नई सामाजिक बीमारी, रिसोर्ट मे शादियां !

 नई सामाजिक बीमारी  

रिसोर्ट मे शादियां ! 

विवाह सफल हो न हो परंतु उसका समारोह सफल होना आवश्यक है



हम बात करेंगे शादी समारोहो में होने वाली भारी-भरकम व्यवस्थाओं और उसमें खर्च होने वाले अथाह धन राशि के दुरुपयोग की!


सामाजिक भवन अब उपयोग में नहीं लाए जाते हे

शादी समारोह हेतु यह सब बेकार हो चुके हैं

कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियां होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है!

अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट या Destination weddings के रूप में शादीया होने लगी है

क्यों होने लगी है? 

क्योंकि फिल्मों में ऐसी शादियां होती है।

तो फिल्मी शादीयों की चमक दमक की नकल तो करनी पड़ेगी। 

विवाह सफल हो न हो परंतु नकल सफल होनी आवश्यक है

शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है

आगंतुक और मेहमान सीधे वही आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं।

इतनी दूर होने वाले समारोह में जिनके पास अपने चार पहिया वाहन होते हैं वहीं पहुंच पाते हैं!

और सच मानिए समारोह के मेजबान की दिली इच्छा भी यही होती है कि सिर्फ कार वाले मेहमान ही रिसेप्शन हॉल में आए!!

और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है 

दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है


किसको सिर्फ लेडीस संगीत में बुलाना है !

किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है !

किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है !

और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है!!

इस आमंत्रण में अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है!


सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है!!

महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं!

मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे हैं!

हल्दी लगाने के लिए भी एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं!

ब्यूटी पार्लर को दो-तीन दिन के लिए बुक कर दिया जाता है !

प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरते हैं जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है!!

क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए हैं!

मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है!

रस्म अदायगी पर मोबाइलो से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते हैं !

सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते हैं!

और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है !

कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं

परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता !

वे अपना अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते हैं!!


विवाह समारोह के मुख्य स्वागत द्वार पर नव दंपत्ति के विवाह पूर्व आलिंगन वाली तस्वीरें, हमारी विकृत हो चुकी संस्कृति पर सीधा तमाचा मारते हुए दिखती हैं!


अंदर एंट्री गेट पर आदम कद स्क्रीन पर नव दंपति के विवाह पूर्व आउटडोर शूटिंग के दौरान फिल्माए गए फिल्मी तर्ज पर गीत संगीत और नृत्य चल रहे होते हैं!

आशीर्वाद समारोह तो कहीं से भी नहीं लगते है

पूरा परिवार प्रसन्न होता है अपने बच्चों के इन करतूतों पर पास में लगा मंच जहां नव दंपत्ति लाइव गल - बहियाँ करते हुए मदमस्त दोस्तों और मित्रों के साथ अपने परिवार से मिले संस्कारों का प्रदर्शन करते हुए दिखते हैं!


मंच पर वर-वधू के नाम का बैनर लगा हुआ होता है!

अब वर वधू के नाम के आगे कहीं भी चि० और सौ०का० नहीं लिखा जाताक्योंकि अब इन शब्दों का कोई सम्मान बचा ही नहीं

इसलिए अंग्रेजी में लिखे जाने लगे है


हमारी संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा एसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है


मेरा अपने मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है 

आपका पैसा है , आपने कमाया है,

आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं,

पर किसी दूसरे की देखा देखी नही!

कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान सम्मान को खत्म मत करिएगा!

जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा

4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है !

और आप कितना ही बेहतर करें 

लोग जब तक रिसेप्शन हॉल में है तब तक आप की तारीफ करेंगे!

और लिफाफा दे कर आपके द्वारा की गई आव भगत की कीमत अदा करके निकल जाएंगे!

मेरा युवा वर्ग से भी अनुरोध है कि 

अपने परिवार की हैसियत से ज्यादा खर्चा करने के लिए अपने परिजनों को मजबूर न करें!


आपके इस महत्वपूर्ण दिन के लिए 

आपके माता-पिता ने कितने समर्पण किए हैं यह आपको खुद माता-पिता बनने के उपरांत ही पता लगेगा!


दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए!


अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !   


विचार जनहित में प्रेषित

Gaudhuli.com




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