कोलगेट - न तब सच्चा, न अब सच्चा

कोलगेट - न तब सच्चा, न अब सच्चा
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मेरे अनुसार आज के समय में वास्तविक अंधकार दो प्रकार के है
एक अज्ञानता का और एक मुर्खता का?
जब तक हमे नहीं पता था की कोल्गेट जैसी कंपनी ने हम भारतवासियों को बेवकूफ बनाया है तक तक अज्ञानता के अन्धकार में हम इसे प्रयोग कर रहे है

लेकिन इस पोस्ट के माध्यम से यदि हमें इसकी सच्चाई पता चली है और हम अभी भी इस जैसी कंपनियों का सामान प्रयोग करते है तो वो होगा मुर्खता का अंधकार
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Colgate 1985 - नमक और कोयले जैसे खुरदुरे पदार्थ आपके दांतों के इनेमल की परत को नुक्सान पंहुचा सकते है

2018 - Salt Fights Germs & New Colgate Total Charcoal Deep Clean
अर्थात नमक कीटाणुओं से लड़ता है और कोयला गहरी सफाई करता है

यह कंपनिया जो पहले हमारी विश्वास की जड़ो को विज्ञापनों से हिलाने का दम रखती है अब गद्दार सिबाका (Cibaca) कंपनी के साथ मिलकर "वेद शक्ति" नाम से उत्पाद निकल देती है मतलब की जिस भारत का इसने पहले यह विज्ञापन करके मज़ाक उड़ाया

" शरीर के लिए इतना कुछ और दांतों के लिए कोयला"

और अब उसी भारत के वेद के नाम का प्रयोग कर फिर से वही झूठ फैला रहा है

या तो ये तब भी झूठे थे और अब भी झूठे है
या तो यह तब सच्चे थे या अब सच्चे है
या हम तब भी मूर्ख थे और अब भी मूर्ख है

इस बार मूर्ख नहीं बनना है चाहे भारतीय हो या विदेशी किसी भी प्रकार का टूथपेस्ट प्रयोग नहीं करना है

- जनहित में जारी
विरेंद्र द्वारा
भ्रमित भारतीयों के भ्रम का भ्रमण

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सभी टूथ पेस्ट ब्लड कैंसर कारक है?
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जिस टूथपेस्ट को खाया नहीं जा सकता उसे कैसे दातों में प्रतिदिन घिसा जा सकता है ?
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प्रधानमंत्री बनते ही मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया। शायद घर के बाहर पड़ा कूड़ा, रेलवे स्टेशनों पर पड़ा कूड़ा, सड़कों पर पड़ा कूड़ा नदियों के घाटों पर पड़ा कूड़ा मोदी जी को और हम सबको बुरा लगता है, और लगना भी चाहिए।

किन्तु क्या कभी हमने इन उपरोक्त कचरे के अलावा इनसे भी बड़े रासायनिक कचरे के बारे में भी कभी सोचा है? जो पंचमहाभूतों से बने इस सुंदर शरीर को प्रतिदिन दूषित करता है। पिछले लगभग 30 सालों में हमने जहरीले रसायनों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है जिसमें सबसे प्रचलित और जहरीला रसायन है "टूथपेस्ट"।

स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित के ज्ञान के सानिध्य में रहकर टूथपेस्ट जैसे खतरनाक रसायन को प्रयोग नहीं करने के पीछे हमने कुछ प्रयोग और तर्कों का विकास किया।

इस विषय की गंभीरता एवं खतरों को कुछ साधारण प्रश्नों के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं।

गोधूलि परिवार के माध्यम से हमने, किसी भी कंपनी का टूथपेस्ट (रासायनिक या आयुर्वेदिक) करने वाले लगभग 200 लोगों का सर्वेक्षण किया और लोगों को अपने टूथपेस्ट करने की आदत पर हैरानी और ग्लानि हुई। आइए इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देकर हम भी इस सफाई अभियान की माया को समझने का प्रयास करें।

ध्यान देंः यह प्रश्न रासायनिक और आयुर्वेदिक टूथपेस्ट करने वालों के लिए एक समान हैं। कृप्या आयुर्वेदिक टूथपेस्ट करने वाले अपने आप को इससे अलग कतई ना समझें।

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प्रश्न 1. क्या आप अपना टूथपेस्ट खा सकते हैं?

उत्तरः यह कैसा प्रश्न है? निश्चित रूप से नही खा सकते। आजतक नही खाया। टूथपेस्ट भी कोई खाने की चीज है?
केंद्र पर किये 200 लोगों के सर्वेक्षण में अभी तक किसी व्यक्ति ने पेस्ट को खाना स्वीकार नही किया।
अर्थातः अगर टूथपेस्ट खाने योग्य नही है तो मुँह में डालने योग्य बिल्कुल भी नही है क्योंकि टूथपेस्ट मुह में डालते ही उसके बहुत से अंश लार या थूक के माध्यम से पेट में अवश्य जाते हैं।

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प्रश्न 2ः टूथपेस्ट करने के बाद आप कितनी बार कुल्ला करते हैं?

उत्तरः 4-5 बार। अधिकतर लोगों ने यही उत्तर दिया। क्योंकि इससे ज्यादा बार कुल्ले करने का समय किसी के पास नही होता।
अर्थातः टूथपेस्ट करने वाले कुछ लोगों से आग्रह किया एक बार 50 बार कुल्ले करो, फिर बताओ झाग कब समाप्त होता है। उत्तर आया 50 बार कुल्ले करने से भी झाग समाप्त नही हुआ। मतलब जो लोग टूथपेस्ट करने को वैज्ञानिक मानते हैं वही लोग समय कम होने की वजह से प्रतिदिन न चाहते हुए भी टूथपेस्ट जैसा खतरनाक रसायन खा रहे हैं।

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प्रश्न 3ः क्या आपने कभी घर में टूथपेस्ट ना होने के कारण शेविंग क्रीम या शैम्पू से दांत साफ किये हैं?

उत्तरः छी-छी कैसा प्रश्न है? न कभी किया, ना करूंगा।
शेविंग क्रीम या शैम्पू मुँह में, ये कैसे हो सकता है ? उससे अच्छा तो दांत गंदे ही सही हैं।
अर्थातः जो लोग शेविंग क्रीम और शैम्पू को बेहद खतरनाक मानते हैं और जो कहते हैं दांत गंदे ही सही पर ये कभी नही लगाएंगे वोहि बुद्धिजीवी वर्ग शेविंग क्रीम, शैम्पू के बेस फार्मूला ( सोडियम लाॅरेल सलफेट आदि ) में चीनी से 100 गुना खतरनाक सैकरीन, कैंसर करने वाला प्रेसर्वेटिव सोडियम बेंज़ोएट, फ्लोराइड, रसायन वाला कलरिंग एजेंट, सिंथेटिक फ्लेवर और बेहद खतरनाक रसायन से बना परफ्यूम आदि डला टूथपेस्ट सुबह शाम घिस-घिस कर करने को अपनी शान समझते हैं।

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प्रश्न 4ः जो लोग ब्रश से पेस्ट करते हैं उनसे पूछा अगर आपको किसी पौधे को खाद डालनी हो तो कहाँ डालेंगे , जड़ में या तने में?

उत्तरः हंसते और सकुचाते हुए सबने कहा जड़ों में। तने में तो कोई मूर्ख ही डालेगा।
अर्थातः हम कितने बुद्धिमान हैं जो दांतो की जड़ अर्थात मसूड़ों की खाद अर्थात उंगली से मसाज नही करते जिससे मसूड़ों में रक्त संचार प्रबल होकर वो दांतो को कसते हैं बल्कि उल्टा रोज ब्रश रूपी फावड़ा चलाकर उसे घिस-घिस कर तने रूपी दांतों को समय से पहले ही हिला देते हैं। ब्रश करने वाले अधिकतर लोग दांतो से खून आने की शिकायत करते हैं और ऐसे ही लोगों के दांत आयु से पहले हिल कर टूट जाते हैं।

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प्रश्न 5ः क्या टूथपेस्ट करने से आपका मुँह सूखता है??

उत्तरः लगभग शत-प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि पेस्ट करने के 2-3 घंटे तक उनका मुँह सूखता है और बार-बार पानी पीने का मन करता है।
अर्थातः केमिकल के पुलिंदे टूथपेस्ट का पीएच वैल्यू बेहद एसिडिक यानी अम्लीय है जिससे मुँह का एसिड अल्कली संतुलन बिगड़ता है और मुँह एसिडिक हो जाता है और उसे शरीर ठीक करने के लिए ज्यादा पानी की मांग करता है और बार बार प्यास लगती है। जबकि नीम की दातुन, गौमय मंजन या अन्य शुद्ध आयुर्वेदिक मंजन से समस्या कभी नही आती और प्यास नही लगती।

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प्रश्न 6ः आप जागरूक माता-पिता होकर भी टूथपेस्ट पर लिखी चेतावनी को नही पढ़ते, जिसमें इसे 6 वर्ष से छोटे बच्चों के लिए बेहद सावधानी से प्रयोग करने और न निगलने की चेतावनी लिखी होती है?

उत्तरः टूथपेस्ट पर लिखी चेतावनी पढ़ी नही या बेहद लापरवाही में नजरअंदाज कर दी जाती है। और तो और बहुत से माता-पिता ने ऐसा बर्ताव किया जैसे वो भारत की औषधियों से परिपूर्ण, नीम, बबूल से आच्छादित भूमि पर पैदा ही नही हुए। उन्हें टूथपेस्ट का कोई विकल्प पता नही है या वो करने योग्य नही है।
अर्थात् सभी छोटे बच्चे मुँह में जाने वाली हर चीज को खाते हैं और जिस टूथपेस्ट पर साफ साफ चेतावनी लिखी है कि ‘इसे गलती से भी न निगलें ‘ उसे हम अपने मासूम बच्चों को खाने के लिए छोड़ देते हैं।

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प्रश्न 7ःक्या आपको पता है की कोई भी टूथपेस्ट आयुर्वेदिक नही होता?

उत्तरः नहीं, हम तो बढ़िया वाला आयुर्वेदिक टूथपेस्ट करते हैं। हम तो बाबाओ वाला करते हैं उसमें भी क्या कोई केमिकल है। ऐसा नही हो सकता बाबा किसी को धोखा नही दे सकते।
अर्थातः आयुर्वेदिक टूथपेस्ट के नाम पर अब दूसरा लूट का धंधा शुरू हुआ है। आसमान से गिरे खजूर पर अटके। राजीव भाई के व्याख्यानों को सुनकर लाखों लोगों ने विदेशी केमिकल टूथपेस्ट छोड़ा। किन्तु उनके जाने के बाद वही राजीव भाई के समर्थक विदेशी टूथपेस्ट रूपी आसमान से गिरे, पर उन्हें स्वदेशी बाबाओ के आयुर्वेदिक टूथपेस्ट रूपी खजूर ने अटका लिया।
हमने जब इन आयुर्वेदिक टूथपेस्ट का सच जाना तो चैंकाने वाला तथ्य मिला। 100 ग्राम टूथपेस्ट में मुश्किल से 10ः औषधियां थीं। बाकी 90ः जहरीले रसायन जो अन्य विदेशी टूथपेस्ट में हैं और वो 10ः औषधियां भी रसायनों में अपना प्रभाव छोड़ देती हैं। यानी टूथपेस्ट तो बस कैमिकल है, चाहे आयुर्वेदिक या कोई अन्य और अगर हम राजीव भाई के सच्चे समर्थक हैं, तो हमें कोई भी टूथपेस्ट नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 8ः आप शाकाहारी होते हुए भी टूथपेस्ट करते हैं?

उत्तरः टूथपेस्ट भी क्या मांसाहारी होते हैं? हमें तो नही पता।
अर्थात सभी टूथपेस्टों में डलने वाले कैल्शियम कार्बोनेट का मुख्य एवं सस्ता स्त्रोत जीव जंतुओं विशेषकर गाय, भैंस और सुअर की हड्डियां हैं। राजीव भाई कहते थे हम कितने धार्मिक हैं, जो गौमाता की हड्डियों को सुबह सुबह घिस कर भगवान कृष्ण की पूजा करने का ढोंग करते हैं। किसी भी कंपनी का टूथपेस्ट करने वाले अपने आपको शाकाहारी होने का दम्भ नही भर सकते।

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प्रश्न 9ः गंगाजी और क्षेत्रीय नदियों को प्रदूषण से मुक्त होना चाहिए या दूषित? और आप उसमें कितना सहकार करेंगे?

उत्तरः ये कैसा प्रश्न है? हर भारतीय अपनी नदियों को निर्मल और शुद्ध देखना चाहता है। और जो हमसे हो सकता है हम करने को तैयार हैं।
अर्थात्ः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुछ युवा वैज्ञानिकों ने गंगा जी के प्रदूषणों के कारण खोजे तो उनमें से औद्योगिक प्रदूषण के बाद सबसे बड़ा प्रदूषण का कारण रसायनों से बने टूथपेस्ट को बताया। उनके अनुसार करोड़ों भारतीय अपने नित्य कर्मो जैसे टूथपेस्ट करना, रासायनिक साबुन से स्नान करना, रसायनों से भरे शैम्पू लगाना , झाग देने वाली शेविंग क्रीम आदि का नित्य प्रयोग करने से गंगा जी एवं क्षेत्रीय नदियां भयावह रूप में प्रदूषित हो रही हैं। ये सारे रसायन विसर्जित करने के बाद नालियों में आते हैं , फिर ये नालियां शहर के बड़े नाले में मिलती हैं और नालों को बिना शोधित किए सीधे गंगा जी आदि पवित्र नदियों में प्रदूषित करने के लिए डाल दिया जाता है। उन वैज्ञानिकों का कहना है कि इन सब रसायनों में भी टूथपेस्ट का मँुह से निकला अवशेष सबसे खतरनाक है।
तो अपनी नदियों को बचाने के लिए हमें पाखंड का रास्ता छोड़ यथार्थवादी बनने का प्रयास करना होगा। किसी भी कंपनी का टूथपेस्ट छोड़ना ही होगा।

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प्रश्न 10ः क्या आप सच्चे हिन्दू और देश से प्यार करने वाले भारतीय हैं?
उत्तरः हां बिल्कुल हैं, और हमारे भारतीय होने पर संदेह क्यों?
अर्थात्ः केवल अपने आपको हिन्दू कहने से हिन्दू नही बना जा सकता। हिन्दू होने के मूल सिद्धांतों को जीवन में धारण किये बिना हिन्दू नही कहा जा सकता। हिन्दू होने की एक विशेष पहचान है और वो है गौ सेवा और गौ संवर्धन। जबकि टूथपेस्ट करने वाला व्यक्ति उसमें डलने वाली गौ माँ की हड्डियों से बना टूथपेस्ट करने से गाय काटने वाले लोगों को बढ़ावा देकर गौ हत्या में अप्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करता है।
टूथपेस्ट करने वाला व्यक्ति अपने आपको कभी हिन्दू कहने का अधिकारी नही है।

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प्रश्न 11ः क्या टूथपेस्ट करने से कभी दांत में खून निकल जाए तो टिटनस का इंजेक्शन लगवाते हैं?

उत्तरः मुँह में खून तो निकलता ही रहता है पर टिटनस का इंजेक्शन क्यों लगवाएं? टिटनस का इंजेक्शन तो चोट लगने पर लगवाते हैं।
अर्थातः शरीर में कहीं भी चोट लग जाये तो हम तुरंत टिटनस का इंजेक्शन लगवाते हैं ताकि शरीर में इन्फेक्शन ना हो जाये। चोट दांये हाथ में लगे, बांये में लगे या शरीर में कहीं भी लगे खून तो एक है। फिर मसूड़ों में चोट लगने से खून निकलने तो हम टिटनस क्यों नही लगवाते? जबकि खून वाली जगह पर अच्छे से रसायनों से भरा टूथपेस्ट लगाकर खून को दूषित करते हैं।

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प्रश्न 12ः टूथपेस्ट से ब्लड कैंसर होता है।

उत्तरः कुछ कुछ समझ आ रहा है थोड़ा विस्तार से बताएं।
अर्थातः प्रतिदिन टूथपेस्ट ब्रश से करने वालों को महीने में 2-3 बार खून निकलता है और हम उस घाव को सोडियम लाॅरेल सलफेट, सैकरीन, सोडियम बेंजोट , सिंथेटिक कलरिंग एजेंट, रासायनिक फ्लेवर आदि से भरे पेस्ट को रगड़ देते हैं, जो खून में मिल जाता है। ऐसा क्रम साल में 20-22 बार होता है और फिर कुछ साल होने के बाद रक्त दूषित हो जाता है जो रक्त कैंसर का बड़ा कारण है।
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