करोड़ो में एक परम वीर शक्तिशाली हो आप और हम!
करोड़ो में एक परम वीर शक्तिशाली हो आप और हम!
एक स्वस्थ नवयुवक पुरुष यदि रतिक्रिया करता हैं तो, उस समय जितने परिमाण में वीर्य निर्गत होता है उसमें बीस से तीस करोड़ शुक्राणु रहते हैं...यदि इन्हें सही स्थान मिलता, तो लगभग इतने ही संख्या में बच्चे जन्म ले लेते !
वीर्य निकलते ही बीस तीस करोड़ शुक्राणु पागलों की तरह गर्भाशय की ओर दौड़ पड़ते है...भागते भागते लगभग तीन सौ से पाँच सौ शुक्राणु पहुँच पाता हैं उस स्थान तक।
बाकी सभी भागने के कारण थक जाते है बीमार पड़ जाते है और मर जातें हैं !!!
और यह जो जितने डिम्बाणु तक पहुंच पाया, उनमे सें केवल मात्र एक महाशक्तिशाली पराक्रमी वीर शुक्राणु ही डिम्बाणु को फर्टिलाइज करता है, यानी कि अपना आसन ग्रहण करता हैं !!
और यही परम वीर शक्तिशाली शुक्राणु ही आप हो, मैं हूँ , हम सब हैं !!
कभी आपने सोचा है इस महान घमासान के विषय में ?
आप उस समय भाग रहे थे...तब जब आप की आँख नहीं थी, हाथ, पैर, सिर, टाँगे, दिमाग कुछ भी नही था....फिर भी आप विजय हुए थे !!
आप तब दौड़े थे जब आप के पास कोई सर्टिफिकेट नही था...किसी नामी गरामी कॉलेज की डिग्री नही थी...नाम नही था...आप का कोई पहचान ही नही थी !!
फिर भी आप जीत गए थे !!
बिना किसी से मदद लिए...बिना किसी के सहारे खुद अपने बलबूते पर विजय को प्राप्त हुए थे...!!
बीस तीस करोड़ शुक्राणुओं को आप ने हरा दिए थे...हैं न ?
और आज देखो ? थोड़ा बहुत भी तकलीफ या परेशानी आई और आप घबरा जातें हैं...निराश हो कर बैठ जातें हैं...
क्यों आप अपने उस आत्मविश्वास को गँवा बैठते हैं ??
अभी तो सब हैं आप के पास !! हाथ, पैर से लेकर मष्तिष्क तक ! मेहनत करने के लिए हाथ पैर हैं, प्लानिंग के लिए दिमाग हैं बुद्धि हैं ..
फिर भी आप निराश हो जीवन को नरक बना बैठे हैं..
.जब आप जीवन के प्रथम दिन प्रथम युद्ध नही हारे....
तो आज भी हार मत मानिये !
आप पहले भी जीतें थे...आज भी और कल भी जीतेंगे !!
बस प्रयास करना नहीं छोड़ना है जैसे तब नहीं छोड़ा था
ऐसा मुझे विश्वास हैं आप पर ,निर्णय आपके वश में है अब
Ek dam sahi kaha aapne
ReplyDeleteAmazing ...
ReplyDeleteNever lose the first game then how do we believe that we can not,we think we do
ReplyDeleteHard Nahi manni Chahiye pharma vaccine dalal se
ReplyDelete100./. Correct hai sirji
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ReplyDelete🙏
एकदम सही बात कही वीरेंद्र भाई आपने हम परिस्थितियों का रोना रो कर खुद को कम आंकने लग जाते है और या तो प्रयास करना छोड़ देते है या बे-मन से प्रयास करते है फिर ऐसे में किसी को भी सार्थक परिणाम कैसे मिलेंगे✍️
ReplyDeleteAdmavishvas badhane wala post👍
ReplyDeleteमार्मिक और प्रेरणादायक जिवन की हर लडाई को सामना करने की ऐक बढीया प्रयास
ReplyDeleteसत्य वचन ।
ReplyDeleteबहुत बढिया भइया जी
ReplyDeleteShi h ji apko khusi ho ham 2bhaiyo ne vecsin nhi lagayi h or organic kheti k liye thoda gyan Arjit kr rhe h ji
ReplyDeleteAaj mujhe apne aap par garv mehsoos ho rha hai
ReplyDeleteRight sir I salute
ReplyDeleteWah bhai ji fir utsah bhar diya apne.maja agya
ReplyDeleteउत्तम बात कही आपने
ReplyDeleteउत्तम बात कही आपने श्रीमान
ReplyDeleteaneeshbalani123@gmail.com se maine apki email bheji he kripya dekhiye
ReplyDeleteBilkul sahi kaha virendra bhai. hum sab aapke saath hain. aur me bhi apne field me safal hokar apne pure jeevan ko rajiv dixit ji ke adhure sapne ko pura karne me laga doonga!!!!!
ReplyDeleteजीवन की यही सच्चाई है जहां हम लड़ नहीं सकते थे वहां हम लडे और जीते भी और जब हम सक्षम है जीत सकते हैं वहां हम बिना लडे हार मान लेते हैं
ReplyDeleteअति सुन्दर लेख
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