किसका है महत्व, स्वाद या स्वास्थ्य का?
किसका है महत्व, स्वाद या स्वास्थ्य का?
वैसे इस प्रश्न का उत्तर है कि महत्व तो दोनो का है। जो भोजन केवल स्वाद दे और स्वास्थ्य न दे वह तो हानि करेगा है परंतु जो भोजन केवल स्वास्थ्य दे और स्वाद न दे वह भी कम हानिकारक नही। पहले बाहर जाकर हम घर जैसा खाना ढूंढते थे परंतु अब घर में बाहर जैसा खाना बनाकर खाने लगे है।
इन दिनों युवाओं में स्वाद प्रधानता वाला जंक फूड या फास्ट फूड की मांग बढ़ गई है। वे पिज्जा, 'वर्गर, मोमोस और हनी चिली पोटेटो जैसे खाद्य पदार्थ खूब पसंद कर रहे हैं। इनको खाने के बाद पेट खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। ज्यादा समय तक फास्ट फूड का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इस कारण धन हानि तो होती ही है, साथ में जन हानि भी सामने आती है।
अक्सर देखने में आता है कि किसी बच्चे या बड़े का जन्म दिवस या कोई खुशी का मौका हो तो बच्चे रेस्त्रां की तरफ भागते हैं। अधिकतर युवाओं ने पेटीज, चिट्ठी चाउमीन और वर्गर जैसे आहार के साथ फेसबुक, व्हॉट्सएप पर स्टेटस लगा रखा है। हमें समझना होगा कि बड़े-बड़े रोगों का जनक फास्ट फूड ही है। चूंकि इस तरह के खाने को एक ही तेल में बार- बार फ्राई किया जाता है, जो काफी नुकसानदायक है।
रोड की खुदाई या वाहनों के कारण उड़ती धूल इनमें लिपट जाने के कारण ये खाना पौष्टिक नहीं रहता। इस तरह के खाने में नमक, मिठास की मात्रा अधिक होने के कारण ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। ऐसे भोजन का • सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। और हार्ट अटैक का कारण भी बन जाता है। इस तरह का भोजन हाई कैलोरी वाला होता है, जिसमें पोषक तत्व कम होते हैं। फास्ट फूड खाने से मोटापा बढ़ता है। यह भोजन स्वादिष्ट तो होता है, लेकिन मानसिक रूप से अस्वस्थ बनाता है। खाद्य विशेषज्ञों के अनुसार, फास्ट फूड में ऐसे केमिकल मिले होते हैं, जो बच्चों में वजन बढ़ाने, भूख कम करने और चिड़चिड़ापन जैसे कारणों को बढ़ाते हैं। विशेषकर कोल्ड ड्रिंक्स, जिनमें कैफीन, पेस्टिसाइड, फास्फोरिक एसिड तथा लैड(सीसा) होता है, जो कि तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इसके लिए विशेषकर घर की महिलाओं को छोटे बच्चों के लिए दलिया, खिचड़ी, साबुत अनाज और मोटा अनाज से निर्मित घर के भोजन का ही सेवन कराना चाहिए। इसके साथ ही देसी गाय का दूध, दही, लस्सी, घी, मक्खन और शिकंजी जैसे पेय पदार्थों को उपयोग में लाना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ रहें। पौष्टिक खानपान से ही हम निरोगी रह सकते हैं।
परंतु कठिनाई यह है कि आज यदि हम बाहर खाना खाकर घर में भी शुद्ध खाद्य पदार्थ प्रयोग करने का प्रयत्न करें तो हमें स्वदेशी विचारधारा के भी केवल लाभ कमाने की भावना वाले लोगो द्वारा मिलावटी सामान ही मिलता है।
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