मानवजाति का उपहास करती प्रकृति माँ! / Mankind's mistakes & Nature Enjoys!
मानवजाति का उपहास करती प्रकृति माँ!
मानव जगत के षडयंत्रो में जीवजगत का आनंद छुपा है
एक बात सुनी थी की यदि पृथ्वी से मधुमक्खी विलुप्त हो जाये तो मानवजाती 50 वर्ष में विलुप्त हो जाएगी और यदि मनुष्य विलुप्त हो जाये तो पूरी पृथ्वी 50 वर्ष में विषमुक्त हो जाएगी
आज मनुष्यजाति द्वारा किये गए कोरोना के षडयंत्र का आनंद प्रकृति ले रही है
जहाँ मनुष्यो के 3 दिन की अनुपस्थिति में पूरे देश में विभिन्न शहरो की सड़को पर वन्य जीव आनंद से विचरण कर रहे है। इन निरीह प्राणियों को क्या पता की इन कंक्रीट के जंगल उनके योग्य नहीं है
हे गोमाता की ही स्वरूपा नीलगाय अभी कुछ दिन बाद देखना यह मनुष्य तुमको कानून की और से मिली खुली आज्ञा के बिना किसी दया के गोली मार देगा।
हे पक्षियों! कुछ दिन बाद देखना जब यह सब अपने घर की क़ैद से छूटेंगे तो फिर से मांसाहार करने को इनकी लार टपकेगी
घर का खाना से तंग आये हुए फिर से भूखे सांड की तरह सड़कछाप और बाज़ारू खाने की ओर लपकेगा या ऑनलाइन आर्डर करेगा
फिर से अंतराष्ट्रीय पिज़्ज़ा बर्गर खाकर अपनी इम्युनिटी की माँ-बहन करेगा
कबाब, और शराब से फिर से अपने शरीर की फिर ऐसी तैसी करवाएगा
और जब फिर से कोई वायरस आएगा तो यही कुछ चटोरे अपनी इसी बाज़ारू आदतों के कारण जल्दी मरेंगे और उसका नुक्सान पूरा देश भुगतेगा।
लेकिन इनको खाने या जीवन सुधारने को कहो तो यह कहते है "My Life My Rules, तू कौन है मुझे रोकने वाला?"
तो अब मेरा उत्तर यही होगा की: मैं वो हूँ बेटा, जो तेरे जैसे चटोरो, शराबी और कबाबीयों के कारण, ढंग से भारतीयता से भोजन पानी से जीकर भी और अच्छी इम्युनिटी होकर भी घर में बंद होकर रहा क्योंकि तेरे जैसे कमज़ोर शरीर वाले थोड़े बहुत भी वायरस से मरेंगे तो सरकार हम सबके डंडा कर देती है।
लेकिन अब किसको दोष दें क्योंकि सरकार तो दारू, सिगरेट, जंक फ़ूड के देसी और इंटरनेशनल ब्रांड आदि बंद करने से रही।
तो हे वन्यजीवों न आओ इन शहरो में क्योंकि यहाँ के जानवर जब निकलेंगे तो तुम्हारी जान"हर" लेंगे
दुनिया का हर जीव इसने मारा
डर कर घर में बैठा है
यह आज एक अदृश्य जीव से है हारा
कीबोर्ड रुपी कलम से
प्रकृति के न्याय का धन्यवाद करता
- वीरेंद्र
VirenderSingh.in
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