जानिये असल में किस धन की है धनतेरस?
क्यों बिना विवेक कुछ भी ख़रीद लेने का दिन नहीं है धनतेरस!
और यह धन से सम्बंधित नहीं है
और यह धन से सम्बंधित नहीं है
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स्वदेशी एवं स्वास्थ्य के सन्दर्भ में धनतेरस का महत्व
कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित बाजारीकरण के कारण धनतेरस को लेकर कुछ भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास एक प्रश्नावली के द्वारा :
प्रश्न:
धनतेरस में "धन" शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह बहुत कम लोग जानते है की वास्तव में धनतेरस में "धन" शब्द स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी से लिया गया है
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न:
अगर धन नहीं तो फिर धनतेरस का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें।
प्रश्न:
आज के दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा क्यों है?
उत्तर:
समुद्र मंथन के समय धन्वन्तरि जी कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा है
आज के दिन वास्तविक परम्परा केवल नया बर्तन खरीदने की है या चाँदी भी खरीद सकते है
बाजारीकरण और धन के प्रति हमारे लगाव ने हमें अँधा बना दिया है और हम भीड़ के पीछे चलकर कुछ भी खरीदने को चल पड़ते है जैसे टीवी, गाडी, कपडे, फर्नीचर आदि जो मूर्खता है और पूर्णतया कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित है
प्रश्न: इस दिन चाँदी खरीदने की प्रथा क्यों है?
इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है।
संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है।
भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है।
लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें।
निवेदन:
लोग अन्धानुकरण कर आज कुछ न कुछ खरीदने को और कंपनिया कुछ न कुछ बेचने को आतुर है
इस जानकारी को अपने बच्चो तक और अपने परिजनों तक ज़रूर पहुचाये और स्वास्थ्य रुपी धन के इस दिन को केवल पैसे की दृष्टि से न देखें नहीं तो हमारी परम्पराये या तो ख़त्म हो जाएँगी या उनका स्वरुप बिगड़ जायेगा
इस दिन कुछ ऐसा ख़रीदे की आपके देश में पैसा जाये विदेशी कंपनियों में नहीं
गोधूलि परिवार (Gaudhuli.Com) में हम प्रयासरत है कि आपका हर दिन धनतेरस हो क्योंकि हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही हर वस्तु स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार से हानि कर ही नही सकती।
क्योंकि Gaudhuli.com है एक ऐसा ऑनलाइन स्टोर जहां मात्रा और उत्पाद सीमित है परंतु गुणवत्ता नही।
वन्दे मातरम्
- भ्रमित भारतीयों के भ्रम का भ्रमण
वीरेंद्र की कीबोर्ड रूपी कलम द्वारा
सह- संस्थापक
गोधूलि परिवार
स्वदेशी एवं स्वास्थ्य के सन्दर्भ में धनतेरस का महत्व
कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित बाजारीकरण के कारण धनतेरस को लेकर कुछ भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास एक प्रश्नावली के द्वारा :
प्रश्न:
धनतेरस में "धन" शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह बहुत कम लोग जानते है की वास्तव में धनतेरस में "धन" शब्द स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी से लिया गया है
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न:
अगर धन नहीं तो फिर धनतेरस का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें।
प्रश्न:
आज के दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा क्यों है?
उत्तर:
समुद्र मंथन के समय धन्वन्तरि जी कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे इसी कारण इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा है
आज के दिन वास्तविक परम्परा केवल नया बर्तन खरीदने की है या चाँदी भी खरीद सकते है
बाजारीकरण और धन के प्रति हमारे लगाव ने हमें अँधा बना दिया है और हम भीड़ के पीछे चलकर कुछ भी खरीदने को चल पड़ते है जैसे टीवी, गाडी, कपडे, फर्नीचर आदि जो मूर्खता है और पूर्णतया कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित है
प्रश्न: इस दिन चाँदी खरीदने की प्रथा क्यों है?
इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है।
संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है।
भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है।
लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें।
निवेदन:
लोग अन्धानुकरण कर आज कुछ न कुछ खरीदने को और कंपनिया कुछ न कुछ बेचने को आतुर है
इस जानकारी को अपने बच्चो तक और अपने परिजनों तक ज़रूर पहुचाये और स्वास्थ्य रुपी धन के इस दिन को केवल पैसे की दृष्टि से न देखें नहीं तो हमारी परम्पराये या तो ख़त्म हो जाएँगी या उनका स्वरुप बिगड़ जायेगा
इस दिन कुछ ऐसा ख़रीदे की आपके देश में पैसा जाये विदेशी कंपनियों में नहीं
गोधूलि परिवार (Gaudhuli.Com) में हम प्रयासरत है कि आपका हर दिन धनतेरस हो क्योंकि हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही हर वस्तु स्वास्थ्य को किसी भी प्रकार से हानि कर ही नही सकती।
क्योंकि Gaudhuli.com है एक ऐसा ऑनलाइन स्टोर जहां मात्रा और उत्पाद सीमित है परंतु गुणवत्ता नही।
वन्दे मातरम्
- भ्रमित भारतीयों के भ्रम का भ्रमण
वीरेंद्र की कीबोर्ड रूपी कलम द्वारा
सह- संस्थापक
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