विदेशी ज़हर का विकल्प भारतीय ज़हर न हो!
मैं रामदेव जी के उत्पादों का न समर्थक हूँ न विरोधी
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विदेशी ताक़ते बहुत खुश है की रामदेव जी अगले टाटा, और अम्बानी बनने जा रहे है
ऐसा इसीलिए क्योंकि भले ही रामदेव जी के कारण उनकी कंपनियों का माल बिकना कम हो रहा है लेकिन भारतीयों को बीमार कर देश को कमज़ोर करने के जिस उद्देश्य से उनका माल वो बेच रहे थे वो उद्देश्य रामदेव जी जैसे कई लोग भी पूरा कर रहे है
विदेशी दिनचर्या जिसमे डिब्बाबंद जूस, टमाटर की पुरानी चटनी अर्थात ketchup, नूडल्स, जीन्स, रिफाइंड तेल, आयोडीन नमक, केमिकल से भरे वाशिंग powder, साबुन आदि प्रयोग होते है उसी दिनचर्या का तो प्रचार हो रहा है और इसीलिए अन्तराष्ट्रीय माफिया भी पतंजलि को फलने फूलने दे रहा है
अब राजीव दीक्षित जी के छोटे भाई प्रदीप दीक्षित जी ने भी यही राह अपनाते हुए रामदेव जी की तर्ज़ पर सभी उत्पाद बनाने शुरू कर दिए है जिसमे केमिकल वाले जूस आदि भी शामिल है।
विदेशी कंपनियों के हर उत्पाद का विकल्प देने की जो रणनीति इन्होने
अपना ली है उसपर मेरा यह मानना है की सही भी है और गलत भी
सही है क्योंकी?
जिन लोगो को Ketchup, Maggi, डिब्बाबंद फलो का रस आदि धीमे ज़हर खाने का शौक है उनके लिए तो भारतीय धीमे ज़हर का विकल्प देकर बहुत अच्छा किया
"क्योंकि अगर ज़हर खाकर मरना ही है तो भारतीय ज़हर खाकर मरो"'
कम से कम वो पैसा विदेशी कंपनी को तो नहीं जायेगा
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गलत है क्योंकि?
हर ज़हर का विकल्प देने का ठेका लेना भी मुर्खता है क्योंकि ऐसे तो कल को पेप्सी और कोका कोला का भी भारतीय संस्करण लाना पड़ेगा
सोडियम बेंजोएट जैसे कैंसरकरक synthetic preservative मिलकर बने फलो के रस और दांत साफ़ करने का पेस्ट बनाया जा रहा है जिसमे colgate, pepsodent की तरह ही धीमे विष मिले है
जूनियर दन्त कांति में भी पढेंगे तो उसमे भी सोडियम बेंजोएट मिला है .
टाटा और अम्बानी जैसा बनने की दौड़ में हम आने वाली पीढ़ी को कमज़ोर और बीमार करने का जाने अनजाने जो पाप कर रहे है उसका कुकर्म का फल बहुत ही भयंकर होगा यह ऐसे सभी महत्वाकांक्षी तथाकथित महापुरुषो को समझना होगा.
उदहारण के लिए नूडल्स का उदहारण निचे दे रहा हूँ **************************************
जैसे दिए गए चित्र में पतंजलि के द्वारा मैगी का विकल्प निकाला गया है
परन्तु इसे वही लोग खाए जो मैगी नहीं छोड़ सकते और अपने बच्चो के स्वस्थ्य के प्रति बिलकुल लापरवाह है
परन्तु जो इस प्रकार के उत्पादों को जीवन में जगह नहीं देते उनके लिए यह उत्पाद उपयुक्त नहीं
कारण क्या है?
इस उत्पाद में स्वाद बढ़ाने के लिए (E631, E627, E415) मिलाये गए है जो हानिकारक हो सकते है
Wikipedia के अनुसार:
E631 को Disodium inosinate कहते है
(https://en.wikipedia.org/wiki/Disodium_inosinate)
विकिपीडिया के अनुसार E631 सुखाई गयी मछली या सूखे शैवाल (seaweed) से बनाया जाता है और अक्सर नूडल्स, आलू के चिप्स और अन्य डिब्बाबंद बाजारू भोजन में इसको डाला जाता है
Disodium guanylate is produced from dried fish or dried seaweed and is often added to instant noodles, potato chips and other snacks, savoury rice, tinned vegetables, cured meats, and packaged soup.
विकिपीडिया आगे लिखता है की E631 छोटे बच्चे जो 12 सप्ताह से छोटे है उनके लिए बहुत हानिकारक है और दमा, गठिया के मरीजों को तो विशेष रूप से इस से बचने की सलाह दी जाती है
और शाकाहारियो को इसे लेने से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि अधिकतर यह मछली से बनता है लेकिन इसका शाकाहारी विकल्प की प्रमाणिकता जांचकर ही शाकाहारियो को इसका सेवन करना चाहिए
Disodium guanylate is not safe for babies under twelve weeks, and should generally be avoided by asthmatics and people with gout, as guanylates are metabolized to purines. However, the typical amounts found in food are generally too low to produce significant side effects.[2] Since it is often produced from fish,vegans and vegetarians may wish to avoid it unless the product is specifically labeled as vegan or vegetarian. Such labels require the use of non-animal derived sources, such as seaweed or yeast.
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अब बात करते है E627 की
इसे Disodium Guanylate भी कहते है
इसके बारे में wikipedia लिखता है
(https://en.wikipedia.org/wiki/Disodium_guanylate)
की यह मांस और मछली से बनता है और मांसाहारी होने के बावजूद इसको साबूदाना (Topioca Starch) से बनाया जा सकता है जो शाकाहारी है
Disodium inosinate is generally produced from meat or fish. Though it is normally a non-vegetarian product, it may be produced from tapioca starch without any animal products involved in the production. The producer can provide information on the origin and it is in some cases labeled as "vegetarian" in ingredients lists when produced from plant sources
लेकिन मेरा मानना है साबूदाना की शुद्धता पर भी बहुत बड़े सवाल खड़े है क्योकि इसे बनाने का राजीव भाई के अनुसार शाकाहारी नहीं रहा अब
इस विडियो के अनुसार
https://www.youtube.com/watch?v=733RlrQ42YU
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अगला है E415, इसे Xanthan Gum भी कहते है
(https://en.wikipedia.org/wiki/Xanthan_gum)
विकिपीडिया में पहली लाइन में ही लिखा है की
Xanthan gum is a polysaccharide secreted by the bacterium Xanthomonas campestris
जिसका अर्थ है की जो बैक्टीरिया हमारी फलो और सब्जियों को बासी होने पर उनमे काले धब्बे पैदा कर देता है उसी बैक्टीरिया के मल से यह Xanthan gum बनायीं जाती है
जी आपने सही पढ़ा उसके मल से!
Xanthan Gum का प्रयोग डिब्बाबंद खाद्य पदार्थो, टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन, गोंद बनाने में प्रयोग होता है उसका गाढ़ापन बढ़ाने के लिए
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अब बड़ा प्रश्न यह है की क्या किया जाये
शाकाहारी और स्वस्थ रहने के इक्छुक, नूडल्स विरोधी लोग कृपया इस से बचे
मांसाहारी और तामसिक बीमारियों के प्रेमी लोग विदेशी नूडल्स की जगह इसे खाए और देश का पैसा बचाए
दोनों ही परिस्थियों में फायदा है एक में देह का और एक में देश का
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जनहित में प्रेषित
वीरेंद्र सिंह की लेखनी से
9212435203
Gaudhuli.com
FB.com/bhairajivdixit
FB.com/virendersingh16
https://www.youtube.com/virendersingh16
यह पोस्ट केवल जानकारी के लिए है
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