व्यक्तिगत सुरक्षा की स्वतंत्रता - हेलमेट, बीमा, प्रदुषण नियंत्रण पर बेबाक विचार
मोटर_व्हीकिल_एक्ट पर बहुत चर्चा हो चुकी है। परंतु इसके पक्ष-विपक्ष में जितनी चर्चाएं मैं पढ़ पाया, उसमें मुझे या तो अंधा विरोध दिखा या फिर अंधा समर्थन। इसका एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत है
पहली बात यह है कि हमें यह समझना चाहिए कि #राज्य को किन विषयों में #दंड देने का अधिकार होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने छत पर #मुंडेर नहीं बनवाता और उससे गिर कर उसकी या उसके परिवार के बच्चों की मौत होने की संभावना होती है, तो यह राज्य अथवा सरकार के चिंता का विषय नहीं है। उसे इस बारे में कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति अपने घर में दाल बनाते समय उसमें कुछ गलत चीज मिला ले और उसे खाने से वह बीमार हो जाए, तो यह #मिलावट भी राज्य और सरकार का विषय नहीं है। परंतु यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पुल बनाता हो और उसकी मुंडेर न बनाए तो यह अपराध है। कोई व्यक्ति अपनी दुकान में मिलावट वाला सामान बेचे तो यह भी अपराध है। कुल मिलाकर कर व्यक्ति की अपनी सुरक्षा व्यक्ति का विषय है, परंतु व्यक्ति से समाज की सुरक्षा राज्य का विषय है। इस मौलिक विषय को समझने के बाद मोटर वेहिकल एक्ट का इसके आधार पर विश्लेषण करते हैं।
1. हैलमेट पहनना और सीट बेल्ट लगाना शुद्ध रूप से व्यक्तिगत सुरक्षा का विषय है। इस पर दंड केवल प्रतीकात्मक और प्रेरणा देने भर के लिए होना चाहिए। सौ रूपया पर्याप्त से अधिक दंड है इसके लिए। दंड न हो तो और भी अच्छा। राजकोट में इस विषय पर सबसे साहसी कार्य हुआ है। वहां कोई हेलमेट नहीं पहनता है क्योंकि उनके अनुसार यह उनकी व्यक्तिगत विषय है। हेलमेट कंपनियों की बिक्री बढ़ाने के नियम उन्हें मंज़ूर नहीं ।
2. प्रदूषण_नियंत्रण पर दंड पर्याप्त से अधिक होना चाहिए, परंतु उसके लिए वाहन की प्रदूषण जाँच हो न कि उसके चालक के पास प्रदूषण प्रमाणपत्र होने की। प्रदूषण कागजों में नहीं होता। क्योंकि प्रदुषण का प्रमाणपत्र बनाने वाले आपके कहने पर प्रदुषण नियंत्रण में है उतनी मात्रा छाप कर दे देते है इसलिए उसका दंड देने के लिए ऑन द स्पॉट वाहन की प्रदूषण किया जाना जाँच अनिवार्य होनी चाहिए, चाहे उसके पास प्रमाणपत्र हो या नहीं हो।
3. बीमा चाहे वह थर्ड पार्टी वाला ही क्यों न हो, अनिवार्य नहीं होना चाहिए। इसलिए बीमा न होने पर कोई दंड दिए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। समझने की बात यह है कि राज्य को बीमा किए जाने की आवश्यकता केवल इतनी है कि दुर्घटना होने पर पीड़ित को हर्जाना दिलवाया जा सके। इसके लिए आरोपी से धन वसूला जाए। इसके लिए बीमा कंपनी को पैसा दिलवाने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं स्वयं पिछले 31 वर्षों से दुपहिया चला रहा हूँ। अभी तक बीमा की न्यूनतम 80-90 हजार रुपये भर चुका हूँ, जबकि किसी को दुर्घटना में आज तक घायल नहीं किया। आज तक किसी को पैसे देने की नौबत नहीं आई। फिर मुझे यह आर्थिक दंड क्यों झेलना पड़ा? रही बात गाड़ी के चोरी होने की तो वह मेरा व्यक्तिगत नुकसान है, उसकी चिंता राज्य का विषय नहीं है।
उदहारण: यह ठीक वैसे ही है कि मेरे घर में पड़ी हर वस्तु जिसके कारण कोई दुर्घटना हो सकती है या वह चोरी हो सकती है कल को कोई कानून ऐसा बना दे कि सबका बीमा करवाना आवश्यक है। तो इसमें फायदा बीमा कंपनी का ही होगा।
4. ड्राइविंग_लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन_प्रमाणपत्र का अभाव राज्य नियमों का उल्लंघन है। इसके लिए सामान्य से थोड़ा अधिक जुर्माना होना चाहिए। ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर अधिकतम 1000 रूपये का जुर्माना काफी है। ड्राइविंग लाइसेंस कैंसल होने पर भी वाहन चलाने पर आर्थिक दंड नहीं होना चाहिए, आरोपी को सीधे जेल भेजना चाहिए न्यूनतम एक वर्ष के लिए। रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र न होने पर गाड़ी जब्त कर लेना ठीक है। इससे चोरी रुकेगी।
5. शराब पीकर अथवा नशे में गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते हुए मोबाइल चलाना, #लाल_बत्ती_पार_करना, तेज गति से गाड़ी चलाना आदि दूसरे की सुरक्षा से जुड़े मामले हैं, इन पर अधिकाधिक जुर्माना होना चाहिए। आर्थिक भी, शारीरिक भी और मानसिक भी।
4. ड्राइविंग_लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन_प्रमाणपत्र का अभाव राज्य नियमों का उल्लंघन है। इसके लिए सामान्य से थोड़ा अधिक जुर्माना होना चाहिए। ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर अधिकतम 1000 रूपये का जुर्माना काफी है। ड्राइविंग लाइसेंस कैंसल होने पर भी वाहन चलाने पर आर्थिक दंड नहीं होना चाहिए, आरोपी को सीधे जेल भेजना चाहिए न्यूनतम एक वर्ष के लिए। रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र न होने पर गाड़ी जब्त कर लेना ठीक है। इससे चोरी रुकेगी।
5. शराब पीकर अथवा नशे में गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते हुए मोबाइल चलाना, #लाल_बत्ती_पार_करना, तेज गति से गाड़ी चलाना आदि दूसरे की सुरक्षा से जुड़े मामले हैं, इन पर अधिकाधिक जुर्माना होना चाहिए। आर्थिक भी, शारीरिक भी और मानसिक भी।
बिल्कुल सही बात है।
ReplyDeleteBilkul sahi
ReplyDeleteबिलकुल सही बात भैया
ReplyDeleteजी ऐसा ही होना चाहिए
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