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Showing posts from January, 2022

बच्चो के लिए व्रत का दिन है: संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ)

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बच्चो के लिए व्रत का दिन है: संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ) माघ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। हर महीने में दो चतुर्थी आती है, जिसमे एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की होती है। कृष्णा पक्ष की चतुर्थी को हम संकष्टी चतुर्थी कहते है और दूसरी यानि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हम विनायक चतुर्थी कहते है। साल में माघ मास के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी की सबसे अधिक मान्यता है, जिसे हम सकट चौथ के नाम से जानते हैं।  इस त्योहार को सकट चौथ, संकटा चौथ,  तिल चौथ ,  गणेश चौथ , वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी,  तिलवा ,  तिलकुट चौथ , शंकर चौथ, बहुला चतुर्थी, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है।  इस दिन माताएं अपने पुत्र की सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इस बार संकष्टि चतुर्थी (संकट चौथ) 21 जनवरी को होगी। इस दिन तिलकुट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेशजी को भोग लगाया जाता है।  इस दिन भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर दोबारा जीवनदान दिया था। इसी दिन भगव...

खिचड़ी के है चार यार! दही पापड़ घी अचार

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खिचड़ी की अनोखी कहानी!      खिचड़ी पूरे देश में किसी न किसी रूप में मिलती है। इसका नाम अलग हो सकता है मगर इसका स्वाद सबको भाता है। ऐसे में मन में एक सवाल उठता है कि आखिर खिचड़ी बनी कैसे?  ग्लोबल फूड एक्सपो द्वारा आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 में खिचड़ी को भारत की ओर से सुपर फूड का तमगा दिया गया था। खिचड़ी देश के कोने कोने में मौजूद है। मकर सक्रांति को कई जगह खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है। इस दिन भगवान को खिचड़ी चढ़ाई जाती है और प्रसाद बांटा जाता है और तिल, गुड़, खिचड़ी, पतंग उड़ाने और दान करने जैसी कई प्रथाएं निभाई जाती हैं। खिच्चा से बनी खिचड़ी!  खिचड़ी शब्द संस्कृत खिच्चा से बना है। लोक मान्यता के अनुसार मकर सक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा भगवान शिव ने शुरू की थी। इतिहास के पन्नों में खिचड़ी करीब 2500 साल पुरानी है। 1350 में भारत आए मोरक्को के सैलानी इब्न बतूता ने भी चावल मूंग दाल से बनी भारत की खिचड़ी का उल्लेख किया था। सोलवीं सदी में मुगल बादशाह जहांगीर ने गुजरात में कुछ ग्रामीणों को खिचड़ी खाते देखा। जब बादशाह ने खिचड़ी खाई तो है, उसके मुरीद हो गए।...

करोड़ो में एक परम वीर शक्तिशाली हो आप और हम!

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करोड़ो में एक परम वीर शक्तिशाली हो आप और हम! एक स्वस्थ नवयुवक पुरुष यदि रतिक्रिया करता हैं तो, उस समय जितने परिमाण में वीर्य निर्गत होता है उसमें बीस से तीस करोड़ शुक्राणु रहते हैं...यदि इन्हें सही स्थान मिलता, तो लगभग इतने ही संख्या में बच्चे जन्म ले लेते !  वीर्य निकलते ही बीस तीस करोड़ शुक्राणु पागलों की तरह  गर्भाशय की ओर दौड़ पड़ते है...भागते भागते लगभग तीन सौ से पाँच सौ शुक्राणु पहुँच पाता हैं उस स्थान तक।  बाकी सभी भागने के कारण थक जाते है बीमार पड़ जाते है और मर जातें हैं !!! और यह जो जितने डिम्बाणु तक पहुंच पाया, उनमे सें केवल मात्र एक महाशक्तिशाली पराक्रमी वीर शुक्राणु ही डिम्बाणु को फर्टिलाइज करता है, यानी कि अपना आसन ग्रहण करता हैं !! और यही परम वीर शक्तिशाली शुक्राणु ही आप हो, मैं हूँ , हम सब हैं !! कभी आपने सोचा है इस महान घमासान के विषय में ?  आप उस समय भाग रहे थे...तब जब आप की आँख नहीं थी, हाथ, पैर, सिर, टाँगे, दिमाग कुछ भी नही था....फिर भी आप विजय हुए थे !!  आप तब दौड़े थे जब आप के पास कोई सर्टिफिकेट नही था...किसी नामी गरामी कॉलेज की डिग्री नही थी...ना...