(भाग - 2) मांसाहार: कुतर्क एवं भ्रम *************************** कुतर्क 2) क्या आप भोजन मुहैया करा सकते थे वहाँ जहाँ एस्किमोज़ रहते हैं (आर्कटिक में) और आजकल अगर आप ऐसा करेंगे भी तो क्या यह खर्चीला नहीं होगा? खण्ड़न- अगर एस्किमोज़ मांसाहार बिना नहीं रह सकते तो क्या आप भी शाकाहार उपलब्ध होते हुए एस्किमोज़ का बहाना आगे कर मांसाहार चालू रखेंगे? खूब!! एस्किमोज़ तो वस्त्र के स्थान पर चमड़ा पहते है, आप क्यों नही सदैव उनका वेश धारण किए रहते? अल्लाह नें आर्कटिक में मनुष्य पैदा ही नहीं किये थे,जो उनके लिये वहां पेड-पौधे भी पैदा करते, लोग पलायन कर पहुँच जाय तो क्या कीजियेगा। ईश्वर नें बंजर रेगीस्तान में भी इन्सान पैदा नहीं किए। फ़िर भी स्वार्थी मनुष्य वहाँ भी पहुँच ही गया। यह तो कोई बात नहीं हुई कि दुर्गम क्षेत्र में रहने वालों को शाकाहार उपलब्ध नहीं, इसलिए सभी को उन्ही की आहार शैली अपना लेनी चाहिए। आपका यह एस्किमोज़ की आहारवृत्ति का बहाना निर्थक है। जिन देशों में शाकाहार उपलब्ध न था, वहां मांसाहार क्षेत्र वातावरण की अपेक्षा से मज़बूरन होगा और इसीलिए उसी वातावरण के स