हरियाणा की बर्बादी, अश्लीलता की थाली अब हरियाणा की हलक में
मार मण्डाश खेत कमावै, वेश पहन मर्दाणा।
पहले जैसा न रहा मेरा हरियाणा
बेटी पढ़ाओ और बचाओ लेकिन परम्पराओ को न भुलाओ।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
संस्कार पढ़ाओ भारत बचाओ
क्या मिस वर्ल्ड बनना गौरव की बात है भारत की बेटियों के लिए?
हाल ही में हरियाणा के बहुत से प्रदेशो में मेरा प्रवास हुआ। 2013 में भी एक महीने तक हरियाणा के विभिन्न स्थानों का प्रवास हुआ। 4 वर्षों में हालात और बदतर होते दिखे।
विशेषकर युवा और युवतियों कि बात करूँ तो पढ़ी लिखी जमात भरी पड़ी है जो गांव की वैज्ञानिकता से परिपूर्ण परम्पराओ और व्यवस्थाओं को पिछड़ा मान छोड़कर उनको कुरुक्षेत्र के धरोहर नाम के संग्रहालय में देखने जाती है। हमारे सामने सामने ही यह सब घरों से उठकर म्यूजियम में पहुँच गया। और इन परम्पराओ की अर्थी को संग्रहालयों में पहुँचा देने में हम सबका कंधा लगा है।
पहले ही लिंग अनुपात (sex ratio) बिगड़ने के कारण बहुत सी सुंदर परम्पराये समाप्त हो गयी। क्योंकि बेटियो की कमी के कारण बहु मिज़ोरम, बंगाल, असम आदि प्रदेशो से हरियाणा के घरो में लायी जा रही है। जिसके कारण गर्भवती होनेपर छूछक लाना और अन्य कई परम्पराये समाप्त हो गयी।
लेकिन लिंग अनुपात सुधार कर जिस युवा पीढ़ी को बनाया जा रहा है वह भी क्या इन परम्पराओ को जीवित रखने का मानस रखती हैं या उन्हें केवल म्यूजियम में देख खुश है?
हरियाणा के प्रवास में यह देखा कि फटी जीन्स पहने, टीशर्ट पहने हुक्का तो युवा खींच रहे है लेकिन हुक्के के अलावा अन्य किसी भी परंपरा का निर्वहन वो नही कर रहे। जैसे पगड़ी, धोती, महिलाओ का सम्मान, गोत्र व्यवस्था का सम्मान, गाँव के प्रति कर्तव्य, परिवार के प्रति कर्तव्य आदि।
कुछ वर्षों से देख रहा हूँ कि पंजाब की बेटियों को फैशन और अश्लीलता परोसने के बाद यह थाली अब हरियाणा की बेटियों को परोसकर उन्हें ठूंस ठूंस के हलक तक भर देने की पूरी रणनीति बना ली है विश्वमाफ़ियाओं ने।
पहले सपना चौधरी नाम की तथाकथित फ़ूहड़ डांसर को तैयार कर युवाओ को सूट सलवार में भी अश्लीलता परोसी गई। लोग पुलिस और आयोजको के डंडे खाते रहते है लेकिन डांस देखकर ही दम लेते है।
अब बिगबॉस में उसे बुलाकर पूरे देश के सामने उसे आदर्श बनाकर प्रस्तुत कर दिया है। आज उसकी देखा देखी पैसे कमाने के लिए सपना को कम्पटीशन देने वाली हरयाणा की कई बेटियां तैयार हो रही है। जिन्हें यदि आगे बढ़ना है तो शायद सपना से अधिक अश्लील कपङे और डांस करना पड़े। स्कूल की बच्चियां इसके जैसा डांस अपनी टीचर के सामने करने लगी है। और उनको छोटी सपना की उपाधि भी दी जाने लगी हैं। यह शर्म कि बात है।
अब जाटो की एक बेटी को मिस वर्ल्ड बनता देख भारत फूलो नही समा रहा। लेकिन हरियाणा की मरती परम्पराओ और नारीशक्ति के मानस को दूषित करने की कड़ी में सपना चौधरी , दंगल फ़िल्म और अब मिस वर्ल्ड जैसी एक और कील ठोक दी गई है।
बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ का विचार इस रूप में यदि फलीभूत हो रहा है तो पुनः विचार करना होगा।यदि "बेटी पढ़ाओ परंतु संस्कार भी बचाओ" का भी नारा दिया जाए तो अच्छा होगा।
यह बेटियां विदेशी और भारतीय कॉस्मेटिक कंपनियों की एक प्यादा बन उनके उत्पाद घर घर पहुचाने की निमित्त मात्र बनेगी। जो वर्षो से इन मिस वर्ल्ड, इंडिया, यूनिवर्स जैसे आयोजनों का वास्तविक लक्ष्य रहा है।
आज की हरियाणा या व्यापक दृष्टि से बात करूं तो भारत की बेटियां वीरो और महापुरुषों को जन्म दे इसके लिए उन्हें ऐसी मिथ्या आदर्श महिलाओ से दूर करना होगा। अपनी दादी नानी और पूर्वजो के सद्गुणों को धारण कर परिवार को सर्वोपरि मान समाज को टूटने से बचाना होगा।
तो इतना सब कहने का अर्थ यह हैं बेटी पढ़ाओ का नारा तब तक अधूरा है जब तक इस पढ़ाई में माता पिता संस्कार और परम्पराओ की पढ़ाई नही करवाते।
अतः
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
संस्कार पढ़ाओ भारत बचाओ
चित्र में: डॉ त्वचा कंपनी का निदेशक जो हमारी बेटियो की कमर में हाथ डाल खड़ा है वह मिस वर्ल्ड बनी मानुषी छिल्लर के आधिकारिक त्वचा देखरेख एक्सपर्ट है।
अब ज़ाहिर है कि त्वचा के लिए दूध, घी, हल्दी आदि का नाम तो ये लेने से रहे।
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- विरेन्द्र का विश्लेषण
सह - संस्थापक
Gaudhuli.com
बहुत ही आहत होता है मन जब यह आज की युवा पीढ़ी अपने गौरवपूर्ण संस्कारों को बुलाकर निकृष्ट भाषा संस्कृति को अपनाकर अपना ही गला काटने को आतुर हैं
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