आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं मोदी विरोधी हूँ?

यह इस देश के एक युवा के मन की बात है !
अब राहुल गाँधी अभी तक युवा नेता है तो मैं भी स्वयं को युवा कह सकता हूँ!

जिसकी जैसी दृष्टि होगी उसको इस लेख में वैसा ही अर्थ और भाव नज़र आएगा
इसीलिए यदि आपको ऐसा क्यों लगता है कि मैं मोदी विरोधी या प्रशंसक हूँ? तो उसका दोष या श्रेय मुझे नहीं स्वयं को दें!


भले ही मैं व्यक्तिगत रूप से कोरोना षड्यंत्र का समर्थक नहीं परन्तु
फिर भी जिस प्रकार से मोदी जी के सशक्त नेतृत्व में इस स्थिति से निपटा गया, उसकी मैं प्रशंसा करता हूँ।

यही कारण है कि वो सबकी पसंद थे चाहे देश की प्रजा हो या विश्व के अन्य देश।

इसी क्षमता के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया। गुजराती व्यक्ति अपना प्रचार करना बहुत अच्छे से जानता है यह उनका भी स्वाभाविक गुण है।

यदि यह नेतृत्व कांग्रेस का होता तो जो विनाश कुछ वर्षो में होना था वो इन कुछ महीनो में हो जाता परन्तु ध्यान देने योग्य बात यह है की विनाश टला नहीं है होगा अवश्य।

अब मेरी इस पोस्ट को मोदी विरोधी समझो या पक्ष में परन्तु सत्य है कि मैं उनका सबसे बड़ा शुभचिंतक हूँ,

जैसे कोई कवि व्यंग्य में किसी को भी लपेट कर मर्यादा में अंतर्गत कुछ भी कह देता है ठीक वैसे ही बिना छंद गढ़े मैं भी कुछ कहना चाहता हूँ



            दुनिया के सबसे बड़े lockdown को साम, दाम, दंड भेद से अंजाम दिया है यह उदाहरण और प्रमाण है कि कोई देश की और आँख उठाकर भी नहीं देख सकता देश सुरक्षित हाथो में है।

लेकिन मेरे विश्वास पर आघात होता है जब देखता हूँ की अंदर से कमज़ोर और बीमार होते देश के लिए उनके पास कोई रणनीति नहीं है शायद,

लेकिन अब क्या करें इतने विविधता भरे और बड़े देश में कोई काम करना सरल भी तो नहीं है

लेकिन एक बात तो प्रमाणित हो गई की यदि मोदी जी की इच्छा हो तो lockdown जैसे कठिन कार्य कर सकते है लेकिन ध्यान देने बात यह है कि यदि इच्छा हो तो!

शराबबंदी, गुटका, सिगरेट जैसे विषय तो छोटे मोटे विषय है जब प्रधानसेवक नहीं थे तो आधार के विरोध में थे परन्तु PM बनते ही पूरे देश के बनवा डाले

और आवश्यकता पड़ी तो 130 करोड़ लोगो को 2 महीने घर में बिठा दिया और अब आश्वासन भी दे रहे है कि जान है तो जहान है अर्थव्यवस्था का क्या है वो तो हम जैसे तैसे खड़ी कर लेंगे।

उस व्यक्ति ने केवल अपने राष्ट्र के नाम सन्देश से

  • देश की प्रकृति, नदी, हवा, पानी सब शुद्ध कर दिया या हो गया इसका अभी कोई आधिकारिक सरकारी बयान नहीं आया है
  • घर में परिवार के साथ रामायण महाभारत देख रहे है परिवार सात्विक हो रहे है जिसकी परीक्षा शराब की दुकाने खुलने से हो गई
  • लोग गांव वापस चले गए है गाँव जो अब बस नाम के गाँव है वो आबाद हो गए है अब आदर्श गाँव बिना गांव वालो के तो नहीं बनते तो यह दूरदर्शिता ही तो है।
  • स्वच्छ भारत अभियान में एक यह भी बात जुडी की यहाँ वहां थूकने वाले गन्दगी फ़ैलाने वाले मज़दूर और गरीब आदि सब शहरों को छोड़ गए है
  • घर की महिलाएं अपने घर का काम अपने हाथो से कर रही है और यूट्यूब पर देखकर घर का बना भोजन खिला रही है आशा है की lockdown के बाद यह सब जारी रहेगा
  • दुकानों पर जाकर सामान खरीदने के झंझट से मुक्ति सब घर आने लगा है
  • चाट-पकोड़ी बर्गर, आदि जंक फ़ूड बेचने वाले आज उसी ठेले में फल सब्ज़ी बेच रहे है यह सकारात्मक बदलाव है।
  • बच्चो को स्कूल से छुटकारा मिल गया है
  • शमशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए जहाँ पहले जगह नहीं मिलती थी वो हॉस्पिटल बंद होने से सुनसान हो गए है क्योंकि अब हॉस्पिटलों में लोग नहीं मर रहे केवल कोरोना से मर रहे है
  • घरो में पैसा ख़त्म हो रहा है तो क्या चिंता है सरकार शराब के कमाए पैसो से हमारे अकाउंट में महीने का खर्चा डाल देगी।
  • घरो में अतिथि मित्र अब नहीं आएंगे या आने से डरेंगे तो तो डिजिटल इंडिया का अभियान न होता तो आपस में संपर्क करने के माध्यम भी लोगो के पास न होते। डिजिटल इंडिया का भरपूर लाभ मिल रहा है।
  • संविधान में वर्णित अन्य अधिकारों का हमे लाभ मिलेगा या नहीं परन्तु मास्क लगाकर सब एक से दिखने लगे है समानता का अधिकार तो मिल गया है।




हम खुश है कोई दुःख नहीं है। काम धंधा किये बिना सरकार फ्री का राशन देगी ऐसी ऐसा स्वर्ग सा जीवन हो गया है हमारा।

बिना अंतिम संस्कार के ही स्वर्गवासी बन गए है।

और मैं यह भी स्पष्ट कर दूँ कि यदि कोई अच्छा विकल्प नहीं खड़ा हुआ तो 2024 के चुनाव में मोदी वोट देने में राष्ट्रहित नहीं है तो NOTA स्वीकार करूँगा
परन्तु विकल्प के आभाव में अभी वर्तमान में किसी कमज़ोर व्यक्ति को वोट नहीं दूंगा

क्योंकि कहावत है शब्दों पर न जाए "मूर्ख मित्र से अच्छा समझदार शत्रु होता है" और कुछ भी हो मोदी जी न तो मुर्ख है न शत्रु।
आशा है की मोदीजी बहुत समझदार मित्र बनकर उनका विकल्प होने पर भी उन्ही को चुनने का मनोबल दे पाएंगे

इसी आशा के साथ ईश्वर से मोदी जी की लम्बी आयु की कामना करता हूँ

जिससे अपने द्वारा लिए गए निर्णयों का आने वाली पीढ़ियों पर पड़ने वाले प्रभाव वह अपनी आँखों से देख पाए

कीबोर्ड रुपी कलम द्वारा ऐसी प्रार्थना में रत

-वीरेंद्र
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चेतावनी : यह लेख पढ़ने वाले आस्तिक और नास्तिक दोनों प्रकार के भक्तो को होने वाली ठेस या ख़ुशी का वह स्वयं ज़िम्मेदार है

Comments

  1. निष्पक्ष होकर सच्ची वस्तुस्थिति बयान करने के लिए आप प्रशंसा के हकदार हैं. आज के समय की सबसे बड़ी समस्या ही ये हो गयी है कि कोई भी निष्पक्ष नहीं है. अगर कोई रहना चाहे भी तो लोग अपने मन से उसे किसी न किसी पक्ष का घोषित करने पर आमादा रहते हैं. निष्पक्ष बात कोई सुनना ही नहीं चाहता. ईमानदारी से विश्लेषण कोई करना ही नहीं चाहता.

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