यह कैसी संक्रामक बीमारी है?
चेतावनी : जिनके पास दिमाग नहीं है यह पोस्ट उनके लिए नहीं है
अब दिमाग लगाकर सोचिए
- अगर कोरोना संक्रामक बीमारी है :
तो परिंदे और जानवर को अभी तक कैसे नहीं हुआ ?
- यह कैसी बीमारी है जिसमें सरकारी लोग
और हीरो ठीक हो जाते हैं और आम जनता मर जाती है ..?
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- कोई भी घर में या रोड पर तड़प कर नहीं मरता
हॉस्पिटल में ही क्यों मौत आती है..?
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- यह कैसी संक्रामक बीमारी है
कोई आज पॉजिटिव है
तो कल बिना इलाज कराए नेगेटिव हो जाता है..?
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- कोरोना संक्रामक बीमारी है
जो जलसे में / रैली में/ और लाखों के प्रोटेस्ट में नहीं जाता, लेकिन गरीब नॉर्मल खांसी चेक कराने जाए तो 5 दिन बाद लाश बनकर आता है..?
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- गजब का कोरोना वायरस है
जिस की कोई दवा नहीं बनी फिर भी लोग 99% ठीक हो रहे हैं ?
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- यह कौन सी जादुई बीमारी है?
जिसके आने से सब बीमारी खत्म हो गई, अब जो भी मर रहा है कोरोना से ही मर रहा है.???
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जरा सोचिये
- यह कैसा कोरोना है?
हॉस्पिटल में गरीब आदमी के जिस्म का महंगा पार्ट निकालकर लाश को ताबूत में छुपा कर खोल कर नहीं देखने का हुक्म देकर बॉडी दिया जाता है..?
#हैकोईजवाब :??
अगर है जरूर देना अगर नहीं है तो सोचना कोरोना की आड़ में क्या चल रहा है?
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कुछ हास्पिटल से न्यूज आ रहीं हैं कि सुबह मरीज़ को भर्ती किया जाता है और शाम को न्यूज मिलती है कि मरीज़ की करोना से मौत हो गई...
( क्या सुबह से शाम तक करोना की रिपोर्ट भी आ गयी और शाम को करोना से डेथ भी हो गयी, और लाश का अंतिम संस्कार भी हो गया)
इनके हिसाब से तो करोना की कोई स्टेज ही नहीं होती, जो पहले पाजिटिव से नेगटीव हुए, वो कैसे ठीक हुए,
15-20 दिन मे तो कनीका कपूर भी ठीक होकर घर चली गयी, आखिर ऐसा कौनसा इलाज था जो कनीका की 5 रिपोर्ट पोजिटिव आई और 6 रिपोर्ट मे नेगटीव आई..
और गरीबो की सुबह रिपोर्ट पोजिटिव आती है और शाम को उसकी डेथ हो जाती है..
क्या गरीब और माध्यम बर्ग की सिर्फ एक ही रिपोर्ट आती है positive या negative या डेथ?
कहीं कोई किडनी स्कैम तो नहीं हो रहा है...?.
किडनी ही क्यों और भी बहुत पार्ट हैं
क्या कोई बहुत बड़ा झोल हो रहा है
अंतराष्ट्रीय बाजार में व्यक्ति के पार्टस की कीमत करोड़ो रूपये हैं,
क्या कोरोना की आड़ में षड्यंत्र चल रहा है ?
क्योंकि मृत देह को घरवालों को देते नहीं ना ही कोरोना के नाम से घर वाले बॉडी लेते हैं और बंद लिफाफे में क्या हुआ है बॉडी के साथ किसे पता?
सबको मिलकर ऐसा कदम उठाना होगा जिससे हकीकत सामने आए..
- वीरेन्द्र
कोरोना षड्यंत्र को उजागर करने के लिए समर्पित होकर प्रयास करने वाले तेजस्वी, मेघावी वोरेंद्र भाई के लिए हार्दिक आभार, उनके द्वारा व अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारियों के कारण आज मैं भी स्थानीय स्तर पर अपने परिचित एवं मित्रों को वास्तविकता समझाने का प्रयास कर रहा हूँ, यह कार्य अत्यंत दुष्कर है क्योंकि विश्व के कुछ प्रभावशाली, धनवान लेकिन शैतानी दिमाग के लोगों ने अपने स्वार्थों के लिए अधिकांश जनता को छलबल से अपने वश में कर लिया है लेकिन हम सभी यदि मिलकर निरंतर प्रयास करते रहे तो ईश्वर अंततः अवश्य सफलता प्रदान करेंगे।
ReplyDeleteदाल में कुछ काला तो है.
ReplyDeleteको़रोना: आधी हकीकत, आधा फसाना या और कुछ?
ReplyDeleteकुछ भी अंदाजा लगाके बात करने के बजाय अपने अपने परिचित एवं मित्रों को वास्तविकता बतानेके लिए सत्य अनुभव share करना अति आवश्यक है! आपसमें होती हुई चर्चामेंसे हकीकतोंको उजागर करने का कष्ट करना बहुत जरूरी है।
अपने ही संबंधीयों को तंदुरस्त होने या तो थोड़े से बिमार होनेके बावजूद भी सरकारी या प्राइवेट या दोनों ने मिलकर एक दो हफतेमें ही डायरेक्ट उपर भेज दिए हैं। बहूत भारी खर्च कराकर भी संबंधीयों बचा नहीं पाए हैं। को़रोना मानकर एक बार होस्पिटलमें भर्ती करवा लिए, बाद में जानसे हाथ धो डालना, ऐसा ही दर्दी और रिश्तेदारोंको महसूस हो रहा है। अगर कोरोनाके लिए कोई निश्चित लक्षण, diagnosis, दवाई या
Treatment नहीं है, तो आखिर मरिजोंको होस्पिटल्समें क्यों भर्ती करवा देते है? अपने घर पर ही *जीए या मरें* ऐसी इजाजत क्यूँ नहीं मिलती!?!?
लोगों से अनुभव सुनकर और खुद के अनुभव से यह बात सही होने में कुछ दम हैं।
ReplyDeleteमेरे खुद के बिलकुल तंदुरस्त युवा भतीजेको एक हफ्तेमें ये कोरोना में फंसाकर सरकारी और प्राइवेट डाक्टर लोगों ने पांच लाख रुपये का को़रोना इलाज भी करवाया और यमलोक पहुंचवा दिया।
जिन जिनको ऐसे गलत और खतरनाक एवं ख़राब अनुभव हुए है, वे आगे आए और निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक फरियादके लंबे दौर चलाए और बहुत प्रचार करें तो ही यह डोक्टरकी मिलीभगत उपर से परदा उठेगा। साथ साथ उनका को़रोना संबंधित गलत तरिकेसे दर्दी का कत्ल करके पैसे कमाने कमानेका खतरनाक खेल खत्म होगा।
अकेले विरेन्द्रजीकी खास कोई असर नहीं होगी, हम सब लोगों ने उनको संपूर्ण सहयोग देना जल्द ही जल्द बहुत आवश्यक है।
दालमें काला ज्यादा है और दाल बहुत कम है। असरग्रस्त ही आगे आए, संगठित होकर आवाज उठाएं, तो सकारात्मक परिणाम अवश्य देखने को मिलेगा। कोरी कोमेन्ट से कोई रिज़ल्ट कभी भी मिल नहीं सकता!
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