ठन्डे चूल्हो पर सिकती राजनीति की बासी रोटियाँ!
धर्म के मूल में अर्थ (धन) है जिसके बिना सब अनर्थ (निर्धन) है
धर्म और राष्ट्र की रक्षा बिना अर्थ के न हुई है न होगी
अब लोगों का डर कम हो रहा है। अधिकांश लोगों को समझ आ गया है। सब यही कहते हैं 'कुछ तो गड़बड़ है।' दुकानें खुल गयी हैं। हालांकि फिर भी लोगों को अपने आँख कान को खुला रखना होगा।
थाली और ताली पीटकर अब अपना सिर पीटना पड़ रहा है दिए जलाकर अपना कारोबार में ही आग लगवा ली
आप लोगों ने दुकानदारी बंद कर अपना रोजगार, व्यापार खुद चौपट किया है। इसके दोषी आप सब खुद हैं। क्योंकि आपलोगों की चुप्पी ने सरकारों का हौसला बढ़ा दिया था।
यह गलती फिर से मत कीजिएगा। बीमारी तो बाद में भूख और अवसाद पहले आपको चपेट में ले लेगा। इसलिए आगे से दुकान - रोजगार को बंद न करें।
अब सबको एक बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए। किसी भी कीमत पर काम - धाम पर लगाम नहीं लगाने देंगे।
अगर ऐसा होता है तो इसके खिलाफ बोलिए। आपके बच्चे को खाना आपका काम और रोजगार ही खिलाएगा।
साप्ताहिक बंदी के दिन भी अपने रोजगार को चालू रखें ताकि आपके नुकसान को कवर किया जा सके। सर्दियों में फिर से एक बार हवा उड़ाई जाएगी। उस वक्त फिर हाय तौबा मचाया जाएगा।
https://hindi.news18.com/news/world/after-covid-19-fear-of-a-twindemic-health-experts-push-urgently-for-flu-shots-dlaf-3206102.html
उस वक्त आप लोग तैयार रहिएगा दुकान, ऑफिस, कारखाने बन्द न कीजिएगा। व्यापार संगठन मिलकर सरकार से प्रश्न करें कि ऐसे कब तक चलेगा? पहले धंधे बंद करने से यदि वायरस नहीं रुका तो क्या प्रमाण है की दोबारा बंद करने से कोई लाभ होने वाला है जो अब तक अपना दुकान नहीं खोलें हैं , खोलना शुरू कीजिए। अब ज्यादा देर इंतजार ठीक नहीं है। आपका व्यापार ही आपकी ताकत है। अपने काम को अब पहले की तरह पटरी पर लाइए।
जब भूखे मरेंगे तो इनके दिए घटिया सरकारीर अनाज जानवर के खाने योग्य भी नहीं है
और अन्य का तो पता नहीं लेकिन सरकार के टुकड़ो पर पले ऐसी न तो इच्छा न हमारा स्वाभिमान। सरकारों के लिए आत्मनिर्भर प्रजा सदा संकट का विषय रही है अतः स्वयं पर निर्भर बनाकर उन्हें नियंत्रण में रखना सदा से यही प्रयास सरकारें करती रही है चाहे वो अंग्रेज़ो की हो या काले अंग्रेज़ो की। चाहे वो भूमि पर नियंत्रण हो, प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण हो या कर व्यवस्था द्वारा व्यापार पर नियंत्रण।
हम इनको चुनते है और ये हमे चुन चुन कर ख़त्म करते है बस इनसे प्रश्न मत करो!
मुर्दा नहीं ज़िंदा है और ज़िंदा है तो प्रश्न भी करेंगे और हल नहीं मिला तो सही समय आने पर हल ढूंढेंगे भी और ढुँढ़वाएंगे भी
Aap bilkul satik bolte ho man ki baat dil ko chu bhi liya aur aap ki taraf se hum modi ke uppar ka gussa bhi nikal lete hai
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