क्या "संभ्रांत वायरस" है कोरोना ?
"संभ्रांत" वायरस!
हर घटना के सकारत्मक पहलु होते है और कोरोना के भी है
इस कारण से की इसके डर से कम से कम लोग कई गलत आदतों को सुधार बेहतर जीवनशैली अपना रहे है जैसे मॉल, रेस्टोरेंट, स्कूल आदि जैसे तामसिक प्रवृत्ति के स्थानों पर कम जा रहे है घर का बना भोजन कर रहे है।
यह तो हुआ व्यंग्य अब गंभीर बात
लक्षणों से लगता है "कोरोना" बेहद "संभ्रांत" वायरस है। बस-ट्रेन का सफर इसे पसंद नहीं, सिर्फ फ्लाइट से घूमता है। सुप्रीम कोर्ट-हाइकोर्ट से नीचे की अदालतों में नहीं जाता। कक्षाओं में जाता है पर परीक्षाओं से दूर रहता है। लग्जरी होटल-रेस्टोरेंट में जाता है, लोकल ढाबों पर नहीं।
कॉन्फ्रेंस-विधानसभा वगैरह में जाता है, मेलों-सम्मेलनों और सरकारी कार्यालयों में नहीं।
मिट्टी में खेलकर बिना हाथ धोने वाले पर ये ध्यान नहीं देता लेकिन दिन में 48 बार हाथ धोने वाले इससे ग्रसित हो जाते है!
स्वभाव से तो ही विदेशी टाइप लगता है ये वायरस!
यदि यह इतना गंभीर है तो दिल्ली की भीड़ भरी मेट्रो और मुंबई की लोकल ट्रैन में तो इसका सबसे ज़्यादा खतरा होना चाहिए लेकिन वो तो चल रही है
इसका कारण है की जो लोग धुप का सेवन सहज रूप से अपने काम के साथ करते है, खूब श्रम करते है, सार्वजानिक परिवहन का प्रयोग करते है, AC का प्रयोग नहीं करते, शाकाहारी है, भारतीयता से जीते है , गोमूत्र, तुलसी, गिलोय, हवन आदि का किसी न किसी रूप में प्रयोग करते है उनको ऐसे षड्यंतो से कोई खतरा नहीं
31 मार्च तक स्कूल, मॉल आदि सब बंद करने की दिनांक तय की गयी है
ऐसा लगता है जैसे बीमारियां भी financial Year की क्लोजिंग के अनुसार विदा की जाएगी
सरकार को इतनी ही हमारे स्वास्थ्य की इतनी चिंता होती तो सिगरेट, गुटका शराब जैसे विष की फैक्ट्री कब की बंद कर देती लेकिन यह बीमारी जो लगता है की जैसे 1 अप्रैल को अचानक गायब हो जाएगी उसके बाद कुछ और हो न हो हर घर में हैंड Sanitizer जैसा खरतनाक उत्पाद सदैव के लिए घरो में अपना स्थान पक्का कर लेगा।
और यह कोई छोटी नहीं बहुत बड़ी मार्केटिंग रणनीति है
अब सरकार भी क्या करें वो हम जैसो की तरह निडरता से इसको षड्यंत्र समझ कुछ नहीं करेगी तो दुनिया और विवेकहीन और डरपोक जनता जीने नहीं देगी और यदि कुछ करती है तो इतने बड़े देश में अपनी सीमित बुद्धि से करती है की हास्यास्पद स्तिथि उत्पन्न हो जाती है
परन्तु व्यक्तिगत स्तर पर अपने परिवार को डर और भ्र्म से दूर रखकर ही ऐसे षडयंत्रो से बचा जा सकता है
#सेनिटायजर का काला बाजारी चालू हो गया 90रुपये कि जगह 400रुपये, 500रुपये में लोगों ने खरीदे हैं, 5दिन से तो किसीं भी मेडिकल मे मेरे यहा सॅनिटायजर उपलब्ध नहीं हैं। न मेडिकल स्टोर, न सप्लायर, न स्टोकिस्ट। भोले लोगों के इमोशन के साथ क्या खेल खेला जा रहा है..
अब हम चलें हमारे पारंपरिक सॅनिटायजर कि ओर वो और कोई नहीं "#फिटकरी" है (हायड्रेटेड पोटॅशियम अॅल्युमिनियम सल्फेट// K2SO4 Al2(SO4)3.24H2O)। जब आप फिटकरी के पानी से अपने हाथों को धोते हो या स्नान मे उपयोग करते हो तब कोई भी विषाणु आपके शरीर पर जिंदा नहीं रह सकता। गरम पानी में फिटकरी डालकर कुल्ले करने से गले और मुहं के विषाणु नष्ट होते हैं। इसलिए हमेशा फिटकरी का टुकड़ा अपने पाकेट मे रखें और स्वस्थ रहे।
कीबोर्ड रुपी कलम से
निडरता से विचार प्रस्तुत करते हुए
वीरेन्द्र
VirenderSingh.in
Comments
Post a Comment