भारतीय अब भी सुरक्षित है, असली डर तो Indians को है!






भारतीय अब भी सुरक्षित है, असली डर तो Indians को है!
आस्था पर व्यवस्था भारी
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मन की बात कहूँ तो अब कोई फर्क नही पड़ता कि कोरोना वायरस सच है या षड्यंत्र। कल आनंद के साथ परिवार सहित हरिद्वार स्थित मनसा देवी और चंडी देवी के लगभग खाली पड़े मंदिरो में दर्शन कर इंडियंस को भारतीयता की समझ देकर विवेकपूर्ण निर्णय लेने की शक्ति देने की प्रार्थना की।
इस महामारी को इतना बड़ा स्तर देकर हम पर ज़बरदस्ती थोपा गया है परन्तु यदि भारत इंडिया न बन गया होता तो शायद देश में इस प्रकार की स्थिति न होती और हम अपनी देशी पद्धति से किसी भी स्तिथि से निपट लेते। परन्तु दुःख है की न तो अब कुछ लोगो को छोड़ दें तो अब न तो यह भारत रहा न ही इसके निवासी भारतीय क्योंकि सब इंडियन बन गए है।
जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह किया जा रहा है वह तो पूरे होकर रहेंगे। अब प्रश्न यह है कि यदि घर मे रहकर ही इससे निपटना है तो हम वह करेंगे जो हर स्थिति में सही है, वह नही जो WHO के अनुसार सही है।
राजेन्द्र दास जी महाराज के अनुसार हमने गोबर औऱ गोमूत्र के रस का अर्क निकाल कर उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है।
सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है WHO के निर्देशों के सामने घुटने टेकने के अतिरिक्त और उनके बताएं निर्देशों के अनुसार सब बंद करने के अतिरिक्त क्योंकि यदि नहीं करेंगे तो भी आलोचना होगी और और सरकारी तंत्र इतने बड़े देश में अपनी बुद्धि के अनुसार जिस पर अधिकतर विदेशी प्रभाव है उसी के अनुसार निर्णय थोपे जायेंगे।
इन निर्णयों का सम्मान वायरस के डर से नहीं अपितु अव्यवस्था से बचने के लिए हमे करना चाहिए। मेरे जैसे व्यक्ति और मेरा परिवार जो इस वायरस से या किसी भी वायरस रत्ती भर भी भयभीत है नहीं है उनको भी केवल एक सरकारी आदेश का पालन कर एकता की मिसाल देना आवश्यक है।
परन्तु घर पर रहकर परिवार के साथ समय व्यतीत करने का समय ईश्वर ने दिया है उसका आनंद लें
- कीबोर्ड रुपी कलम से अपनी बात बेबाकी से कहता
वीरेंद्र
Virendersingh.in

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