कैसे बनाएं शरद पूर्णिमा की विशेष आयुर्वेदिक खीर?
शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर 2025 अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है ।
वर्ष की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा विशेष चमत्कारी मानी गई है। शरद पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है।
इस दिन ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ का दर्शन करना भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। शरद पूर्णिमा की रात में चांद धरती के सबसे करीब होता है। अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को चांद 16 कलाओं से संपन्न होकर अमृत वर्षा करता है। यह स्वास्थ्य के लिए अक्षय फलदायी होता है।
शास्त्रों के अनुसार इस तिथि पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता होती है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना और उसकी अराधना करना काफी शुभ फल दायक माना जाता है। लक्ष्मी पूजन और रात्रि जागरण से व्रती को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आँखों के लिए टॉनिक: त्रिफला, शहद और देसी गाय के शुद्ध घी का 02:02:01 के अनुपात में मिश्रण तैयार करके उसे शरद पूनम की पूरी रात को चांदनी में रखो। फिर उस मिश्रण को काँच की बाटल में रख लें । फिर अगले 40 दिनों तक इस मिश्रण को 1 ग्राम सुबह शाम लें । आंखें टनाटन, न मोतिया न मोतियाबिंद न लेंस । बल, सौंदर्य व आयुवर्धक प्रयोगः शरद पूर्णिमा के बाद पुष्ट हुए आँवलों के रस 4 चम्मच, शुद्ध शहद 2 चम्मच् व गाय का घी 1 चम्मच मिलाकर नियमित सेवन करें। इससे बल, वर्ण, ओज, कांति व दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है। नेत्र सुरक्षा के लिए शरद पूर्णिमा का प्रयोग: वर्षभर आंखें स्वस्थ रहे, इसके लिए शरद पूनम की रात को चन्द्रमा की चांदनी में एक सुई में धागा पिरोने का प्रयास करें । कोई अन्य प्रकाश नहीं होना चाहिए ।
शरद पूर्णिमा पर अध्यात्मिक उन्नति: शरद पूनम रात आध्यात्मिक उत्थान के लिए बहुत फायदेमंद है । इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।
कैसे बनाएं शरद पूर्णिमा की विशेष खीर?
इस दिन चांदनी रात में औषधीय खीर बनाने का प्रचलन है, जिससे अगले 1 साल तक कोई बीमारी होने की संभवना कम होगी ।
खासकर दमा रोग, तपेदिक, हृदय रोग, किडनी समस्या, सिरदर्द, आँखों के रोग, पीलिया इत्यादि किसी को हो भी तो वो शरद पूर्णिमा में बना खीर जो रात भर खुले आकाश में रखा जाता हैं, उसे खाने से कई रोग दूर होते हैं।
नीचे ऑडियो में बताया है कि खीर में कौन कौन सी जड़ी बूटियों को डालकर इसे बनाया जाता हैं .......
#शरद पूर्णिमा की रात आयुर्वेदिक खीर बनाने की विधि !!
खीर का बर्तन कैसा हो?
सबसे पहले खीर बनाते या चांदनी रात में रखने से पहले उसके पात्र का ध्यान रखें। शरद पूर्णिमा के दिन खीर किसी चांदी के बर्तन में रखें।
यदि चांदी का बर्तन घर में मौजूद न हो तो खीर के बर्तन में एक चांदी का चम्मच ही डालकर रख दें।इसके अलावा आप खीर रखने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तनों का भी उपयोग कर सकते हैं।
खीर को चांदनी रात में रखते समय ध्यान रखें कि खीर रखने के लिए कभी भी स्टील, एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल न करें। ऐसा करने पर आपकी सेहत प्रभावित हो सकती है।
शरद पूर्णिमा को देसी गाय के दूध में थोड़ी थोड़ी मात्रा में
दशमूल क्वाथ,सौंठ,काली मिर्च,वासा,अर्जुन की छाल चूर्ण,तालिश पत्र चूर्ण,वंशलोचन,बड़ी इलायची,पिप्पली इन सबको आवश्यक मात्रा में मिश्री/खांड मिलाकर पकायें और खीर बना लेंI
खीर में ऊपर से शहद और तुलसी पत्र मिला दें ,अब इस खीर को साफ बर्तन में रात भर पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे ऊपर से जालीनुमा ढक्कन से ढक कर कम से काम 3 से 4 घंटे छोड़ दें और अपने घर की छत पर बैठ कर चंद्रमा को अर्घ्य देकर, अब इस खीर को रात्रि जागरण कर रहे दमे के रोगी को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त (4-6 बजे प्रातः) सेवन कराएं I
इससे रोगी को सांस और कफ दोष के कारण होने वाली तकलीफों में काफी लाभ मिलता है I रात्रि जागरण के महत्व के कारण ही इसे जागृति पूर्णिमा भी कहा जाता है ,इसका एक कारण रात्रि में स्वाभाविक कफ के प्रकोप को जागरण से कम करना हैI
इस खीर को मधुमेह से पीड़ित रोगी भी ले सकते हैं, बस इसमें मिश्री की जगह प्राकृतिक स्वीटनर स्टीविया की पत्तियों को मिला दें I
यही खीर स्वाद में सामान्य दिनों जैसी भले ही न लगे परन्तु गुणकारी बहुत है
आप चाहे तो खीर का कुछ भाग इस विधि से एवं स्वाद हेतु कुछ भाग सामान्य दिनों जैसी बनाकर भी खा सकते है
यह आपका व्यक्तिगत निर्णय है
उक्त खीर को स्वस्थ व्यक्ति भी सेवन कर सकते हैं , इसके सेवन करने से साइनोसाईटीस जैसे उर्ध्वजत्रुगत (ई.एन.टी.) से सम्बंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है Iकई आयुर्वेदिक चिकित्सक शरद पूर्णिमा की रात दमे के रोगियों को रात्रि जागरण के साथ कर्णवेधन भी करते हैं ,जो वैज्ञानिक रूप सांस के अवरोध को दूर करता है I
तो बस शरद पूर्णिमा को पूनम की चांदनी का सेहत के परिप्रेक्ष्य में पूरा लाभ उठाएं बस ध्यान रहे दिन में सोने को अपथ्य माना गया है।
किसी क्रांति के पहले एक वैचारिक क्रांति होती है। वैचारिक क्रांति तब होगी जब ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ऐसी बातें पहुंचाई जाये और मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे । कृपया सच्चाई प्रचारित करने में सहयोग करें । इसे और भाइयों के साथ साझा करें।
मित्रों और संपर्कों के बीच इस संबंध में जागरूकता पैदा करें। किसी अन्य व्यक्ति को सच्चाई के करीब लाने से बड़ी सेवा मानवता के लिए कोई नहीं है, और आपके पास अभी आपके हाथों में वह शक्ति है। ज्ञान की उपहार के साथ उदार रहो! इस शब्द को फैलाएं ताकि बहुत से लोग लाभान्वित हो सकें।
खासकर मुंह के शब्द से उन लोगों को जो facebook या internet का उपयोग नहीं करेंगे। अपने व्यक्तिगत क्षेत्र में पहुंच के, क्या आप इन विचारों को ले सकते हैं और लोगों को विभिन्न मीडिया-print, electronic या किसी अन्य माध्यम से संतों को तैनात कर सकते हैं। आगे बढ़ना, पढ़ना और प्रसार करना! आपका बहुत आभारी रहूँगा, कि जो बातें मैंने आपसे कही हैं, इनको आप हमेशा हृदयांगम करके रखेंगे, इनको अपनी समझ में रखेंगे, अपने दिमाग में रखेंगे।
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वीरेन्द्र गौधूली द्वारा जनहित में प्रेषित
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वीरेन्द्र भाई द्वारा संचालित
बहुत सुन्दर प्रस्तुति राम राम जी
ReplyDeleteमहोदय वर जडीबुटी की मात्रा प्रति व्यक्ति वजन मे कितनी होनी चाहिए मार्ग दर्शन करे
ReplyDeleteDHANYEWAAD
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