कैसे बनाएं शरद पूर्णिमा की विशेष खीर?
इस दिन चांदनी रात में औषधीय खीर बनाने का प्रचलन है, जिससे अगले 1 साल तक कोई बीमारी होने की संभवना कम होगी ।
खासकर दमा रोग, तपेदिक, हृदय रोग, किडनी समस्या, सिरदर्द, आँखों के रोग, पीलिया इत्यादि किसी को हो भी तो वो शरद पूर्णिमा में बना खीर जो रात भर खुले आकाश में रखा जाता हैं, उसे खाने से कई रोग दूर होते हैं।
नीचे ऑडियो में बताया है कि खीर में कौन कौन सी जड़ी बूटियों को डालकर इसे बनाया जाता हैं .......
#शरद पूर्णिमा की रात आयुर्वेदिक खीर बनाने की विधि !!
खीर का बर्तन कैसा हो-
सबसे पहले खीर बनाते या चांदनी रात में रखने से पहले उसके पात्र का ध्यान रखें। शरद पूर्णिमा के दिन खीर किसी चांदी के बर्तन में रखें।
यदि चांदी का बर्तन घर में मौजूद न हो तो खीर के बर्तन में एक चांदी का चम्मच ही डालकर रख दें।इसके अलावा आप खीर रखने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तनों का भी उपयोग कर सकते हैं।
खीर को चांदनी रात में रखते समय ध्यान रखें कि खीर रखने के लिए कभी भी स्टील, एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने पर आपकी सेहत प्रभावित हो सकती है।
शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में दशमूल क्वाथ,सौंठ,काली मिर्च,वासा,अर्जुन की छाल चूर्ण,तालिश पत्र चूर्ण,वंशलोचन,बड़ी इलायची,पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री/खांड मिलाकर पकायें और खीर बना लेंI
खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें ,अब इस खीर को साफ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I
इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है ,इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI
इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं , इसके सेवन करने से साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है Iकई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं ,जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता है I
तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।
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गोधूलि परिवार द्वारा जनहित में प्रेषित
गोधूली परिवार द्वारा संचालित
एक अनोखा आर्गेनिक ऑनलाइन स्टोर जहाँ उत्पाद और मात्रा सीमित है, गुणवत्ता नहीं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति राम राम जी
ReplyDeleteमहोदय वर जडीबुटी की मात्रा प्रति व्यक्ति वजन मे कितनी होनी चाहिए मार्ग दर्शन करे
ReplyDeleteDHANYEWAAD
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