भारत में अंग्रेजी राज का बही-खाता / The Balance Sheet of British Rule in India



हाल ही में मैं पहली बार अमृतसर की यात्रा पर गया एवं कई नई जानकारियां वहां के विभाजन संग्रहालय (Partition Museum) से मिली।  जिसमे से कुछ मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ।  


पाठको की सुविधा के लिए हमने इसका हिंदी में अनुवाद भी कर दिया है  

कुछ शब्द: 

अपने जीवन में बहुत से लोगो से मिला जो अंग्रेजी राज को भारत के लिए वरदान मानते है, इसमें उनकी गलती भी नहीं मानता हूँ क्योंकि इसमें दोष उनका नहीं है अपितु उस षंडयंत्र का है जिसकी योजना अंग्रेजी शासन के समय ही बन गयी थी जिसका परिणाम यही होने वाला था की भारत की आने वाली पीढ़ियां अंग्रेज़ो से तो तथाकथित रूप से स्वतंत्र हो जाये परन्तु मानसिक रूप से अंग्रेज़ियत के गुलाम बने रहे।  मेरा यह मत है की वह अपनी इस योजना में सफल भी हो गए है।  अंग्रेज़ो ने जो भारत के साथ किया वैसा वह हर उस देश के साथ करते थे जिसको वो गुलाम बनाते थे।  अपनी धूर्तता को मित्रता का मुखौटा पहना कर उन्होंने भारत के लोगो की अपने अतिथि देवो भवः की भावना को सर्वोपरि मान उनको आदर दिया परन्तु जब तक भारत के लोग उनके धोखे को समझ पाते भारत उनके चंगुल में आकर इंडिया बनने की और अग्रसर हो चुका  था।  इसपर विस्तार से  किसी और पोस्ट में लिखूंगा ।  


अंग्रेजी राज की प्रशंसा करने वालो ने भारत की उन तस्वीरो और वीडियो को देखा है जो दुर्भाग्यवश फोटग्राफी के अविष्कार होने तक अंग्रेज़ो द्वारा आर्थिक, सामाजिक एवं हर दृष्टि से निचोड़ा जा चुका था।  उन्ही चित्रों और वीडियो को बचपन से देख देख कर उनके मन में यह बैठ गया है की भारत तो अंग्रेज़ो के कारण ही सभ्य बन पाया अन्यथा पिछड़ा ही रह जाता।  परन्तु सत्य है स्थिति इसके विपरीत थी की यदि अँगरेज़ भारत को नहीं गुलाम बनाते तो आज वो उतने समृद्ध नहीं होते जितने वर्तमान में है।  

 धर्मपाल जी के शब्दों में कहूं तो भारत को जितना अपमानित और नष्ट अंग्रेज़ो ने किया उतना शायद किसी और ने नहीं किया क्योंकि बाकी सभी अक्रान्ताओ ने भारत पर आक्रमण, अत्याचार किया, लूटा या जो उन्हें प्राप्त करना था लेकर वापस अपने देश चले गए या यही बस गए। परन्तु भारत की मूल व्यवस्थाओ को कभी भी जड़ से समाप्त करने का न प्रयास किया न ही षड्यंत्र।  

अंग्रेज़ो ने भी भारत को लूटा, अत्याचार किया परन्तु सबसे भीभत्स कार्य जो उन्होंने किया जिसका प्रभाव आज तक और भविष्य में भी रहेगा वह है भारत रुपी वट-वृक्ष की जड़ो को खोद कर उसे सूखने के लिए छोड़ दिया। जिसके लिए उन्होंने यहाँ मूल व्यवस्थाओ के साथ ऐसे-ऐसे षड्यंत्र किए जिसने भारत की दिशा पूर्णतः गलत दिशा में मोड़ दी.

           - वीरेंद्र के विचार 

इसको विस्तार से जानने के लिए धर्मपाल जी को पढ़ना अति आवश्यक है

धर्मपाल जी की पुस्तकें शीघ्र ही Gaudhuli.com पर उपलब्ध होगी।   

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1) प्रथम चित्र है जिसमे भारत के लोगो का अपमान करने के विविध उपायों में से एक उदाहरण यहाँ प्रस्तुत है:-  






Certified that _________ son of __________ of Lahore in the District of Lahore, is entitled to receive a Chair when visiting European officers in the Lahore Divisions.

Lahore                Commissioner
Date: 15th Jan 1919 Lahore Division


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हिंदी अनुवाद: 

प्रमाणित किया जाता है कि लाहौर लाहौर जिले के निवासी ................... पुत्र ...................
को लाहौर मंडल के यूरोपीय अधिकारियो को मिलते समय उनके सामने कुर्सी पर बैठ सकता है।

स्थान: लाहौर आयुक्त
दिनांक: 15 जनवरी 1919 लाहौर मंडल


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2 ) प्रथम दस्तावेज़ जिसकी तिथि ज्ञात नहीं परन्तु यह "हिंदुस्तान ग़दर" नाम के हिंदी अखबार का अंग्रेजी अनुवाद अमेरिका में स्थित उसके कार्यालय द्वारा किया गया।  
अंग्रेजी शासन द्वारा किये गए अन्यायों का एक संक्षिप्त परन्तु मार्मिक विवरण है





 The Balance Sheet of British Rule in India
Some main points:

1)  Englishmen drain from India and take to England every year 50 crores of rupees ($167 million);  consequently  the Hindus have become so poor that the daily average income per capita is only 5 paisa (2.5 cents)

2)  The land tax is more than 65 percent of the net produce.

3)  The expenditure for 240 million (24 crore population) person on
       Education: 7¾ crores of rupees ($25,000,000)
       Sanitation: 2 crore of rupees ($6,000,000) 
       But on army: 29 ½ crore of rupees ($97,000,000)

4) Under British rule, the famines are ever on the increase, and in the last ten years 20 million (2 crore) men, women and children have died of starvation.

5)  From the plagues, 8 million (80 lakh) deaths have occurred during the last sixteen years, and the death rate during the last 30 years has steadily increased from the 24 per mile to upto 34 per mile.

6) Means are employed to spread disunion and disorder in the native states and to increase British influence there.

7) Englishmen are not punished for murdering Hindus and for insulting Hindu women.

8) From money taken from the Hindus, aid is given to English Christian priests.

9) Attempt is always made to create enmity between people of different religious denominations.

10) The arts and crafts industries of India have been destroyed for England’s benefit.

11) Employing India’s money and sacrificing the lives of the Hindus (as soldiers), China, Afghanistan, Burmah, Egypt and Persia have been conquered.

PUBLISHED BY
THE HINDUSTAN-GADAR OFFICE
1324, Valencia Street
San Francisco, California, U.S.A

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हिंदी अनुवाद: 

भारत में अंग्रेजी राज का बही-खाता

मुख्य बिंदु:



1) अंग्रेज़ हर वर्ष भारत से 50 करोड़ रूपए ले जाते है जिस कारण भारतीय इतने गरीब हो गए है की दैनिक प्रति व्यक्ति आय केवल 5 पैसे रह गयी।

2) भूमि कर कुल उपज का 65 प्रतिशत से भी अधिक है।

3) भारत की 24 करोड़ लोगो की जनसँख्या पर खर्च:

शिक्षा - लगभग 7 करोड़ रूपए
सफाई - 2 करोड़ रूपए
परन्तु सेना पर - 29.5 करोड़ रूपए

4) ब्रिटिश राज में अकाल में सदैव बढ़ोतरी ही हुई एवं पिछले दस वर्षो में 2 करोड़ स्त्री, पुरुष और बच्चे अकाल से पीड़ित ही भूख से मारे गए है

5) महामारी के कारण पिछले 16 वर्षो में 80 लाख लोग मारे गए एवं पिछले तीस वर्षो में मृत्यु दर 24 व्यक्ति प्रति मील से बढ़कर 34 व्यक्ति प्रति मील हो गई है

6) विभिन्न उपायों से भारत के राज्यों में फूट और अव्यवस्था फैलाई जाती है जिस से अंग्रेजी राज का प्रभाव बढ़ सके।

7) भारतीय पुरुषो की हत्या एवं स्त्रियों के अपमान का कोई दंड अंग्रेज़ो को नहीं दिया जाता।

8) भारतीयों से लूटा हुआ धन ईसाई पादरियों को धर्म प्रचार के लिए बांटा जाता है।

9) भारत के विभिन्न धार्मिक मतो के बीच भेदभाव एवं शत्रुता उत्पन्न करने के प्रयास अंग्रेजी सरकार द्वारा सदैव किये जाते है।

10) अंग्रेजी व्यापार को लाभ देने के लिए भारत की कलाओ और विभिन्न कुटीर उद्योगों को नष्ट कर दिया गया।

11) भारत के लुटे हुए धन एवं भारत के लोगो का सैनिको के रूप में बलिदान लेकर ही अंग्रेज़ो ने चीन, अफ़ग़ानिस्तान, बर्मा, मिस्र एवं फ़ारस देश (ईरान) पर विजय प्राप्त की।

प्रकाशक:
हिंदुस्तान-ग़दर कार्यालय
1324, वेलेंशिया रोड
सैन-फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका


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कुछ अन्य चित्र जिनका अनुवाद अभी करने का समय नहीं निकाल पाया हूँ

11 अगस्त 1943 से  30 जून 1949 तक रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के तीसरे गवर्नर रहे सी.डी.  देशमुख के हस्ताक्षर वाला 10 रूपए का नोट







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