"आंवला नवमी" या "आरोग्य नवमी" का महत्व!
क्या महत्व है "आंवला नवमी" या "आरोग्य नवमी" का ? आँवला के वृक्ष की महिमा का प्रतिष्ठापित करने के लिए इसकी पूजा की जाती है और इसीलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को "आंवला नवमी" या "आरोग्य नवमी" भी कहा जाता है । गाँवों में इस दिन घर के अंदर भोजन नहीं बनता था । आँवला के पेड़ के नीचे सुबह सुबह साफ सफाई होने लगती थी । आँवला नवमी से एक दिन पहले ही उस स्थान की गाय के गोबर से लिपाई पुताई हो जाती थी । आँवला नवमी के दिन परिवार की सभी स्त्रियाँ इकट्ठी होकर मिट्टी के चूल्हे पर एक साथ पूरे खानदान का भोजन बनाती थी । पुरुष ईंधन और बाल्टी बाल्टी से कूएँ से पानी लाकर देते थे और स्त्रियाँ भोजन बनाती थी । कितनी भी एक दूसरे से मनमुटाव हो , गाँव के सभी लोग एक ही पेड़ के नीचे इक्कट्ठे होकर अपना अपना चूल्हा बनाकर भोजन पकाते थे । आपसी मेल जोल , सौहार्द्र , प्रेम इत्यादि की वृद्धि होती थी । सुबह सुबह आँवला के वृक्ष का पूजन होता था । लोग आँवला की लकड़ी का ही दातौन करते थे । आँवला के वृक्ष की छाया के नीचे ही थाली में भोजन किया जाता था । यह मान्यता थी कि थाली में अगर आ...