प्यास लगी थी गजब की…मगर पानी मे जहर था… पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते. बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता!!! सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब…।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।। “हुनर” सड़कों पर तमाशा करता है और “किस्मत” महलों में राज करती है!! दौलत की भूख ऐसी लगी कि कमाने निकल गए दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए बच्चो में रहने की फुरसत न मिली कभी फुरसत मिली तो बच्चे खुद कमाने निकल गए “शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता”.. अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!! जवानी का लालच दे के बचपन ले गया…. अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. …… लौट आता हूँ वापस घर की तरफ… हर रोज़ थका-हारा, आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ। “थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…!!” भरी जेब ने ‘ दुनिया ‘ की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ‘ अपनो ‘...
त्रिफला कल्प जानिए 12 वर्ष तक लगातार असली त्रिफला खाने के लाभ! गोधूली परिवार द्वारा प्रमाणित सर्वश्रेष्ठ त्रिफला गुरुकुल प्रभात आश्रम का *त्रिफला सुधा* त्रिफला के विषय मे यह कहावत प्रसिद्द है कि हरड़ बहेड़ा आंवला घी शक्कर संग खाए हाथी दाबे कांख में और चार कोस ले जाए (1 कोस = 3-4 km) अर्थात त्रिफला का यदि सही प्रकार से सेवन किया जाएँ तो शरीर का कायाकल्प हो सकता है वाग्भट्ट ऋषि के अनुसार इस धरती का सर्वोत्तम फल है जो आपके वात, पित, कफ को संतुलित कर आपको निरोगी बनाने की क्षमता रखता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार वात, पित, कफ के असुंतलन से शरीर में रोग आते है आज हम सरल भाषा जानने का प्रयास करेंगे कि 12 वर्ष तक त्रिफला लेने के क्या है लाभ! त्रिफला कैसे बनाएं? आयुर्वेद के अनुसार तीन फलों (हरड़, बहेड़ा, आँवला) के मिश्रण का नाम “त्रिफला” है अष्टांगहृदयम के अनुसार तीनो फलों का अनुपात इस श्लोक में वर्णित है अभयैका प्रदातव्या द्वावेव तु बीभीतकौ। धात्रीफलानि चत्वारि प्रकीर्तिता । । अर्थात एक हरीतकी, दो बहेड़ा और तीन आँवला - इनको एक निश्च...
Direction to use Guru Chela Akela : Version 1.1 Click here to know about New Protocol: Version 1.2 गुरु-चेला और अकेला की खुराक तैयार करने के लिए चरणबद्ध निर्देश: चरण 1: सुई लगने के बाद आपके रक्त में हो रहे बदलावों को जानने के लिए यह टेस्ट करवाएं 1. D-Dimer - यह टेस्ट आपके शरीर में थक्को को पहचानने में सहायता करता है (सामान्य सीमा– 0 से 500ng/ml (0.00 - 0.5 ug/ml है) 2. Haematology: Hb, RDW, platelets, WBC, अन्य मानक पैरामीटर 3. लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT) चरण 2: एक स्थायी ब्लैक मार्कर के साथ 1 लीटर प्लास्टिक/कांच की प्लास्टिक कैप वाली बोतल की व्यवस्था करें। इस मार्कर के साथ, खाली बोतल पर 8 बराबर भागों को चिन्हित करें जैसा की चित्र में दिखाया गया है चरण 3: गुरु चेला और अकेला की नई बोतलें खोलने की विधि: बोतल के ढक्कन को कसकर बंद करें और उसे खोलें। कैप में स्वयं छेद करने की व्यवस्था है जिस से उसकी सील टूट जाएगी। यदि स्वयं छेद नहीं होता है तो एक पिन का उपयोग करें और उसमें छेद करें। चरण 4 : एक लीटर की बोतल का ढक्कन लें और उसे कपड़े से अच्छी...
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