीडियो यदि रिकॉर्ड हुआ होगा तो शीघ्र ही अपलोड करेंगे
जो वास्तविक शंकराचार्य का सम्मान नही कर सकता वो क्या सनातन धर्म की रक्षा करेगा।
मेरा मानना है कि अंग्रेज़ो की वफादार उत्तराधिकारी के रूप में भारत की हर सरकार के काले अंग्रेज़ो ने अंग्रेज़ो की उस नीति को आगे बढ़ाया जिसमे उन्होंने भारत की जड़ो को खोदने का काम किया।
मुग़लो ने तो मंदिर तोड़े लेकिन हमारे मन से धर्म रूपी मंदिरों को सदा का लिए तोड़ने का काम अंग्रेज़ो के बाद सरकारे कर रही है। केवल मंदिर बनाकर क्या होगा?
स्मार्ट सिटी और गांव में नैतिकता और विवेकशून्य प्रजा मंदिर में पर्यटन के लिए जाएगी केवल घंटा बजाएगी।
जिसका उदाहरण अभी हरीद्वार में शंकराचार्य जी के कार्यक्रम के दौरान मिला। जिसमे लोग मंदिर में चल रही शंकराचार्य जी को गोष्ठी में न आकर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाकर हनुमान चालीसा पढ़ने में ज़्यादा व्यस्त थे।
मन्दिरों से वास्तविक सत्संग का लोप ही धर्म की हानि का प्रमाण है।
मन्दिरों को सौन्दर्यकरण के नाम पर फ़ूड कोर्ट और पर्यटन स्थल के मॉडल में परवर्तित करना कोई महान काम नही कर रहे।
केदारनाथ जी के गर्भ गृह तक में कैमरा ले जाकर आपने अपना स्वयं भक्ति को नई सीमा तक पहुचाया।
हमने आपको देश का प्रधानमंत्री समझा था लेकिन आप तो भाजपा के प्रधानमंत्री निकले।
न्यू वर्ल्ड आर्डर लागू करवाने के एक औज़ार निकले आप।
और अंग्रेज़ो के बाद हर सरकार की नीति ने इस अधोपतन को बढ़ावा ही दिया है। जिसमे वैक्सीन भी एक है।
सब कहते है आपने साधना बहुत की है तो मैं पूछता हूँ कि तपस्या तो भस्मासुर ने भी की थी। परंतु उससे मिले वरदान को संसार के भले के लिए प्रयोग नही किया। वही आपका हाल है।
भक्त बोलते है कि विकल्प क्या है फिर? विकल्प के आभाव में मजबूरी में चुने गया व्यक्ति को सफल नही कह सकते। विकल्प होते हुए भी इनको चुना जाए तो होगी असली सफलता।
कांग्रेस की असफलता को अपनी सफलता समझ लेना मूर्खता है। विश्वामित्र, सांदीपनि जैसे गुरुओ के मार्गदर्शन और आशीर्वाद तो श्री राम, श्रीकृष्ण, जैसे अवतारो ने ग्रहण किया। आप स्वयं को क्या अवतार से बड़े समझते हो?
भक्त बोलते है कि इनके तो न आगे न पीछे कोई किसके लिए कर रहे है सब?
उत्तर है नाम के लिए! धन से बड़ी भूख है नाम की। स्वयं को इतिहास में दर्ज़ करवाने की भूख।
कड़वी पोस्ट लिखने का उद्देश्य:
यह जग विदित करना कि मोदी जब तक असली गुरु अर्थात शंकराचार्य जी (शंकराचार्य के सामने "असली" लिखना पड़े यही सबसे बड़ा दुर्भाग्य है हमारा) के मार्गदर्शन को केवल चुनावी स्टंट के रूप में नही अपितु मन से स्वीकार नही करेंगे तब तक मुझ जैसे सनातनी मोदी का बहिष्कार करेंगे।
और यदि स्वीकार करेंगे तो सम्मान भी करेंगे।
क्योंकि बेलगाम घोड़े की तरह देश नही चलाने देंगे।
अन्यथा विकल्प तो ढूंढना होगा।
और जानना है तो यह वीडियो देख लो
- वीरेंद्र
भ्रमित भारतीयों के भ्रम का भ्रमण
very true. very clear. very astute.
ReplyDeleteभाई जी, मोदी के बारे बहुत कड़वा लिखा है आपने और वो है भी इसी योग्य लोकेषणा का भूखा
ReplyDeleteआपकी बातें, मानता हूं कि अक्षरशः सत्य है। फिर भी, मोदी जी का साथ देना ही हमें बुद्धिमानी लगती है। निश्चित को छोड़ कर अनिश्चित की ओर बढ़ना उचित नहीं होगा। जहां अंधों की भरमार हो, वहां एक आंख वाला ही राजा बनने योग्य होता है। हम मोदी जी को बताने के लिए स्वच्छंद हैं कि उनसे कहां भूल हो रही है। उनसे लड़ेंगे। गुस्सा भी करेंगे। लेकिन वोट भी उन्हीं को देंगे। क्यों कि उन्हें सचमुच राष्ट्र की चिन्ता है। उनकी कुछ राजनैतिक मजबूरियों को हटा कर देखें, तो सच्चाई नज़र आयेगी।
ReplyDeleteमूर्खता की भी हद्द होती है। इतना भरोसा है उसपर तो जो जा कर 8 10 वैक्सीन ठुकवा लो जिसका वो प्रचार कर रहा है, पता चल जाएगा।
Deleteभाईजी गुरूजी ऐसे धर्म का नाश करने वाले प्रधानमंत्री के बुलावे पे जाएंगे भी नही। काशी धर्मनगरी को इस पापी मंत्री ने पर्यटन स्थल बना दिया है। कई मंदिर और यहाँ तक की स्वयंभू शिवलिंग भी बेहरमी से बिना कोई नियम के उखाड़ दिए। इतना ही नही कनाडा से विखंडित मूर्ति लाके बैठा दिया। गुरूजी ने इस बात का विरोध भी किया था। लेकिन क्या कहे मंत्री से लेके अधिक्तर लोग अंधभक्ति में डूबे हुए है। और नेता का तो जब तक भीड़ उसके साथ है वो किसी और की नही सुनेगा। ...
ReplyDeleteविरेन्द्र भाई धन्यवाद
ReplyDeleteविरेन्द्र भाई धन्यवाद
ReplyDeleteअति सुन्दर, पूर्णतः सहमत
ReplyDeleteअति सुन्दर, पूर्णतः सहमत
ReplyDelete