त्रिफला खाकर हाथी को बगल में दबा कर 4 कोस ले जाएँ! जानिए 12 वर्ष तक लगातार असली त्रिफला खाने के लाभ!
वह सब जो आप त्रिफला के विषय मे नही जानते!
जानिए 12 वर्ष तक लगातार असली त्रिफला खाने के लाभ!
त्रिफला खाकर हाथी को बगल में दबा कर 4 कोस ले जाएँ!
गोधूली परिवार द्वारा प्रमाणित सर्वश्रेष्ठ त्रिफला
गुरुकुल प्रभात आश्रम का *त्रिफला सुधा*
त्रिफला के विषय मे सरल एवं विस्तार पूर्वक जाने की क्यो कहा जाता है कि
हरड़ बहेड़ा आंवला घी शक्कर संग खाए
हाथी दाबे कांख में और चार कोस ले जाए (1 कोस = 3-4 km)
वात पित कफ को संतुलित रखने वाला सर्वोत्तम फल त्रिफला वाग्भट्ट ऋषि के अनुसार इस धरती का सर्वोत्तम फल त्रिफला लेने के नियम-
त्रिफला के सेवनसे अपने शरीरका कायाकल्प कर जीवन भर स्वस्थ रहा जा सकता है।
आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश का आम व्यक्ति परिचित है व सभी ने कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए इसका सेवन भी जरुर किया होगा पर बहुत कम लोग जानते है इस त्रिफला चूर्ण जिसे आयुर्वेद रसायन मानता है।
अपने कमजोर शरीर का कायाकल्प किया जा सकता है। बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की, क्योंकि त्रिफला का वर्षों तक नियमित सेवन ही आपके शरीर का कायाकल्प कर सकता है।
सेवन विधि - सुबह शौच आदि से निवृत्त होकर हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद डेढ़ घंटे (90 मिनट) तक पानी के अलावा कुछ ना लें, इस नियम का कठोरता से पालन करें। यह तो हुई साधारण विधि पर आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, शहद,गौमुत्र,मिश्री,सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले।
मात्रा का निर्धारण उम्र के अनुसार किया जायेगा। जितने वर्ष की उम्र है उतने रत्ती त्रिफला का दिन में एक बार सेवन करना है। 1 रत्ती = 0.12 ग्राम। उदहारण के लिए यदि उम्र 50 वर्ष है, तो 50 * 0.12 = 6.0 ग्राम त्रिफला एक बार में खाना है। बताई गई मात्रा का कड़ाई से पालन करें। मर्ज़ी से या अनुमान से इसका सेवन न करें अन्यथा शरीर में कई प्रकार के उत्पात उत्पन्न हो सकते है।
और यह भी ध्यान रखें की आपके शरीर पर प्रभाव के अनुसार यह मात्रा कम भी ली जा सकती है। अर्थात कई लोगो में ऊपर दी गई गणना के अनुसार लेने से मेद अर्थात फैट बहुत तेज़ी से घटता है तो आप दिखने में कमज़ोर लग सकते है। ऐसा होने पर आप इसकी मात्रा कम भी कर सकते है और आवश्यकता अनुसार आधी भी ले सकते है।
त्रिफला का पूर्ण कल्प 12 वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास।
1- बसंत ऋतू (चैत्र - वैशाख ) (मार्च - मई)
इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें। शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह (पेस्ट) बन जाये।
2- ग्रीष्म ऋतू - (ज्येष्ठ - अषाढ) (मई - जुलाई)
त्रिफला को गुड़ 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
3- वर्षा ऋतू - (श्रावण - भाद्रपद) - (जुलाई - सितम्बर)
इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
4- शरद ऋतू - (अश्विन - कार्तिक) (सितम्बर - नवम्बर)
त्रिफला के साथ देशी खांड 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें ।
5- हेमंत ऋतू - (मार्गशीर्ष - पौष) (नवम्बर - जनवरी)
त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
6- शिशिर ऋतू - (माघ - फागुन) (जनवरी - मार्च)
पीपल छोटी का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
इस तरह इसका सेवन करने से लाभ:
प्रथम वर्ष तन सुस्ती जाय। द्वितीय रोग सर्व मिट जाय।।
तृतीय नैन बहु ज्योति समावे। चतुर्थे सुन्दरताई आवे।।
पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाई। षष्ठम महाबली हो जाई।।
श्वेत केश श्याम होय सप्तम। वृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम।।
दिन में तारे देखें सही। नवम वर्ष फल अस्तुत कही।।
दशम शारदा कंठ विराजे। अन्धकार हिरदै का भाजे।।
जो एकादश द्वादश खाये। ताको वचन सिद्ध हो जाये।।
-एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी ,
-दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा ,
-तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी ,
-चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा ,
- पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,
-छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा ,
- सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे
- आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा।
- दसवे वर्ष में स्वयं स्वयं देवी सरस्वती कंठ में वास करेंगी जो अज्ञान के अन्धकार को दूर करेगी
- और ग्यारहवे एवं बारहवें वर्ष तक तो आपका कहा वचन सिद्ध होने लगेगा।
******************
त्रिफला का अनुपात होना चाहिए।
1:2:3= 1 (बड़ी हरड़) : 2 (बहेड़ा ):3 (आंवला )
(सभी बीज रहित ही प्रयोग करनी है)
*मात्रा याद करने के लिए सूत्र*
A : B : H
3 : 2 : 1
सुबह
अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक" कहते हैं क्योंकि सुबह त्रिफला
लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamin ,iron,
calcium, micro-nutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को
सुबह त्रिफला खाना चाहिए।
सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड या शहद के साथ खाएं ।
रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि) का निवारण होता है।
रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए गर्म दूध न मिल पाए तो गर्म पानी के साथ।
*नेत्र-प्रक्षलन*
एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है।इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।
- *कुल्ला करना*
त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक -एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती, घाव जल्दी भर जाता है।
गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।
संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।
मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है।
रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।
मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है।(इसके लिये त्रिफला सम भाग का होना चाहिए) प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं।
इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
सावधानी : दुर्बल, कृश (दुबला-पतला) व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिये।
त्रिफला का पूर्ण कल्प 12 वर्ष का होता है तो 12 वर्ष तक लगातार सेवन कर सकते हैं।
हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास।
1- बसंत ऋतू (चैत्र - वैशाख ) (मार्च - मई)
इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें। शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह (पेस्ट) बन जाये।
2- ग्रीष्म ऋतू - (ज्येष्ठ - अषाढ) (मई - जुलाई)
त्रिफला को गुड़ 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
3- वर्षा ऋतू - (श्रावण - भाद्रपद) - (जुलाई - सितम्बर)
इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
4- शरद ऋतू - (अश्विन - कार्तिक) (सितम्बर - नवम्बर)
त्रिफला के साथ देशी खांड 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें ।
5- हेमंत ऋतू - (मार्गशीर्ष - पौष) (नवम्बर - जनवरी)
त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
6- शिशिर ऋतू - (माघ - फागुन) (जनवरी - मार्च)
पीपल छोटी का चूर्ण 1/6 भाग मिलाकर सेवन करें।
इस तरह इसका सेवन करने से लाभ:
प्रथम वर्ष तन सुस्ती जाय। द्वितीय रोग सर्व मिट जाय।।
तृतीय नैन बहु ज्योति समावे। चतुर्थे सुन्दरताई आवे।।
पंचम वर्ष बुद्धि अधिकाई। षष्ठम महाबली हो जाई।।
श्वेत केश श्याम होय सप्तम। वृद्ध तन तरुण होई पुनि अष्टम।।
दिन में तारे देखें सही। नवम वर्ष फल अस्तुत कही।।
दशम शारदा कंठ विराजे। अन्धकार हिरदै का भाजे।।
जो एकादश द्वादश खाये। ताको वचन सिद्ध हो जाये।।
-एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी ,
-दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा ,
-तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी ,
-चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा ,
- पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा ,
-छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा ,
- सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे
- आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा।
- दसवे वर्ष में स्वयं स्वयं देवी सरस्वती कंठ में वास करेंगी जो अज्ञान के अन्धकार को दूर करेगी
- और ग्यारहवे एवं बारहवें वर्ष तक तो आपका कहा वचन सिद्ध होने लगेगा।
******************
त्रिफला का अनुपात होना चाहिए।
1:2:3= 1 (बड़ी हरड़) : 2 (बहेड़ा ):3 (आंवला )
(सभी बीज रहित ही प्रयोग करनी है)
*मात्रा याद करने के लिए सूत्र*
A : B : H
3 : 2 : 1
*त्रिफला लेने का सही नियम*
सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड या शहद के साथ खाएं ।
रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि) का निवारण होता है।
रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए गर्म दूध न मिल पाए तो गर्म पानी के साथ।
*नेत्र-प्रक्षलन*
एक चम्मच त्रिफला चूर्ण रात को एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आंखें धो लें। यह प्रयोग आंखों के लिए अत्यंत हितकर है।इससे आंखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आंखों की जलन, लालिमा आदि तकलीफें दूर होती हैं।
- *कुल्ला करना*
त्रिफला रात को पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन करने के बाद यह पानी मुंह में भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दांत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। इससे अरुचि, मुख की दुर्गंध व मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक -एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती, घाव जल्दी भर जाता है।
गाय का घी व शहद के मिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदान स्वरूप है।
संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, कांचबिंदु-दृष्टिदोष आदि नेत्र रोग होने की संभावना नहीं होती।
मूत्र संबंधी सभी विकारों व मधुमेह में यह फायदेमंद है।
रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्ज नहीं रहती है।
मात्रा : 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें।
त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है।(इसके लिये त्रिफला सम भाग का होना चाहिए) प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं।
इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
सावधानी : दुर्बल, कृश (दुबला-पतला) व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नए बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिये।
ऐसे अनेक विशुद्ध उत्पादों का एक ही केंद्र
Gaudhuli.com
*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*
****************
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• रिफाइन्ड नमक, रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• विकारों को पनपने न दें और सही समय पर ही इनका प्रयोग करें (काम,क्रोध, लोभ,मोह, इर्ष्या,)
• वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य, अपनवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• एल्मुनियम, प्लास्टिक के बर्तन का उपयोग न करें (मिट्टी के सर्वोत्तम)
• मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• बार बार भोजन न करें अर्थात एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
वंदे मातरम
ReplyDeleteHow can i order something here?
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक जानकारी। आभार।।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है
ReplyDeleteबहुत अच्छा जानकारी दिया आपने
ReplyDeleteनमस्ते मेरा नाम राहुल है मै हैदराबाद से हूं 5 साल पहले इस प्रकार त्रिफला का उपयोग किया था। लगातार 1 साल तक लिया था। इसका मुझे बहुत फायदा भी हुआ मेरी याददाश्त बहुत अच्छी होने लगी थी तकलीफ सिर्फ एक थी उसके कारण मुझे दस्त दिन में 4,5बार होनेलगा सुभा के नाश्ते के तुरंत बाद जाना पड़ता था दस्त ठीक नहीं हुए जोकि त्रिफला लने के शुरुवात में होते है लेकिन मुझे पूरे साल तक दस्त होते थे उसके कारण मै बोहोत दुबला पतला होगया था इसलिए मैंने त्रिफला लेना बंद कर दिया ।
ReplyDeleteमेन बात ये है कि मै य फिर से लेना चाहता हूं और इसका पूरा फायदा लेना चाहता हूं में आशा करता हूं कि आप मेरी मदत करेंगे
धन्यवाद
To na khao
DeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
Deleteनमस्ते मेरा नाम राहुल है मै हैदराबाद से हूं 5 साल पहले इस प्रकार त्रिफला का उपयोग किया था। लगातार 1 साल तक लिया था। इसका मुझे बहुत फायदा भी हुआ मेरी याददाश्त बहुत अच्छी होने लगी थी तकलीफ सिर्फ एक थी उसके कारण मुझे दस्त दिन में 4,5बार होनेलगा सुभा के नाश्ते के तुरंत बाद जाना पड़ता था दस्त ठीक नहीं हुए जोकि त्रिफला लने के शुरुवात में होते है लेकिन मुझे पूरे साल तक दस्त होते थे उसके कारण मै बोहोत दुबला पतला होगया था इसलिए मैंने त्रिफला लेना बंद कर दिया । मैंने त्रिफला के चूर्ण को 1 2 3 के
ReplyDeleteअनुपात में लिया था और उसके सात मौसम के हिसाब से चोटी पीपल, शहेद,गुड,सेंधा नमक, खांड,सोंट मिलकर लिया था। बात ये है कि मै य फिर से लेना चाहता हूं और इसका पूरा फायदा लेना चाहता हूं में आशा करता हूं कि आप मेरी मदत करेंगे
धन्यवाद
त्रिफला के सारे फायदे उसी व्यक्ति को मिल सकते है जो सात्विक आचार विचार का पालन करता हो अन्यथा आप इसके केवल कुछ ही लाभ उठा पाएंगे,वास्तविक लाभ से वंचित रह जाएंगे
DeleteThanks
ReplyDeleteDhanyawad bahut acchi jankari
ReplyDeleteआयुर्वेद का विज्ञान अदभुत है भाई अगर आप किसी भी ओषधि उपगोग करना चाहते हो तो आस पास के किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह से करे ताकि उस ओषधि की अधिक लाभ उठा सको जय हिंद वन्देमातरम साथियों
ReplyDeleteबीरेंद्र सिंह गोधूलि वालो से बेटर नही मिलेगा बाबू मंद बुद्धिमान प्रसाद जी
Deleteफिर भी समझ न आये तो फोन पर बात करके अगर सम्भव हो तो जाकर मिल लो ताकि ज्ञान के सागर बीरेंद्र जी की मुख मंडल आभा से ओतप्रोत होकर ही आओगे
ओर फिर हमेसा पॉजिटिव ही बोला करोगे
हर बहेडा आँवला धी मिश्री संग खाये - हाथी दाँवे कांख मे बारह कोस तक जाये।
ReplyDeleteयह कहावत लगभग ६०साल पहले आम चलन में थी। सत्य का पता नहीं।
महोदय बहुत ही उत्तम जानकारी राम राम
ReplyDeleteVirendar Bhai kya Desi khand ki jagah misri ke
ReplyDeleteSath triphala let sakte h
👌👌सुंदर! धन्यवाद!🙏🌹
ReplyDeleteधन्यवाद , बोहत अच्छी जानकारी, क्या पतंजलि का त्रिफला चूर्ण इसके लिए सही होंगा?
ReplyDeleteuski quality ki jaankari nahi hai, hum to keval apna banaya hua hi lete hai. Jo hamari website Gaudhuli.com par bhi uplabdh hai
Deleteक्या इस प्रयोग हेतु मै पतंजलि का त्रिफला चूर्ण इस्तेमाल कर सकता हु?
ReplyDelete