प्रेम और अश्लीलता में अंतर!


प्रेम और अश्लीलता में अंतर!


कुछ दिन पहले की बात है कि दिल्ली मेट्रो में मैं अपनी बेटी के साथ सफर कर रहा था। मेट्रो में बैठने का स्थान नही था। फिर भी बहुत कम लोग खड़े थर। लगभग 25 वर्ष के एक लड़का और लड़की जो शायद प्रेमी थे उन्होंने अपनी वासना को प्रेम समझकर अश्लीलता के साथ हमारे सामने प्रदर्शित करना शुरू कर दिया। और इस काम मे लड़के से ज़्यादा उद्दंडता लड़की कर रही यही। जिसमे लड़का थोड़ा जनता का लिहाज कर स्वयं को बचा रहा था। मैं सामने बैठा था और मेरी आँखों मे गुस्सा और नाराज़गी उसने पढ़ ली थी। लेकिन लड़की ने उसे कहा कि "क्यो डर रहे हो"? फिर न जाने किस डर से वह लड़का भी पूरी तरह उसका साथ देने लगा। बिना शर्म के लिपटना, चुम्बन सब शुरू हो गया।  आसपास बच्चे, वृद्ध, महिलायें सभी आयु के लोग थे। खाली मेट्रो होने के कारण उनकी क्रिया कुछ के लिए मनोरंजन और अधिकांश के लिए शर्मिंदगी बन गयी। परंतु किसी भी व्यक्ति की उन्हें मना करने की हिम्मत न हुई। मेरी बेटी भी इस दृश्य को देख असमंजस में थी।   उनकी हिम्मत बढ़ती गई तो मुझसे रहा नही गया। पिछले कुछ अनुभवों के कारण मुझे पता था कि मेरे खादी के कुर्ते और पायजामा के कारण यह मुझे कोई अनपढ़ समझने वाले है फिर भी मैंने उन्हें हिंदी में कहा - "आप लोग थोड़ा शर्म करिये यहां बच्चे, बूढ़े, महिलाओं का थोड़ा लिहाज करें।"
जैसा कि मुझे आशा थी लड़की ने ही उत्तर दिया कि
"किसी और को तो प्रोब्लम नही है, आपको ही क्यो हो रही है"
लड़के ने भी हिम्मत दिखाई और बोला
"आप कही और बैठ जाओ, it's our life."
सभी लोगो अब मेरी ओर देखने लगे कि मैं क्या बोलता हूँ। बेटी साथ मे थी उस कारण अपनी मर्यादा में रहकर इतना ही बोला कि
"किसी और को प्रॉब्लम इसीलिय नही है क्योंकि तुम्हारे इस बेशर्मी से केवल ज़िंदा लोगो को फर्क पड़ेगा, मरे हुए लोगों को नही।" तुम दोनों के सामने इनमे से कोई तुम्हारा सगा बाप, माँ, भाई या बहन नही है इसीलिए तुम यह सब कर रहे हो लेकिन मेरे साथ मेरी बेटी है उसके सामने तुम्हारा यह फूहड़पन बर्दाश्त नही करूँगा!"
मेरे इतना कहने की देर थी कि सारे लोग क्रिकेट में छक्का लगने के बाद वाले जोश में आये और एक दम से ज़िंदा हो गए। उन दोनों को टोकना शुरू किया। जब महिलाओ, बुज़ुर्गो ने कहा कि "हम भी बहुत देर से देख रहे थे इनकी बेशर्मी। हमारा गांव होता तो इनको सबक सिखा देते।"
खैर वो दोनों खिसिया कर अगले स्टेशन पर उतर गए।
परंतु मेरे दिमाग मे कुछ प्रश्न भी छोड़ गई थी।

इसपर चिंतन चल ही रहा था कि आज एक खबर आई कि कोलकाता मेट्रो में ऐसे ही एक जोड़े की अश्लील हरकतों के कारण उनकी यात्रियो ने पिटाई कर दी।
और मीडिया ने इस जोड़े को असहाय और निर्दोष सिद्ध कर उनके फूहड़पन को सही ठहराने के प्रयास किया।

लोग भी टिपण्णी करने लगे कि

 "भारत मे अभी भी दकियानूसी मानसिकता है।"
 
"शहरों में भी खाप पंचायतों जैसा राज है।"

मोमबत्ती वाले मार्च निकालने की तैयारी चल रही है।
और न जाने क्या क्या?

पिछले कुछ वर्षों से मेरा यह अनुभव रहा है कि देश के मीडिया ऐसी किसी भी खबर को जिसमे मानस को बिगाड़ने की मानसिकता को बल मिलता है उसे सही ठहराने का भरसक प्रयास चल रहा है।

हमारे मनोरंजन द्वारा अपनी जीविका कमाने वाले फिल्मी भांडो के फिल्मी आचरण को अपने वास्तविक जीवन में उतारने के भयंकर परिणाम सामने आने लगे है।

- विरेंद्र

Comments

  1. आपका साधुवाद, आपने बिलकुल सही फ़रमाया। अश्लीलता का विरोध करने पर आजकल व्यक्ति को दकियानूसी या conservative कह दिया जाता है। इस मुद्दे पर बात करनी बेहद आवश्यक थी। आपने हम सभी को प्रोत्साहित किया है। धन्यवाद

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

प्यास लगी थी गजब की…मगर पानी मे जहर था…

त्रिफला खाकर हाथी को बगल में दबा कर 4 कोस ले जाएँ! जानिए 12 वर्ष तक लगातार असली त्रिफला खाने के लाभ!

डेटॉक्स के लिए गुरु-चेला और अकेला को कैसे प्रयोग करें (संस्करण -1.1)/ How to use Guru Chela and Akela for Detox - (Version - 1.1) - with English Translation