56 देशों मे बैन आयोडीन नमक भारत में क्यों नहीं?
56 देशों मे बैन आयोडीन नमक भारत में क्यों नहीं?
क्या आपके नमक में आयोडीन है? US, जर्मनी समेत 56 देशों में प्रतिबंधित है आयोडीन नमक
वैश्विक स्तर पर तमाम नसीहतों तथा अमेरिका, डेनमार्क और जर्मनी समेत विश्व के 56 प्रमुख देशों में प्रतिबंधित आयोडीन युक्त नमक का चलन हमारे देश में बदस्तूर जारी है। विश्व बैंक के अध्ययन और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट में इसके दुष्प्रभाव तथा अनुपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है, पर तमाम प्रयासों के बावजूद भारत सरकार ने इस पर पाबंदी लगाने के बजाय इसका उपयोग अनिवार्य कर रखा है।
40 से ज्यादा बीमारियों की वजह है आयोडीन नमक
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अमेरिकी कैंसर शोध संस्थान के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर फ्रेडरिक हाफमैन समेत कई शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में आयोडीन युक्त नमक को मानव स्वास्थ्य के लिए घातक पाया है और इसे कैंसर, लकवा, रक्त चाप, खारिश खुजली, सफेद दाग, नपुंसकता, डायबिटीज और पथरी जैसी 40 से भी ज्यादा बीमारियों का जनक बताया है।
दुनिया के कई देशों में प्रतिबंधित होने के बावजूद भारत में आयोडीन नमक का इस्तेमाल क्यों होता है सरकार के पास न तो इसका सटीक जवाब है और न ही संतोषजनक आंकड़े।...
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सरकार के पास नहीं है संतोषजनक जवाब
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इन्हीं रिपोर्ट के चलते व तमाम जागरूक समाजसेवी संस्थाओं के प्रयासों से अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन भारत सरकार ने सितंबर 2000 में नमक उद्योग को आयोडीन युक्त नमक बनाने व बेचने की अनिवार्यता से आजाद कर दिया था, लेकिन जून 2005 में केंद्र सरकार ने एक बार फिर पुरानी स्थिति बहाल कर दी। इस बीच संसद में पिछले दो वर्षो के दौरान वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार से इस नमक की उपयोगिता, औचित्य और जरूरत से संबंधित तमाम प्रश्न पूछे गए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया।
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आयोडीन नमक पर सरकारी रुख
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इस सवाल पर कि आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों खासकर घेंघा के देश में कितने मरीज हैं, संबंधित मंत्री का जवाब था कि देश में इस प्रकार की बीमारियों के मरीजों की सकल संख्या में इसकी हिस्सेदारी 0.03 फीसद है और वे भी देश के चंद पर्वतीय इलाकों में रहते हैं जहां आबादी अपेक्षाकृत कम है। एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने प्रतिबंध संबंधी मांग को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। तमाम अध्ययन, रिपोर्ट व चेतावनियों के बावजूद हमारी सरकार का मानना है कि देश की विषम परिस्थितियों व आम जनता की जरूरतों के मद्देनजर आयोडीन युक्त नमक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत लाभप्रद्र है।
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दवा के तौर पर इस्तेमाल होता था आयोडीन नमक
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दरअसल आयोडीन युक्त नमक मूलत: एक दवा थी जिसका उपयोग 19वीं सदी के प्रारंभ में बेल्जियम, फ्रांस व तमाम अन्य यूरोपीय देशों में कुछ विशेष रोगों के इलाज में किया जाता था। बाद में भारत के कुछ प्रांतों में घेंघा रोग फैलने से इसका उपयोग किया गया और फिर गर्भवती महिलाओं और समय पूर्व जन्मे अथवा कम विकसित बच्चों में आयोडीन की जरूरत के नाम पर पूरे देश में इसे अनिवार्य कर दिया गया। मानव शरीर की जरूरत के मुताबिक आयोडीन प्राकृतिक नमक के अलावा आलू व अरबी समेत कई सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है और इसे अलग से लेना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अल्जीरिया, कोलंबिया, चीन व डेनमार्क के कुछ हिस्सों के अलावा कई लैटिन अमेरिकी देशों में नमक का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता और एफएओ व यूनीसेफ के परीक्षण में वहां के निवासी बिल्कुल स्वस्थ पाए गए हैं।
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खतरनाक रसायन से तैयार होता है आयोडीन नमक
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ष 2007 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि समुद्री नमक में जहां लाभदायक पोषक तत्वों की संख्या केवल चार है, वहीं भारत व पाकिस्तान के सेंधा नमक के 83 फीसद तत्व लाभदायक हैं। संगठन के अध्ययन में पाया गया कि आयोडीन युक्त नमक को कई प्रकार के हानिकारक रसायन मिलाकर समुद्री नमक से तैयार किया जाता है और फ्री फ्लो का गुण पैदा करने के लिए अतिरिक्त रूप से दो खतरनाक तत्व अधिक मात्र में मिलाए जाते हैं, जिससे नमक के प्राकृतिक स्वाद और मूल गुण में भी जबरदस्त अंतर आ जाता है।
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आयोडीन, समुद्री या सेंधा नमक में बेहतर कौन?
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रिपोर्ट के मुताबिक मैक्सिको व नाइजीरिया के अलावा पिछड़े अफ्रीकी-एशियाई देशों के नागरिकों पर वर्ष 2005 से 2006 तक सेंधा, समुद्री और आयोडीन युक्त नमक बाबत व्यापक परीक्षण किए गए जिसमें पाया गया कि आयोडीन व समुद्री नमक से नागरिकों में कई गंभीर बीमारियों के लक्षण पनपने लगे और सेंधा नमक खाने वालों पर कोई नई बीमारी के लक्षण नहीं मिले। इसमें जर्मन, फ्रांस और अमेरिकी स्वास्थ्य संगठनों ने भी भागीदारी की थी।
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FAO ने प्रतिबंध का दिया था सुझाव
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इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से विश्व को समुद्री व आयोडीन युक्त नमक के दुष्प्रभावों के प्रति सचेत किया गया और सरकारों से इन्हें प्रतिबंधित करने की अपील की गई। इसी दौरान एफएओ ने भी तत्कालीन भारत सरकार से इस नमक को स्थाई तौर पर प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया था, जिसे देश की विषम परिस्थितियों व जरूरतों का हवाला देकर ठुकरा दिया गया।
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बेहतर है प्राकृतिक नमक
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विश्व भर में नमक पर काफी शोध हुए हैं और सभी में प्राकृतिक नमक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के तथाकथित स्वास्थ्यवर्धक आयोडाइज्ड रिफाइंड नमक से कहीं ज्यादा बेहतर व उम्दा पाया गया है। यही कारण है कि लगभग सभी विकसित देशों में नमक की बिक्री में प्राकृतिक शब्द का उपयोग खास तौर पर किया जाता है और आयोडाइज्ड नमक को बतौर दवा, केवल चिकित्सक को ही अनुशंसित करने का अधिकार दिया गया है।
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दक्षिण में बढ़ने लगा है सेंधा नमक का चलन
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बहरहाल हमारे हुक्मरान भले ही कुछ करें अथवा नहीं, देश में कई समाजसेवी संस्थाएं इस बाबत जागरूकता पैदा करने में लगी हुई हैं और दक्षिण के होटलों तथा सामाजिक धार्मिक समारोहों में सेंधा नमक का प्रचलन बढ़ने लगा है। तेलंगाना, राजस्थान, महाराष्ट्र व आंध्र प्रदेश की कुछ महिला स्वयंसेवी संस्थाएं आम जनता को जागरूक करते हुए सेंधा नमक की घर घर आपूर्ति कर रही हैं।
सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया
सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है
सेंधा नमक :-
आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!
एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!
सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!
आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है
हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो(अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ ,आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है !
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे !
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?? सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक :-
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है, जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
निवेदन :-
लाखों वर्ष पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
Source: Dainik Jagran Newspaper
It's true rock salt is better for health it's my experience
ReplyDeleteSir, your article is very good and already using the saindha namak due to guidance from Rajiv Dixit Bhai.
ReplyDeleteThis article could have been curtailed a bit or better point wise presentation with heading was possible.
Presently it is little lengthy and repetitive. However thanks for your guidance. Regards