मोदीजी की थोपी गई सकारात्मक छवि ही देश का काल न बन जाएं!
मोदीजी की थोपी गई सकारात्मक छवि ही देश का न बन जाएं! ......बहुत खतरनाक महामारी है, मोदी बचा रहा है अन्यथा यहाँ भी सड़कों पर लाशों के ढेर लगे होते, कोई उठाने वाला नहीं होता, पूरी दुनिया में देखा नहीं क्या? दूसरे देशों में लोग जरूरत न हो तो खिड़की भी नहीं खोलते और यहाँ कितने ‘अनएजुकेटेड’ और जाहिल लोग है, किसी भी बिना ‘स्टैण्डर्ड’ की दूकान से सामान खरीद लेंगे, गाँव के लोग तो बिलकुल उजड्ड हैं, इनके क्या है फालतू बार बार बाहर निकलेंगे (बेचारा जिस आदमी का काम ही बार बार बाहर जाने का है, वह भी इनके लिए फालतू है), हम तो निकलते ही नहीं हैं किसी के घर भी नहीं जाते, उसके यहाँ पानी भी नहीं पीते, कुछ हो गया तो? भारत के लोग बहुत लापरवाह हैं, सब्जियां लाते ही साबुन से धोकर दो दिन रख दो फिर काम में लो.....बाहर तो निकलो ही मत आदि आदि और न जाने क्या क्या? पिछले पांच महीने से हमारे पडोसी भाईसाहब और उनके जैसे बहुत लोग यही सब ज्ञान बाँट रहे हैं, मैंने पाया कि इनमें ज्यादातर लोग वे हैं जिनके घर में अच्छा वेतन या पेंशन आती है या अन्य बहुत अच्छे आय के स्त्रोत है और ऐसे लोगों को अपना भविष्य...