सिन्दूर से दूर क्यों?
सिन्दूर से दूर क्यों?
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कितने बुद्धिमान थे हमारे पूर्वज
प्राचीन काल में :-
महिलाओ के लिए एक नियम बनाया गया की विवाह के बाद नए ससुराल में विभिन्न प्रकार के मानसिक दबाव और उनके कारण होने वाली बीमारियों से दूर रहने के लिए एक औषधि (सिंदूर) अपनी बालो की माँग में लगाना है
महिलाये पारिवारिक जिम्मेदारियों और लापरवाही के कारण इस नियम का सही से पालन नहीं करती थी
फिर उनको कहा की अगर यह सिन्दूर आप नहीं लगाओगे तो आपका सुहाग संकट में पड़ जायेगा
अब महिलाये रोज़ बिना भूले उसे लगाने लगी
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तथाकथित आधुनिक काल में :-
आज के युग की महिलाये स्वयं को शिक्षित समझ
लेकिन असल में केवल साक्षर होकर
टीवी सिनेमा की गुलामी के कारण
इस सिन्दूर को गुलामी का प्रतीक समझ कर केवल ओपचारिकता के लिए लगाती है
जिसमे लाल रंग के लिए कुछ भी प्रयोग कर एक छोटा सा निशान लगा लेती है
और अगर घर में बड़े बूढ़े न हो तो वो भी ज़रूरी नहीं
अगर इसी को नारी मुक्ति के नाम पर बढ़ाना है तो मुझे अपने घर में ऐसी नारी मुक्ति तो नहीं चाहिए
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सिन्दूर का वैज्ञानिक महत्त्व :
भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है।
आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुमकुम और अन्य चीजों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है।
दरअसल इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुड़ा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है,
जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं।
यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है।
यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है।
सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है।
पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है।
महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है।
विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाहके बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं।
पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है।
यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।
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कितने बुद्धिमान थे हमारे पूर्वज
प्राचीन काल में :-
महिलाओ के लिए एक नियम बनाया गया की विवाह के बाद नए ससुराल में विभिन्न प्रकार के मानसिक दबाव और उनके कारण होने वाली बीमारियों से दूर रहने के लिए एक औषधि (सिंदूर) अपनी बालो की माँग में लगाना है
महिलाये पारिवारिक जिम्मेदारियों और लापरवाही के कारण इस नियम का सही से पालन नहीं करती थी
फिर उनको कहा की अगर यह सिन्दूर आप नहीं लगाओगे तो आपका सुहाग संकट में पड़ जायेगा
अब महिलाये रोज़ बिना भूले उसे लगाने लगी
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तथाकथित आधुनिक काल में :-
आज के युग की महिलाये स्वयं को शिक्षित समझ
लेकिन असल में केवल साक्षर होकर
टीवी सिनेमा की गुलामी के कारण
इस सिन्दूर को गुलामी का प्रतीक समझ कर केवल ओपचारिकता के लिए लगाती है
जिसमे लाल रंग के लिए कुछ भी प्रयोग कर एक छोटा सा निशान लगा लेती है
और अगर घर में बड़े बूढ़े न हो तो वो भी ज़रूरी नहीं
अगर इसी को नारी मुक्ति के नाम पर बढ़ाना है तो मुझे अपने घर में ऐसी नारी मुक्ति तो नहीं चाहिए
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सिन्दूर का वैज्ञानिक महत्त्व :
भारतीय वैदिक परंपरा खासतौर पर हिंदू समाज में शादी के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर भरना आवश्यक हो जाता है।
आधुनिक दौर में अब सिंदूर की जगह कुमकुम और अन्य चीजों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है।
दरअसल इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। यह मामला पूरी तरह स्वास्थ्य से जुड़ा है। सिर के उस स्थान पर जहां मांग भरी जाने की परंपरा है, मस्तिष्क की एक महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है,
जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं।
यह अत्यंत संवेदनशील भी होती है।
यह मांग के स्थान यानी कपाल के अंत से लेकर सिर के मध्य तक होती है।
सिंदूर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि इसमें पारा नाम की धातु होती है।
पारा ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है।
महिलाओं को तनाव से दूर रखता है और मस्तिष्क हमेशा चैतन्य अवस्था में रखता है।
विवाह के बाद ही मांग इसलिए भरी जाती है क्योंकि विवाहके बाद जब गृहस्थी का दबाव महिला पर आता है तो उसे तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी बीमारिया आमतौर पर घेर लेती हैं।
पारा एकमात्र ऐसी धातु है जो तरल रूप में रहती है।
यह मष्तिष्क के लिए लाभकारी है, इस कारण सिंदूर मांग में भरा जाता है।
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वीरेंद्र की लेखनी से
सह-संस्थापक
गोधूली परिवार
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स्वास्थ्यवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद। अगर सिंदूर स्वास्थ्यवर्धक है तो इसका प्रयोग सभी बड़े लोगों को करना चाहिए। क्या ये बात सही है कि सिंदूर एक सिंदूर नामक पेड़ के फूलों के लाल रंग सेआता है? और अगर महिलाओं के तनाव के लिए अच्छा है तो ये उनको बता दिया जाए, और फिर उनकी मर्जी पर छोड़ दिया जाए। जैसे की सरकार को टीके के फायदे बता देने चाहिए और बाकी लोगों की मर्जी पर छोड़ देना चाहिए.
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteOriginal sindoor kha se le
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद के लिये
ReplyDeleteKya baat hai Virender ji
ReplyDeletePlease share more such posts
राइट information
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