वर्तमान के मनीषी थे गुरुजी रवींद्र शर्मा जी
वर्तमान के मनीषी थे गुरुजी
**********
5 सितंबर 1952 - 29 अप्रैल 2018
अच्छे लोगो को ईश्वर यदि अपने पास बुलाता है तो उन्हें तकलीफ नही होने देता। ठीक ऐसे ही नींद में ही गुरुजी ने प्राण छोड़े। आज जब अदिलाबाद पहुँचा तो उनके मुख पर एक असीम शांति का अनुभव किया।
दुनिया को भारत की नज़र से देखते हुए भारत को भारत के नज़रिये से देखने समझने वाले लोग कम ही हैं। उन्ही में धर्मपाल जी, अनुपम मिश्र जी आदि कुछ नाम आदर से लिए जाते हैं।
राजीव भाई को सुनकर जो आधार तैयार हुआ उस पर गुरूजी के ज्ञान के कारण भवन बहुत सुदृढ़ रूप से खड़ा हो पाया। देश में गाँव की बात करने वाले बहुत लोग है परन्तु उसकी परिभाषा कर सकने वाले वो अकेले व्यक्ति थे जिन्हें धर्मपाल जी देश के सबसे बहादुर व्यक्ति कहा करते थे
मई 2014 में उनसे मेरी पहली भेंट मसूरी में पवन गुप्ता जी के SIDH कैंपस के एक कार्यक्रम में हुई और उसके पश्चात जब भी अवसर मिलता तेलंगाना राज्य के आदिलाबाद स्थित उनके आश्रम पहुच जाता/।
उनका सहज स्वाभाव ही था जो मुझे वहां जाने को प्रेरित और आकर्षित करता था
इतने ज्ञानी व्यक्ति के द्वारा बिना कारण ही फ़ोन करके कभी भी पूछ लेना कि "और विरेंद्र क्या चल रहा है, क्या कर रहे हो आज कल?" जब भी आदिलाबाद जा रहा होता या वहां से वापस दिल्ली आता तो उनका फ़ोन अवश्य आता था की "कब पहुच रहे हो" और फिर यह कहकर फ़ोन रख देना की " चलो आ जाओ फिर"
और ऐसा नहीं की वो मेरे साथ करते थे जो भी लोग आश्रम में उनके निकट थे उन सबके साथ उनका यह व्यवहार होता था
इतना ज्ञान होते हुए भी इतना सहज होना उनसे सीखा है
भारतीय समाज पर “सत्यम शिवम् सुंदरम” से देखने वाले मनीषियों में रविंद्र शर्मा (गुरुजी) भी है जिनसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भारतीय समाज के बारे में अपनी दृष्टि और जानकारी में सुधार किया।
कुछ लोग दूर से बड़े और नज़दीक आने पर छोटे दिखते हैं। रविंद्र शर्मा जी इसके विपरीत दूर से देखने पर अति सामान्य और नज़दीक से ज्ञान,अनुभव का भंडार दिखते हैं।
भारतीय समाज के बारे में जानकारी रविंद्र शर्मा जी के साथ बिना सत्संग किये मुझे हमेशा अधूरी लगती रही।
उनके असमय चले जाने से एक अपूर्णिय क्षति हुई है,मगर विधना के आगे किसकी चली है।
अब भी उनके ज्ञान का संकलन, संपादन, संप्रेषण हो यह युग की आवश्यकता हैं।
कल ही खबर मिली कि रवींद्र गुरूजी नहीं रहे। उनके चले जाने का दुख सभी खुशियों पर भारी है। मन बहुत उदास है।
मैं जानता हूँ, यहाँ बहुत से लोग जानते भी नहीं होंगे कि रवींद्र गुरूजी कौन हैं। यह इस देश का दुर्भाग्य ही है कि हमारे युवा फिल्मी सितारों और क्रिकेट खिलाड़ियों को तो पहचानते हैं, परंतु उन्हें देश की परंपरा के संरक्षक महापुरूषों के बारे में कतई कोई जानकारी नहीं होती। नहीं, इसमें उनका बहुत अधिक दोष नहीं है। हमारे देश की व्यवस्थाएं केवल चकाचौंध के पीछे चलती हैं। तपस्वियों और मनीषियों को आदर्श मानने और उनके पीछे चलने की हमारी परंपरा कहीं विलुप्त हो गई है। और इसलिए हम रवींद्र गुरूजी को नहीं जानते। उन्हें कोई विदेशी पुरस्कृत भी तो नहीं कर गया न? यदि कर गया होता, तो भी शायद हम उन्हें जान जाते। परंतु इस देश की परंपरा और सच्चे इतिहास को सुरक्षित रखने का प्रयास करने वाले एक महान योद्धा को कोई विदेशी पुरस्कृत क्यों करेगा भला? जब हम ही उसे उसका वास्तविक स्थान नहीं दे पा रहे तो दुनिया क्या और क्यों करेगी?
रवींद्र गुरूजी की एक ही बात याद आ रही है। उन्होंने कहा था भारत एक ऐसी संस्कृति है जो बिना किसी कारण के समाप्त हो रही है। इसे विकास समाप्त कर रहा है। विकास, जी हाँ, वही विकास जिसकी इतनी दुहाई हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौबीसो घंटे देते रहते हैं और भारतीयता और हिंदुत्व के सारे झंडाबरदार उनके पीछे झंडा उठाए खड़े रहते हैं। यह विकास नहीं, विनाश है। भारतीयता का विनाश। और याद रखें, इस विनाश के बाद यह विकास भी कहीं नहीं बचेगा।
गुरूजी को श्रद्धांजलि दीजिए। उनको यूट्यूब पर सुनिये और गुनिये। सोचिए, वे क्या संजो रहे थे और हम उसमें क्या कर सकते हैं।
Guruji Ravindra Sharma Ji audio lecture download link
https://drive.google.com/folderview?id=1WUyGbilPKzQ6C9F7qb2cbQKVlp-4-6_D
रवींद्र शर्मा गुरूजी को मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
https://www.facebook.com/GurujiAdilabad
- विरेन्द्र
कोटी कोटी साधुवाद 🙏 मुझे गर्व है कि मुझे आप जैसा बड़ा भाई मिला 🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी, धन्यवाद!
ReplyDeleteShanti
ReplyDeleteBahut bahut dhanyavaad.. Aapka aur Guruji ka.. Asli bharat ko jeena hum sabka haq hai😊🙏
ReplyDelete