वामपंथी और क्रन्तिकारी होने में अंतर है!




वामपंथी और क्रन्तिकारी होने में अंतर है!
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वामपंथियों को अपनी विचारधारा की चिंता है देश से कोई लेना देना नहीं
परन्तु हमें केवल अपने देश की और आने वाली पीढ़ी से लेना देना है

कहाँ गए बड़े बड़े youtube चैनेलो के कर्ताधर्ता
बड़े देशभक्त बने फिरते है, जान देना तो छोड़ो youtube चैनल डिलीट न हो जाये इस डर से इस वायरस के षड्यंत्र पर चुप्पी साध ली

Thanks Bharat वाला भी भारत को थैंक्स कहकर इंडिया में चला गया क्या?

यही हाल और बहुत से तथाकथित सोशलमीडिया क्रांतिकारियों का है

पुष्पेंद्र जी को तो हिन्दू मुस्लिम से फुर्सत नहीं! उनका दोष नहीं है!

इस विषय पर 100 एपिसोड बनाने का दावा सुदर्शन चैनल वाले की भी २ एपिसोड दिखा कर हवा निकल गई

संघ ने तो जैसे अपने मुँह पर हाथ रखकर ऊपर से मास्क कसकर बाँध लिए है

बड़े बड़े तथाकथित संत तो खुद वायरस से डर के बैठे है और नहीं भी डर रहे तो कौन सरकार से उलझे?

हमारा मास्क जलाने की बात सुनकर तो कई लोगो को दस्त लग गए

मास्क जलाना तो दूर प्रोफाइल पर मास्क विरोधी फोटो का बैनर लगाने की हिम्मत नहीं कर पाए कई तो!

सरकार की गलत नीति का ही विरोध हम करते है लेकिन सरकार की हर नीति का ज़बरदस्ती का विरोध वामपंथी ही करते है और उनकी लाइन में खड़े कर न कर दिए जाये
यह डर सताने लगता है! फेसबुक या चैनल डिलीट हो गया तो! मोदी विरोधी का ठप्पा लगा दिया गया तो!
क्योंकि सरकार का विरोध मोदी विरोध आपस में पर्यायवाची शब्द बन गया है

मोदी विरोध साबित होते ही आप कांग्रेसी, राहुल समर्थक, वामपंथी, देशद्रोही आदि आदि साबित कर दिए गए तो?
मोदी के विकल्प का आभाव है इसका रोना रोयेंगे, मोदी जी भी कोई 100% परफेक्ट व्यक्ति नहीं है, उनसे भी गलत निर्णय हो सकते है! तो क्या यह समझ कर की वो PM है उनकी हर बात आँख बंद कर मान ली जायें?

अर्थात अनकही equation या समीकरण यह बनता है की सरकारी नीति का विरोधी = मोदी का विरोधी = देशद्रोही

कल को मोदी अपनी आयु के कारण या किसी भी कारण से PM नहीं रह पाए तो क्या देश नहीं चलेगा?
विकल्प सबका होता है!


लेकिन सरकार की नीति का विरोध या समीक्षा करना हमारा अधिकार है उसमे हम गलत भी हो सकते है सही भी!
गलत साबित हुए तो हम अधिक प्रसन्न होंगे परन्तु सही हुए तो देश कभी का हाल बहुत बुरा होगा

उन सब कायरो और डरपोकों को बता दू कि काले अंग्रेज़ो की सरकार और उसकी गलत नीतियों का विरोध राष्ट्रहित में क्रन्तिकारी ही कर सकते है और चाहे वो गोरे अंग्रेज़ो की सरकार हो या काले अंग्रेज़ो की

लेकिन यदि कोई सरकरी नीति आने वाली पीढ़ियों दीर्घकालिक प्रभाव डालेगी तो बर्दाश्त नहीं करेंगे
कोई साथ आए या न आएं कुछ दिन और देख रहे है!

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ऐसे सर्वे देखकर षड्यंत्रकारी विचार इस पर नहीं कर रहे कि टीके में कुछ गलत हो सकता है
बल्कि विचार इसपर हो रहा है कि टीके के लिए सबको राज़ी कैसे करें?

और राज़ी करने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सब लागु होगा

समझे कुछ!

यही सर्वे इंडियन लोगो में करवा लो
पता लगेगा की 99 प्रतिशत कहेंगे कि कल की जगह आज ही टीका लगवा दो!

धोनी जैसो की रिटायरमेंट पर दुःख तो है इनको लेकिन देश के बच्चो का भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहे है उससे कोई मतलब नहीं

#VaccineVirodhi
-वीरेंद्र


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