मॉडर्न आयुर्वेद ने वास्तविक आयुर्वेद का किया नाश!
मॉडर्न आयुर्वेद ने वास्तविक आयुर्वेद का किया नाश!
यह शीर्षक समझने के लिए इस चित्र को देखिए। इस चित्र में लगी मूर्ति हमारे सुश्रुत ऋषि जी की है जो "Royal Australian Society of surgeons" के प्रांगण में लगी है।
विडंबना देखिए जिस आयुर्वेद के ऋषि कें ज्ञान कर कारण पूरी दुनिया ने सर्जरी अर्थात शल्य चिकित्सा सीखी आज आधुनिक आयुर्वेद शिक्षा संस्थानों से किसी भी डिग्री धारक (BAMS) को सर्जरी करने का अधिकार नही है।
यह तो वही बात हुई कि बच्चों के माता-पिता को अपने ही बच्चो से वंचित कर दिया जाएं।
आज कुछ विलक्षण बुद्धि वाले आयुर्वेदिक डॉक्टरों को यदि छोड़ दिया जाए तो आज अधिकतर आयुर्वेद के डिग्री धारक इलाज एलोपैथी का प्रयोग कर तुरंत परिणाम के लालच में कर रहे है।
इसका बड़ा कारण है कि इसमें अधिकतर वह लोग है जो MBBS नही कर पाए लेकिन नाम के आगे डॉक्टर, गले मे स्टेथोस्कोप और शरीर पर सफेद कोट लगाने की धुन में BAMS करना पड़ता है। लेकिन मन से MBBS ही है।
अधिकांश लोगो को यह संभवतः ज्ञात न हो कि BHMS(होम्योपैथी), BAMS(आर्युवेद) की तरह MBBS भी स्नातक अर्थात bachelor's डिग्री है और इसे MBBS की जगह BMBS लिखना चाहिए। परंतु अधिक बड़ा और महत्व का दिखने के चक्कर में उसे MBBS लिखना भी इनके षड्यंत्रकारी बुद्धि का प्रमाण है।
इस मानस को फिल्मों ने बहुत हवा दी। पुरानी फिल्मों में एक गरीब की झोपड़ी में भी डॉक्टर अपनी अटैची लेकर आता था लेकिन कभी किसी वैद्य से इलाज करते हुए नही दिखाया गया।
गलती पूरी उनकी भी नही समाज का बिगड़ा मानस और बाजार में स्वयं को स्थापित करने की दौड़ में माता पिता द्वारा डिग्री पर खर्च किया गया लाखों रुपए की investment का return लेने के चक्कर मे यह सब करना पड़ता है।
समाज जैसा होगा उनको चिकित्सक भी वैसा मिलेगा। तो समाज तो फ़ास्ट फ़ूड वाला है तो सब फास्ट ही चाहिए।
यह मूर्ति भले ही उपहार में दी गई है लेकिन इसके नीचे जो लिखा गया है वह महत्वपूर्ण है। भारत सरकार कें हाथ में जब से आयुर्वेद गया तो देश की तरह आयुर्वेद का भी बंटा धार हो गया।
भविष्य में भी कुछ अधिक आशा नही हैं
तो इस पोस्ट भावार्थ है कि
केवल भोजन पानी ही है शरीर का आहार
केवल भोजन पानी करेगा शरीर को बीमार
अपनी investment अच्छे शुद्ध भोजन में कीजिये बीमारियों में नही।
सुपात्र किसानो और गोपालकों को उनकी सेवा और उत्पादों के लिए थोड़ा अधिक देकर, डॉक्टर को बहुत अधिक देने से बचे।
*************
वीरेंद्र सिंह के कलम रूपी कीबोर्ड से
सह-संस्थापक
गोधूलि परिवार
Gaudhuli.com
Virendersingh.in
इस मानस को फिल्मों ने बहुत हवा दी। पुरानी फिल्मों में एक गरीब की झोपड़ी में भी डॉक्टर अपनी अटैची लेकर आता था लेकिन कभी किसी वैद्य से इलाज करते हुए नही दिखाया गया।
गलती पूरी उनकी भी नही समाज का बिगड़ा मानस और बाजार में स्वयं को स्थापित करने की दौड़ में माता पिता द्वारा डिग्री पर खर्च किया गया लाखों रुपए की investment का return लेने के चक्कर मे यह सब करना पड़ता है।
समाज जैसा होगा उनको चिकित्सक भी वैसा मिलेगा। तो समाज तो फ़ास्ट फ़ूड वाला है तो सब फास्ट ही चाहिए।
यह मूर्ति भले ही उपहार में दी गई है लेकिन इसके नीचे जो लिखा गया है वह महत्वपूर्ण है। भारत सरकार कें हाथ में जब से आयुर्वेद गया तो देश की तरह आयुर्वेद का भी बंटा धार हो गया।
भविष्य में भी कुछ अधिक आशा नही हैं
तो इस पोस्ट भावार्थ है कि
केवल भोजन पानी ही है शरीर का आहार
केवल भोजन पानी करेगा शरीर को बीमार
अपनी investment अच्छे शुद्ध भोजन में कीजिये बीमारियों में नही।
सुपात्र किसानो और गोपालकों को उनकी सेवा और उत्पादों के लिए थोड़ा अधिक देकर, डॉक्टर को बहुत अधिक देने से बचे।
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Jai ho gurudev ji
ReplyDelete✌💯👌❤💘💕
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Aap ke bahumulya Shabd ratnase kam nahi hai
ReplyDeleteसच में आज 'सटीक भोजन' ही चिकीत्सा का आखरी विकल्प बचा है.. लेकीन इस में भी लोग मिलावट कर ने में लगे है ..
ReplyDeleteजय माता दी जय माता महाकाली
ReplyDeleteSat sat Naman Virendrajiko
ReplyDeleteSamajki anabhijnata aur allopathic ke prati andhanukaran iska pramukh Karan he
👌👌सुंदर! धन्यवाद!🙏🌹
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