गुंडागर्दी और बेशर्मी पर आ ही गई सरकारें तो इनके लिए अब क्या संविधान? क्या कानून?
When You cannot convince them, confuse them
अर्थात जब विश्वास न दिला सको तो, भ्रमित कर दो
यही कुछ मार्च 2020 से सरकारों ने करने का ठेका ले लिया है
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सच कहूं तो विषय अब टीका लगवाना या न लगवाना रहा ही नहीं
विषय तो अब यह है कि प्रजा का कोई सम्मान बचा है कि नहीं
नीचे एक प्रदेश का मुख्यमंत्री कहता है कि टीका लेने को मना नहीं कर सकते वही केंद्र सरकार कोर्ट में एफिडेविट देती है कि उन्होंने टीका अनिवार्य नहीं किया है
फिर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नीचे दिया गया पोस्टर जारी होता है
कि
"पूरी तरह से टीकाकरण करवाएं हुए लोग भी संक्रमित होकर वायरस दूसरो में फैला सकते है"
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यह विरोधाभासी टिप्पणियां कर यह जब स्वयं को सुप्रीम कोर्ट और संविधान से उपर समझकर गुंडागर्दी और बेशर्मी पर आ ही गई है सरकारें तो देखते है कि यह एकतरफ़ा खेल कब तक चलेगा
अभी अंग्रेज़ो द्वारा दी गई दमनकारी व्यवस्था में ताक़त इनके पास है तब तक खैर है इनकी
जिस दिन (वह दिन लगता तो नहीं जल्दी आएगा) जनता जागेगी उस दिन सरकारें भागेंगी
तब तक जहाँ तक संभव हो अपनी क्षमतानुसार इनके द्वारा रोकी जाने वाली हर सेवा का सामूहिक बहिष्कार करो
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जी हांँ जब तक सामूहिक बहिष्कार नहीं होगा तब तक हम स्वतंत्र नहीं हो सकेंगे
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