देसी गोमाता के घी से क्यों नहीं बढ़ता मोटापा?
यह जानकारी गोधूली परिवार द्वारा जनहित में जारी
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*देसी गाय के शुद्ध बिलोना देशी घी की पहचान*
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हरियाणा और राजस्थान वाले मेरी बात समझेंगे की इन राज्यों में बच्चा होने के बाद जच्चा के लिए एवं और सर्दियों में गोंद के लड्डू बनाए जाते है। जब यह लड्डू भैंस या बाजार के घी से बनते है तो इनको फोड़ने के लिए सिलबट्टे से मारकर इनको बहुत ज़्यादा ज़ोर लगाकर फोड़ना पड़ता है। वही अगर यह लड्डू देशी गोमाता के घी से बनाएं जाते है तो यह हाथ के थोड़े से दबाव से ही टूट जाता है। क्यों? आइये जानते है
ठंड से जमा हुआ घी हथेली पर रखते ही कुछ देर में पिघल जाएगा क्योकि देसी गोमाता के शुद्ध बिलोना घी का मेल्टिंग पॉइंट (अर्थात सामान्य भाषा में वह तापमान जिसपर कोई कोई वस्तु पिघल जाती है) हमारे शरीर के तापमान से कम होता है अतः हमारे शरीर में जाकर वह जमता नहीं नहीं और न ह्रदय रोग करता है न मोटापा बढ़ाता है।
जबकि मिलावटी घी/ बटर-आयल/भैस-घी / विदेशी रंगीन भैंसो (विदेशी नस्ल की गायों) का मेल्टिंग पॉइंट 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, और इसको पिघलने के लिए बहुत अधिक शारीरिक मेहनत की आवश्यकता है इसीलिए पहलवान, मज़दूर एवं किसान आदि भैंस के घी को पचा पाते थे परन्तु वही घी हमें बीमार बना रहा है क्योंकि शारीरिक श्रम कम हो गया इसीलिए ऐसा घी खाने पर नसों में रक्त प्रवाह रुक जाता है,धीरे धीरे हार्ट ब्लॉक होने लगता है। मोटापा बढ़ता है क्योकि यह घी शरीर के भीतर जाकर आसानी से पिघलता नही।
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बिना घी की रोटी खाने वालों आपको सच नहीं बताया गया
आपको सच नहीं बताया गया
जानिए .....सच्चाई क्या है?
दोस्तों, हर घर से एक आवाज जरुर आती है,
“मेरे लिए बिना घी की रोटी लाना”,
आपके घर से भी आती होगी, लेकिन घी को मना करना सीधा सेहत को मना करना है। पहले के जमाने में लोग रोजमर्रा के खानों में घी का बहुत इस्तेमाल करते थे।
घी का मतलब देसी गाय का शुद्द देशी घी जिसे रात में दही जमाकर, सुबह उसका मक्खन बिलोने से निकालकर उस मक्खन को तपा कर बनाया गया गया हो। कई दिन पुरानी मलाई को इकठ्ठा करके बनाया गया या क्रीम से बनाया गया घी हमारे अनुसार घी जैसा कुछ है परन्तु घी नहीं।
भारतीय पद्धति से बने बिलोने घी घी का लोहा पूरी दुनिया मानती है और इसी के चलते भारत में कोलेस्ट्रोल और हार्ट अटैक जैसी बीमारियाँ कभी सुनने में भी नही आती थी ।
लेकिन फिर शुरू हुआ घी का गलत, एवं भ्रामक एवं नकारात्मक प्रचार, बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ मिलकर अपने बेकार और अनावश्यक उत्पादों को बेचने के लिए लोगों में शुद्ध घी के प्रति नेगेटिव पब्लिसिटी शुरू की और ये कहा कि घी से मोटापा आता है, कोलेस्ट्रोल बढता है, और हार्ट अटैक आने की सम्भावना बढती है जबकि ये सरासर गलत है।
जबकि रिफाइंड और दुसरे वनस्पति तेल और घी इन सब रोगों का कारण है।
जब लोग बीमार होंगे तो ही डॉक्टरों का धंधा चलेगा.. इसी सोच के साथ इन विदेशी लुटेरी कंपनियों के साथ ये डॉक्टर भी मिल गए. अब इस मार्किट में कुछ स्वदेशी कंपनियां भी आ गई है और धीरे धीरे लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई कि घी खाना बहुत ही नुकसानदायक है। घी न खाने में प्राउड फील करने लगे कि वो
Health conscious है क्योकि जब आप एक ही चीज झूठ को बार बार टीवी पर दिखाओगे तो वो लोगो को सच लगने लगता है ।
सच्चाई यह है कि सही प्रकार से बने गाय का शुद्ध घी खाना नुकसानदायक नही बहुत ही फायदेमंद है। गाय के घी है परन्तु पद्धति गलत है तो वह भी नुक्सान करेगा।
घी हजारों गुणों से भरपूर है, खासकर देसी गाय का घी तो खुद में ही अमृत है। शुद्ध देसी गाय का घी हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल को बढाता नही बल्कि कम करता है। घी मोटापे को बढाता नही बल्कि शरीर के ख़राब फैट को कम करता है। घी एंटीवायरल है और शरीर में होने वाले किसी भी इन्फेक्शन को आने से रोकता है। घी का नियमित सेवन ब्रेन टोनिक का काम करता है। खासकर बढ़ते बच्चों की फिजिकल और मेंटली ग्रोथ के लिए ये बहुत ही जरुरी है।
ये जो उठते और बैठते आपके शरीर की हड्डियों से चर मर की आवाज आती है इसकी वजह आपकी हड्डियों में लुब्रिकेंट की कमी है। अगर आप घी का नियमित सेवन करते है तो ये आपकी मसल्स को मजबूत करता है और आपकी हड्डियों को नृश करता है।
घी हमारे इम्यून सिस्टम को बढाता है और बिमारियों से लड़ने में आपकी मदद करता है।
घी हमारे पाचन तंत्र को भी ठीक रखता है जो आजकल सबसे बड़ी परेशानी है। आज हर दूसरा व्यक्ति कब्ज का मरीज है और यह कब्ज़ कई रोगो का द्वार है।
अब हम बात करते है कि घी को कितना और कैसे खाए?
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चिकनाहट और तला हुआ खाने में बहुत अंतर है
एक सामान्य व्यक्ति के लिए 4 चम्मच घी पर्याप्त है। घी को पका कर या बिना पकाए दोनों तरीके से खा सकते है। चाहे तो इसमें खाना पका लें या फिर बाद में खाने के ऊपर डालकर खा लें। दोनों ही तरीके से घी बहुत ही फायदेमंद है। रात में देसी गाय के दूध में घी डालकर 50 बार फेंट कर झाग बनाकर पीजिये बहुत लाभ करेगा। यदि दूध देसी गाय का नहीं मिले तो बेहतर की दूध न पिए बल्कि गलत दूध पर खर्चा करने के स्थान पर उसकी खर्चे में शुद्ध घी का प्रयोग करे।
कहा जाता है की दुश्मन के घर भोजन करने जाओ तो काली मिर्च और घी साथ लेकर जाना चाहिए क्योंकि यदि किसी को ज़हर दे दिया गया है तो साथ में काली मिर्च और शुद्ध घी है तो उसकी जान बचाई जा सकती है और मेरे एक मित्र के साथ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देख चुका हूँ।
इसका एक अर्थ यह भी है कि यदि आप अपने भोजन में काली मिर्च और शुद्ध घी का प्रयोग करते है तो खेतो में डाले जाने वाली रासायनिक खाद एवं कीटनाशक के विष का असर समाप्त हो जाता है। अतः इस कारण घी का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
और एक और जरुरी बात अगर आप सबसे ग्लोइंग, शाइनिंग और यंग दिखना चाहते हैं तो घी जरुर खाएं क्योंकि घी एंटीओक्सिडेंट जोकि आपकी स्किन को हमेशा चमकदार और सॉफ्ट रखता है।
सस्ता नकली घी एक दिन महंगा पड़ जाता है, इसलिए घी, तेल नमक व मीठे का चुनाव आयुर्वेद के अनुसार कीजिये, पुनः अपनी प्राचीन सँस्कृति की ओर लौटियें ।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुद्ध बिलोना घी (Gaudhuli.com) का ही प्रयोग करे।
आपके अपने और आसपास के सभी लोगों की अच्छी सेहत के लिए यह जानकारी उनके साथ साँझा करे और जो बिना घी की रोटी खाते है उनको ये जरुर भेजे ।
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बिना शार्टकट शुद्ध वैदिक पद्धति से बने घी हेतु गोधूली परिवार द्वारा बनाया गया विभिन्न देशी गाय की नस्लों के घी प्रयोग करें जिसे मिटटी के बर्तनो में पकाकर एवं हाथों से बिलो कर बनाया जाता है
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विरेन्द्र जी
ReplyDeleteएक कठिन और विकृत परिस्थितियों में जनमानस को लुप्त होती वैदिकता और गऊ परम्परा से अपनी गोधुली के माध्यम से जोडने के आपके प्रयत्नों को प्रणाम।
राजीव जी की प्रेरणा को बढाते हुए राजेन्द्र क्ले हैंडीक्राफ्टस से मिट्टी के बर्तनों को 3 साल से प्रयोग कर रहा हूं।
आप और राजेश वैद्य जी की विडियो से 2 सालों से जुङा हूं।
आपके लैक्चर के मुताबिक जीवन शैली पे उतरता जा रहा हूं। 72 साल का हूं, जनक पुरी दिल्ली रस्ता हूं। अभी पथमेडा गऊशाला का मंजन, बिलोना, धूप बत्ती, साबन आदी ले रहा हूं।
आपके गोधुली स्टोर का समान विशेषकर घी लेना चाहता हूं। देहली स्टोर का पता बताएं।
जय हिन्द!