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Showing posts from September, 2022

पूर्वजों को याद करने के उपलक्ष्य को मज़ाक bka विषय नही बनाना

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  श्राद्ध पक्ष को लेकर कई मज़ाक भरे सन्देशो का आदान प्रदान हो रहा है जिसमे ब्राह्मणो का खाने का वर्ल्ड कप से लेकर कौवो की मौज आदि का उल्लेख है व्यक्तिगत रूप से श्राद्ध पक्ष जैसे पवित्र पखवाड़े के विषय में ऐसे भद्दे फूहड़ मज़ाक मैं पसंद नहीं करता इस पखवाड़े में अपने पितरो / पूर्वजो को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने प्रावधान है..... कोई भी ब्राह्मण न तो आपसे खीर पूरी खिलाने का आग्रह कर रहा है न कोई गाय, पशु या पक्षी अगर आप इनको भोग करवाने को मानते है तो  पालन करें और यदि नहीं तो अपने नित्य कार्य अन्य दिनों की तरह करते रहे क्योंकि जो मानते है उनके कहने से आप मानना शुरू नहीं करेंगे और आपके कहने से वो पालन करना छोड़ेंगे नहीं तो क्यों अपनी ऊर्जा नष्ट करें देश में और भी कई वास्तविक संकट है उनपर ध्यान केंद्रित करें उचित रहेगा धार्मिक आस्था और मान्यताओ के विषयो पर किसी तरह की भद्दे और भौंडे सन्देश भेजना या बहस करना मूर्खता है अतः न करें! ऐसे सन्देश भेजने वालो को विनम्र होकर परन्तु दृढ़ता पूर्वक यह सन्देश प्रेषित करें - अपनी जड़ो से जुड़े हुए वीरेंद्र की कलम से

पूर्वजो का धन्यवाद !

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यह चित्र 2012 आगरा रेलवे स्टेशन का है। इस से पहले मैं ऐसे कान साफ करवाना सुरक्षित नही समझता था। परंतु राजीव भाई को सुनकर पहली बार इस प्रकार से कान साफ़ करवाए थे। वो भी केवल 20 रु में जो आनंद आया मैं उसका वर्णन नहीं कर सकता न डिग्री, न appointment, सेवा कभी भी कही भी। हमारे पूर्वजो के द्वारा इन कान साफ़ करने वाले लोगो की पूरी जमात खड़ी की गयी जिन्हें विशेष प्रक्षिशण दिया गया था कान की सभी परेशानियों के लिए यहाँ तक आपातकालीन स्थिति के लिए भी जिसमे कान में अगर कुछ फंस जाये तो यह आसानी से निकाल देते है ज्यादा बड़ा रोग हुआ तो आयुर्वेदिक वैध हुआ करते थे।  अब यही काम डिग्री के चक्कर में कुछ डॉक्टरों की बपौती बन गया है।  जिनके पास कुछ आधुनिक मशीने है जिसका खर्चा यह हमसे लेते है।   कान साफ़ होते देखना कई लोगो को बहुत भाता है इसीलिए यूट्यूब पर करोडो लोग कान को साफ़ होने के वीडियो को देखते है।  विदेशो में कोई सोच भी नहीं सकता कि सड़क किनारे बैठकर  कान साफ़ हो सकता है।  पहले के लोग अपनी पूरी दूकान अपनी बगल में लेकर चलते थे।    वो अलग बात है की आज इसमें कुछ गलत त...

हम जूठा व बासी नही खाते !!! अगली बार ये कहने से पहले सोचियेगा।

  हम जूठा व बासी नही खाते !!! अगली बार ये कहने से पहले सोचियेगा। एक इंसान की अनुभव के आधार पर सच्ची कहानी के माध्यम से समझिए। कुछ दिन पहले एक परिचित दावत के लिये एक मशहूर रेस्टोरेंट में ले गये। मैं अक़्सर बाहर खाना खाने से कतराता हूँ किन्तु वर्ष में एक दो बार शरीर को बाहर के कचरे से अवगत करवा देता हूँ जिस से अशुद्ध को भी झेलने की क्षमता का शरीर का अभ्यास हो जाता है। आजकल पनीर खाना रईसी की निशानी है इसलिए उन्होंने कुछ डिश पनीर की ऑर्डर की। प्लेट में रखे पनीर के अनियमित टुकड़े मुझे कुछ अजीब से लगे। ऐसा लगा की उन्हें कांट छांट कर पकाया है। मैंने वेटर से कुक को बुलाने के लिए कहा, कुक के आने पर मैंने उससे पूछा पनीर के टुकड़े अलग अलग आकार के व अलग रंगों के क्यों हैं तो उसने कहा ये स्पेशल डिश है।" मैंने कहा की मैँ एक और प्लेट पैक करवा कर ले जाना चाहता हूं लेकिन वो मुझे ये डिश बनाकर दिखाये। सारा रेस्टोरेंट अकबका गया... बहुत से लोग थे जो खाना रोककर मुझे देखने लगे... स्टाफ तरह तरह के बहाने करने लगा। आखिर वेटर ने पुलिस के डर से बताया की अक्सर लोग प्लेटों में खाना,सब्जी सलाद व रोटी इत्यादी छ...

हम एलिजाबेथ की मृत्यु पर शोक नहीं करते : दक्षिण अफ्रीका के राजनीतिक दल EFF का वक्तव्य हर भारतीय को पढ़ना चाहिए

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 EFF - ECONOMIC FREEDOM FIGHTERS हिंदी अनुवादक - वीरेंद्र सिंह ******************* आर्थिक स्वतंत्रता सेनानी महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु पर EFF का वक्तव्य गुरुवार, 08 सितंबर 2022 आर्थिक स्वतंत्रता सेनानियों ने यूनाइटेड किंगडम की रानी एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी विंडसर और यूनाइटेड किंगडम द्वारा उपनिवेशित कई देशों के औपचारिक प्रमुख की मृत्यु का संज्ञान लिया है। एलिजाबेथ 1952 में सिंहासन पर चढ़ी, 70 वर्षों तक एक संस्था के प्रमुख के रूप में शासन किया, जिसे दुनिया भर में लाखों लोगों के अमानवीयकरण की क्रूर विरासत से बनाया गया, बनाए रखा गया और जीवित रहा। हम एलिजाबेथ की मृत्यु पर शोक नहीं करते हैं, क्योंकि हमारे लिए उनकी मृत्यु इस देश और अफ्रीका के इतिहास में एक बहुत ही दुखद अवधि की याद दिलाती है। ब्रिटेन ने, शाही परिवार के नेतृत्व में, इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, जो 1795 में बटावियन नियंत्रण से दक्षिण अफ्रीका बना, और 1806 में इस क्षेत्र पर स्थायी नियंत्रण कर लिया। उस क्षण के बाद से, इस भूमि के मूल निवासियों ने कभी भी शांति अनुभव नहीं की है, न ही उन्होंने कभी इस भूमि के धन का सुख भोगा है,...

व्यक्तिगत सुरक्षा की स्वतंत्रता - हेलमेट, बीमा, प्रदुषण नियंत्रण पर बेबाक विचार

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  मोटर_व्हीकिल_एक्ट पर बहुत चर्चा हो चुकी है। परंतु इसके पक्ष-विपक्ष में जितनी चर्चाएं मैं पढ़ पाया, उसमें मुझे या तो अंधा विरोध दिखा या फिर अंधा समर्थन। इसका एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत है पहली बात यह है कि हमें यह समझना चाहिए कि #राज्य को किन विषयों में #दंड देने का अधिकार होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने छत पर #मुंडेर नहीं बनवाता और उससे गिर कर उसकी या उसके परिवार के बच्चों की मौत होने की संभावना होती है, तो यह राज्य अथवा सरकार के चिंता का विषय नहीं है। उसे इस बारे में कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति अपने घर में दाल बनाते समय उसमें कुछ गलत चीज मिला ले और उसे खाने से वह बीमार हो जाए, तो यह #मिलावट भी राज्य और सरकार का विषय नहीं है। परंतु यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पुल बनाता हो और उसकी मुंडेर न बनाए तो यह अपराध है। कोई व्यक्ति अपनी दुकान में मिलावट वाला सामान बेचे तो यह भी अपराध है। कुल मिलाकर कर व्यक्ति की अपनी सुरक्षा व्यक्ति का विषय है, परंतु व्यक्ति से समाज की सुरक्षा राज्य का विषय है। इस मौलिक विषय को समझने के बाद मोटर वेहिकल एक्ट का इसके आधार पर विश्लेषण कर...