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Showing posts from May, 2019

शिक्षित था भारत पर अब केवल साक्षर है इंडिया !

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क्यो लीपा कार को गोवर से?

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कार को गोबर से कार को गोबर  से लीपकर किया अद्भत काम ************** गाय का वर अर्थात गाय का वरदान। गोवर जिसका बिगड़ा स्वरूप अर्थात अपभ्रंश है "गोबर"। जहां यह गोवर गिरता है उसके नीचे का तापमान बढ़ता नही है अर्थात सूखा नही पड़ता वहां नमी बनी रहती है। वो स्थान मरुस्थल नही बनेंगे। इसीलिए गाय जहां विचरती है वहां का जल स्तर नीचे नही जाता था जो आज नीचे जा रहा है। विकिरण रोकने के साथ तापमान को नियंत्रित करने का भी अद्भुत गुण है इसमें। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के परीक्षण का प्रत्यक्ष प्रमाण इस वीडियो में है यही कारण था कि हमारे गाँव की स्थापना में गोबर से लीपे घरों में रहने की व्यवस्था रही। चूल्हे से उठने वाले धुंए को सोखने का भी गुण इसमें है। आंगन को भी गोबर से लीपा जाता था जिस से पैर न जले। अब इन सब गुणों को ध्यान में रखते हुए अपनी कार को गोवर से लीप देने का अद्भुत कार्य किसी ने किया है। जिस से कार अधिक गर्म न हो। यह किसने किया यह महत्व का नही जो किया है वह महत्व का है। ऐसे गोभक्तो को नमन। ऐसे ही नए विचारों का ढिंढोरा जम कर पीटने को मैं व्यक्तिगत र

बच्चो के लिए सही गुणवत्ता का वसा (Fat) क्यों आवश्यक है?

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गंगातीरी गोमाता का शुद्धतम घी Brand नही Friend गंगातीरी गोमाता का शुद्धतम घी आज गाय के घी के महत्व को जानकर बाजार में विभिन्न प्रकार की ब्रांड आ गयी है। परंतु चमक दमक के अतिरिक्त गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की क्षमता कुछ ही लोगो मे है। गोघृत एक ऐसा अमृत है जो बच्चे, युवा एवं वृद्ध तीनो के लिए उत्तम औषधि है। इसी के अंतर्गत गोधूलि परिवार ने सदस्य परिवारों के आग्रह पर तीन प्रकार की गाय की नस्लो का शुद्ध गोघृत मथनी द्वारा बिलोकर तैयार करवाया है। थारपारकर - कांकरेज गंगातीरी थारपारकर और कांकरेज का घी अपनी मांग और अद्वितीय गुणवत्ता के अनुसार उत्पादन होते ही सदस्य परिवारों में बंट जाता है। अभी हाल में ही गोधूलि परिवार ने गंगा किनारे अद्भुत वनस्पतियों को चरने वाली सर्वश्रेष्ठ गाय की नस्ल गंगातीरी का घृत का वैदिक पद्धति से निर्माण आरम्भ किया है। कुछ वर्षों पहले तक विलुप्ति की कगार पर खड़ी इस नस्ल का अब लोगो ने महत्व समझा है। इसके गुणों के कारण अंग्रेज़ो ने भी बनारस के निकट इसी गाय की गोशाला का निर्माण कर उसके दूध का प्रबंध स्वयं के लिए किया था। *गंगातीरी का घृत क्यो?*

जब लूटने वाले पूर्ण सक्रिय है तो बचाने वाले शांत क्यों बैठे?

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जब लूटने वाले पूर्ण सक्रिय है तो बचाने वाले शांत क्यों बैठे? अभी तो बहुत काम बाकी है (एक छोटी सी घटना जो मेरे साथ हुई) मेरे पिता सेना से सेवानिवृत्त है और उन्हें सेना की कैंटीन से सस्ता सामान जो ज़्यादातर विदेशी होता है वो बाज़ार से काफी कम दाम पर मिल जाता है लेकिन उसका फायदा राजीव भाई को सुनने के बाद कम ही ले पाते है मेरे पिता अपने स्वभाव के कारण सभी की मदद को तैयार रहते है मेरे घर के पास आर्थिक रूप से परेशान एक नल आदि ठीक करने वाला plumber सूरज रहता है जो हमें भी अपनी सेवा देता रहता है उसने पिता जी से निवेदन किया की मुझे कैंटीन से कुछ सामान मंगवाना है पिताजी ने कहा की जब वहां का चक्कर लगेगा तो ले आऊंगा, मेरे पिता का खुद का सामान कम होता है और दूसरो का अधिक वो सामान ले आये और घर पर कोने में रख दिया मुझे इस बात का पता नहीं था तो मैंने पुछा की यह सामान किसका है तो उन्होंने कहा की प्लम्बर का है क्योंकि उस सामान में Horlicks, Johnson Baby Soap, Maggi , ketchup जैसी वस्तुए थी जो हमारे घर में प्रयोग नहीं होते थे लगभग रूपए 1500-2000 का सामान था 15-20 दिन हो

फ़ास्ट फ़ूड नहीं स्लो फ़ूड देगा स्वास्थ्य!

फ़ास्ट फ़ूड नहीं स्लो फ़ूड देगा स्वास्थ्य - Central University, Dharamshala, Himachal गोधूली परिवार  VirenderSingh.in  GauDhuli.com  ********* गोधूलि परिवार से कैसे जुडे? 200 परिवार गोधूली साकार  ******************* गोधूली परिवार: सदस्यता प्रपत्र   https://goo.gl/vHBPwv क्या है गोधूलि ? जानने के लिए वीडियो https://youtu.be/NImemym3XcE

मुझसे नही स्वयं से पूछे की टीका लगवाए की नही? - वीरेंद्र सिंह

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मुझसे नही स्वयं से पूछे की टीका लगवाए की नही? - वीरेंद्र सिंह

(भाग - 2) मांसाहार: कुतर्क एवं भ्रम

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(भाग - 2) मांसाहार: कुतर्क एवं भ्रम *************************** कुतर्क 2) क्या आप भोजन मुहैया करा सकते थे वहाँ जहाँ एस्किमोज़ रहते हैं (आर्कटिक में) और आजकल अगर आप ऐसा करेंगे भी तो क्या यह खर्चीला नहीं होगा? खण्ड़न- अगर एस्किमोज़ मांसाहार बिना नहीं रह सकते तो क्या आप भी शाकाहार उपलब्ध होते हुए एस्किमोज़ का बहाना आगे कर मांसाहार चालू रखेंगे? खूब!! एस्किमोज़ तो वस्त्र के स्थान पर चमड़ा पहते है, आप क्यों नही सदैव उनका वेश धारण किए रहते? अल्लाह नें आर्कटिक में मनुष्य पैदा ही नहीं किये थे,जो उनके लिये वहां पेड-पौधे भी पैदा करते, लोग पलायन कर पहुँच जाय तो क्या कीजियेगा। ईश्वर नें बंजर रेगीस्तान में भी इन्सान पैदा नहीं किए। फ़िर भी स्वार्थी मनुष्य वहाँ भी पहुँच ही गया। यह तो कोई बात नहीं हुई कि दुर्गम क्षेत्र में रहने वालों को शाकाहार उपलब्ध नहीं, इसलिए सभी को उन्ही की आहार शैली अपना लेनी चाहिए।  आपका यह एस्किमोज़ की आहारवृत्ति का बहाना निर्थक है। जिन देशों में शाकाहार उपलब्ध न था, वहां मांसाहार क्षेत्र वातावरण की अपेक्षा से मज़बूरन होगा और इसीलिए उसी वातावरण के स