जो कुत्ता मारे सो कुत्ता, जो कुत्ता पाले सो कुत्ता!



जो कुत्ता पाले सो कुत्ता
जो कुत्ता मारे सो कुत्ता

घर में (प्रेशर) कुकर और कुकुर (कुत्ता)  दोनों ही हानिकारक है।   

इस पोस्ट का अर्थ यह कदापि नहीं है कि कुत्तो पर अत्याचार हो या उन्हें सडको से हटा दिया जाए।  अपितु जो लोग सडको पर कुत्तो को रोटी आदि प्रतिदिन देते है उनको मेरा प्रणाम है।  सड़क पर घुमते कुत्ते बहुत ज़रूरी है परन्तु घर में साथ रखने के लिए नहीं।  

जिनको ऊपर लिखी बात से ठेस पहुंची है उनको और भी ठेस पहुंचगी यह जानकर कि घर में कुत्ता पालने वालो या कुत्ते को स्पर्श करने वालो के द्वारा कोई भी पुण्य कर्म का लाभ कुकुर पालक को नहीं मिलता।   चाहे वह हवन, यज्ञ, दान या किसी भी अन्य प्रकार का सुकर्म हो। यहाँ तक कि कुत्ते को स्पर्श करने के बाद 21 दिन तक यज्ञादि करने की अनुमति भी नहीं है। 

जिस देश में अतिथि को देवता स्वरुप माना गया और चौखट पर "स्वागतम" लिखवाया जाता था

उस देश में द्वार पर "कुत्ते से सावधान" का बोर्ड अब स्वागत करता है। 

 मुझे तो अभी तक समझ नहीं आया कि घर के किस कुत्ते से सावधान रहने की चेतावनी है?   

कितनी वैज्ञानिकता थी हमारे पूर्वजो में जो हमारे यहाँ पहले रोटी गाय को और अंतिम टुकड़ा गली के कुत्ते को देने का नियम था , क्योंकि कुत्ता यदि 15 दिन भूखा रह जाये तो पागल हो जाता है और फिर वह सबके लिए हानिकारक है।

कुत्ते जैसी स्वामिभक्ति का मैं भी प्रशंसक हूं। परंतु अब यह विकृत होकर मनुष्य की कुकुरभक्ति में परिवर्तित हो गई है जिसका मैं विरोधी हूं। 

इस अंतिम रोटी टुकड़े के कारण वह कुत्ता आपके घर की परिधि की जीवन भर ईमानदारी से स्वतः ही सुरक्षा कर सकता तो उस से अधिक सिर पर चढाने की आवश्यकता नहीं परन्तु उसे घर के सदस्य की भाँती घर में जगह देना मूर्खता है।

वास्तव में कुत्ते आदि का पालन करने और उनकी रक्षा करने में दोष नहीं है क्योंकि प्राणिमात्र का पालन-पोषण करना मनुष्य का विशेष कर्त्तव्य है।  परन्तु कुत्ते आदि के साथ घुल-मिल कर रहना उनको साथ में घर के अंदर रखना, मर्यादारहित छुआछूत करना, उनमे आसक्ति करना, उनसे अपनी जीविका चलना दोष है।  

कुत्ते सदा गली मोहल्लों की शोभा और सुरक्षा बढ़ाते है और ध्यान दें तो कहावत भी ऐसी ही बनी है कि 

अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है

    मुझे याद है 1985 में "तेरी मेहरबानियां" नाम की एक फिल्म थी जिसमे एक कुत्ते ने अपने मालिक की मृत्यु का बदला लिया।  भारत का मानस बिगाड़ने के अन्य विषयो की तरह जैसी फिल्मो के कारण कुत्तो के प्रति  लगाव और उसका बाजार बढ़ा। बचपन में एक फिल्म देख मेरे बालमन में कुत्ता पालने की इच्छा भी जागृत हुई परन्तु सौभाग्य से वह इच्छा माता जी द्वारा कुचल दी गयी।  

कई वर्ष पहले Hutch कंपनी के विज्ञापन में जो कुत्ता आया वह नस्ल भी रातो रात  

प्रसिद्द होकर घर घर में पहुंच गयी  क्योंकि विज्ञापन में वह CUTE लग रहा था और वह कुत्ता कद काठी में ऐसा है जिससे मालिक अपनी सुरक्षा की आशा कदापि नहीं कर सकता।  बड़े बड़े खेतो और सुनसान क्षेत्रों में कुत्ते सुरक्षा का महत्वपूर्ण साधन है। वहां उसकी आवश्यकता है। 

आज समझ आया की कुत्ता मल मूत्र के अतिरिक्त कुछ नहीं दे सकता। कुत्ते के जीवन पर संकट हो तो उसको बचाने के लिए मैं भी उसे स्पर्श करूंगा परंतु अनावश्यक उसे नही चिपकाऊंगा। जिस कुत्ते को अनावश्यक स्पर्श करना वर्जित है उसके मल को उठाने का कार्य कुकुर स्वामी करते है, स्वयं न टहले तो भी कुत्ते को टहलाने अवश्य निकलते है। 

कुछ वीडियो देखे जिसमे पिटबुल और रोटलीवर जैसी खतरनाक नस्ल लोग शहरों में पाल रहे है। जिनकी यदि शिकारी प्रवृत्ति जागृत हो जाए तो घर के बच्चे को शिकार समझ नोच डाले। एक मामले में तो एक व्यक्ति की मां को उसके इसी नस्ल के कुत्ते ने मार डाला। अब कुत्ते प्रेम में मां की बलि चढ़ जाए तो यह समझ लीजिए समाज रसातल में जा रहा है। मूल रुप से मांसाहारी स्वभाव के इस जीव को रोटी और शाकाहार खिलाकर कब तक उसकी मूल प्रवृत्ति को जागृत होने से बचाएंगे पता नही।

इस कुत्ता जागृति के दौर का एक पहलू बाजारवाद भी है क्योंकि आज पालतू जानवरों की देखभाल और खाद्य पदार्थों का एक बहुत बड़ा कई सौ करोड़ का बाजार है। 

 मैंने तो नियम बना लिया है कि जिस घर में कुत्ता होगा उस घर का पानी भी ग्रहण नहीं करूँगा।  क्योंकि आधुनिक  विज्ञान भी स्वीकार करता है कुत्ते के बाल सदा झड़ते है और घर में फैले रहते है और कितना ही प्रयास करें वह परिवार भोजन या पानी में जायेंगे ही जायेंगे।  अब  आधुनिक विज्ञान भी इसके बालो से होने वाले नुक्सान को स्वीकार करते है इसको आप गूगल से सर्च कर सकते है। 


क्या कुत्ते के बाल आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं?
जब पालतू जानवर के बाल और रूसी सांस के जरिए अंदर जाते हैं, तो छोटे बाल और अन्य हानिकारक कण फेफड़ों में जा सकते हैं और वहीं रह सकते हैं। समय के साथ यह फेफड़ों की परत में सूजन पैदा कर सकता है और वायुमार्ग को ख़राब कर सकता है, जो बाद में फेफड़ों की पुरानी स्थिति में बदल सकता है। हम कभी-कभी इसे 'ग्रूमर्स लंग' भी कहते हैं









यूरोप एवं अमेरिका में बहुत बड़ी संख्या में परिवार एवं उसके द्वारा मिले प्रेम एवं अपनेपन एवं वफादारी का आभाव है। अतः वह कुत्ते में वह सब पाते है तो उससे अत्यंत लगाव कर लेते है। पूरी तरह से इंडिया बनने की ओर अग्रसर भारत की सामाजिक व्यवस्था भी उसी राह पर है। क्योंकि हमारी सभी सरकारों का लक्ष्य भारत को यूरोप या अमेरिका की नकल कर उनके जैसा बनाने पर केंद्रित है। कुछ तथाकथित शिक्षित महिलाएं जो विवाह के बाद बच्चो के पालन को झंझट समझती है वो कुत्ते के पालन में निपुणता प्राप्त देखी है हमने।

कई घरों में तो कुत्ते के मरने के बाद उसकी फोटो माला के साथ लगी देखी है। 

अति तब होती है जब कोई मांसाहारी व्यक्ति पशु प्रेम का हवाला देकर कुत्ता पालने को सही ठहराने के प्रयास करता है। ऐसे लोगो पर तो अब गुस्सा नही दया आती है।

अभी कुछ दिन पहले एक कुकुर स्वामी अपने कुत्ते को कंधे पर बिठाकर केदारनाथ जी दर्शन हेतु पहुंच गया। उसके इस कुकृत्य को लोग कुत्ते को धर्मराज का अवतार बताकर सही ठहराने लगे। जिस देश के लोगो का विवेक इतने रसातल में चला जाए इस देश का अहित आज नही तो कल हो ही जायेगा। कुछ लोग तर्क देते है कि महाभारत में जो कुत्ता था वह भी तो धर्मराज का रूप था तो उनको यही उत्तर देते है कि इसका अर्थ हर कुत्ता धर्मराज का रूप तो नहीं हो जाता क्योंकि यह कुत्ता, कुत्ता ही है धर्मराज नही। यदि यह तर्क देने लगे तो हर मनुष्य को भी श्रीराम और श्री कृष्ण अवतार समझ कर उनका हर अवगुण या कुकर्म को अनदेखा करना ही ठीक होगा। 


कुछ लोग तर्क देते है कि देवी देवताओ के वहां भी कई पशु है तो आप कुत्ते के विरोध में क्यों है?

उत्तर: पहली बात तो यह कि मैंने कुत्ते का कहीं भी विरोध नहीं किया है और देवी देवताओ के वाहन के रूप में होने का अर्थ यही है कि पशुओ का भी सम्मान होना चाहिए और उनके प्रति हम सद्भाव रखें परन्तु उनकी जैसे एक जूते को घर के बाहर रखना ही मर्यादा है ठीक वैसे ही पशुओ को भी घर के बाहर रखना मर्यादा है।  

इस चित्र में यह जो बेटी है वह मेरे देखते देखते हरिद्वार के मथुरा पूरी वाले को दुकान में पूरी सब्ज़ी का नाश्ता उन्ही झूठे हाथो से कर रही है जो यह कुत्ता साथ साथ चाट रहा था। लगभग 3 बार भोजन करते करते इसने इस कुत्ते के माथे पर चूमा भी । इसका पूरा परिवार इसके साथ था । ईश्वर सद्बुद्धि दे। 



     घर में कुत्ता बिल्ली आदि न पाले, गाय पाले !

यह विडम्बना है की शहरों में जगह होने पर भी घर में गाय रखने की अनुमति नहीं है और कुत्तो को के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।  


जैसे हम महंगा जूता लेते है उसको साफ़ सुथरा रखकर देख्भाल करते है परन्तु उसकी जगह पैरो में ही है सिर पर नहीं और वह घर के बाहर ही अच्छा लगता है।  जूता चप्पल आवश्यकता है परन्तु  उसको पहन कर घर में नहीं घुसा जाता।  ठीक वैसे ही कुत्ते भी ईश्वर के एक जीवन है परन्तु उनकी मर्यादा घर के बाहर है।  

अब आप कहेंगे की जगह कहाँ है गाय रखने की? तो यही कहूंगा कि जगह पहले अपने मन में, ह्रदय में बनाएं फिर आप गाय चाहे तो अपने घर में रख सकते है  या किसी और के घर में पल रही देसी गाय से बने उत्पादों को प्रयोग कर प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से गाय घर में पाले।

हालांकि व्यक्तिगत रूप से गाय को फैक्ट्री बनाने के विरुद्ध हूँ परन्तु आज के सामाजिक व्यवस्था में जिसके घर में गाय है  उसका घर की जीविका यदि गाय से चलेगी तो ही  घर में गाय बंधेगी।  अतः जिनके घर गाय है उनका सहयोग करें।  

राजेन्द्र दास जी महाराज के इस वीडियो इस बारे में विचार विस्तार से सुने।

कुकुर क्यों नहीं पाले!



एक ही थाली में कुत्ते के साथ खाने वाली इस महिला को ईश्वर सद्बुद्धि दें 



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कुकुर और कुकर से दूर
कीबोर्ड रूपी कलम से लिखता
वीरेंद्र सिंह

VirenderSingh.in

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