बच्चो के लिए व्रत का दिन है: संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ)
बच्चो के लिए व्रत का दिन है: संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ)
माघ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है।
हर महीने में दो चतुर्थी आती है, जिसमे एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की होती है। कृष्णा पक्ष की चतुर्थी को हम संकष्टी चतुर्थी कहते है और दूसरी यानि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हम विनायक चतुर्थी कहते है। साल में माघ मास के कृष्णा पक्ष की चतुर्थी की सबसे अधिक मान्यता है, जिसे हम सकट चौथ के नाम से जानते हैं।
इस त्योहार को सकट चौथ, संकटा चौथ, तिल चौथ, गणेश चौथ, वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी, माघी चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी, तिलवा, तिलकुट चौथ, शंकर चौथ, बहुला चतुर्थी, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है।
इस दिन माताएं अपने पुत्र की सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इस बार संकष्टि चतुर्थी (संकट चौथ) 21 जनवरी को होगी। इस दिन तिलकुट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेशजी को भोग लगाया जाता है।
इस दिन भगवान शिव ने गणेश जी को हाथी का सिर लगाकर दोबारा जीवनदान दिया था। इसी दिन भगवान गणेश को बुद्धि का देवता होने का वरदान और समस्त विघ्नहर्ता होने का वरदान मां पार्वती एवं भगवान शिव से मिला था।
तभी से सभी माताएं इस दिन व्रत रखकर पुत्र की दीर्घायु की कामना करते हुए बुद्धिमान पुत्र की कामना करती है। इस बार चतुर्थी 21 जनवरी के दिन मघा नक्षत्र में होगी। यह दिन माताएं धूमधाम से मनाती हैं। जिन बालकों के ऊपर शनि की दशा हो, शनि की साढ़े साती हो या केतु राहु के कारण किसी बच्चे की कुंडली में सर्प दोष हो तो इस दिन माता व्रत रखकर गणेश पूजन रात्रि में करें। घर में तिल की मिठाई बना कर उसी का भोग लगाएं तथा विघ्न विनाशक मंत्र का जाप कर गणेशजी का अभिषेक करें।
संकष्टी चतुर्थी में बनाया जाता है तिल का पहाड़
माताएं संकष्टी चतुर्थी में गणेश जी की पूजा कर भगवान को भोग लगाने के बाद कथा सुनती हैं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही इस व्रत को संपन्न करती हैं।
इस दिन कई मंदिर व घरों में तिलकुट का पहाड़ बनाकर उसको भी काटे जाने की परंपरा है।
संकट चौथ के दिन गणेश जी के संकटमोचन का पाठ करना अच्छा माना गया है। भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। रात में चंद्रमा देखने पर अर्घ्य देती हैं और पूजा करती हैं। इस दौरान छोटा सा हवन कुंड भी तैयार किया जाता है। हवन कुंड की परिक्रमा करके महिलाएं चंद्र देव के दर्शन करती हैं और अपने बच्चों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।
भारतीय परंपरा में ऋतुअनुसार त्यौहार
भारत में त्योहारों में स्वास्थ्य कुंजी भी छिपी थी। जहाँ एक और पाश्चात्य संस्कृति में फादर्स डे, मदर डे आदि मनाया जाता है वही हम अपनी परम्पराओ का वहां करते हुए यथासंभव नियमो का पालन करते हुए ऐसे व्रत आदि को जीवित रखें। जहाँ एक और उपवास हमें स्वस्थ रखेगा वही अपने बच्चो के रक्षा का संकल्प के साथ रखा व्रत उनको हमारा आशीर्वाद देगा।
गणेश जी का संकट मोचन पाठ कोनसा है और विद्नविनाशक मंत्र कोनसा है यदि आपके पास जानकारी हो तो अवश्य दिजाएगा
ReplyDeleteमेने ये मंत्र ढूंढा है
इस संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके पाएं जीवन में सुख-समृद्धि -
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥