हिमालय की कामधेनु बद्री गाय का सर्वश्रेष्ठ हस्त निर्मित घी

 

हिमालय की कामधेनु बद्री गाय का सर्वश्रेष्ठ हस्त निर्मित घी

 


हिमालय की कामधेनु बद्री गाय का सर्वश्रेष्ठ हस्त निर्मित घी / 

प्रति माह सीमित मात्रा में उपलब्ध है 

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 गोधूली परिवार द्वारा कुछ गोभक्तो को तैयार कर इस घी के निर्माण हेतु नियुक्त किया गया है


जिसका उद्देश्य है की उन्हें घी का अच्छा मूल्य देकर सभी को प्रेरणा देकर उनके घर में विलुप्त होने वाली बद्री गाय फिर से बंधवाना।

यह घी वैदिक विधि से बिलौना पद्धति से बनवाया जा रहा है

हिमालय की कामधेनु ,पहाड़ की बद्री गाय।

जिस गाय को कम फायदे की बता कर लोगो ने अपने घरों से निकाल दिया आज उसी गाय की उपयोगिता आज सरकार के साथ साथ देश विदेश के लोग भी मान रहे हैं।

पहाड़ की बद्री गाय | पहाड़ी गाय

पहाड़ की बद्री गाय केवल पहाड़ी जिलों में पाई जाती है।इसे “पहाड़ी गाय”के नाम से भी जाना जाता है।ये छोटे कद की गाय होती है।छोटे कद की होने के कारण ये पहाड़ो में आसानी से विचरण कर सकती है।


इनका रंग भूरा,लाल,सफेद,कला होता है। इस गाय के कान छोटे से माध्यम आकर के होते हैं।इनकी गर्दन छोटी और पतली होती है।

बद्री गायों का औसत दुग्ध उत्पादन 1.2से 2 लीटर तक होता है।  इनका दूध उत्पादन समय लगभग 275 दिन का होता है।

दूध कम होता है परन्तु 01 लीटर में गुण 10 लीटर के बराबर होता है।

इसका स्वाद सामान्य घी से थोड़ा अलग परन्तु स्वादिष्ट होता है जिसमे पकावट अधिक होने के कारण रंग भी थोड़ा भिन्न होता है।  

इनका मुख्य आहार पहाड़ों की घास,जड़ी बूटियां है। इन्हीं जड़ी बूटियों के कारण इनके दूध और मूत्र में औषधीय गुण होते हैं। इनका दूध, दही, घी विटामिन से भरपूर होता है।

बद्री गाय का घी –

पहाड़ी क्षेत्रों में जड़ी बूटियां खाने वाली यह पहाड़ी गाय, दूध से लेकर मूत्र तक औषधीय गुणों से सम्पन्न है। विशेष कर पहाड़ी गाय का घी बहुत लाभदायक होता है।

इसकी देश विदेशों में भी अब बहुत मांग है।

पहाड़ की बद्री गाय के घी के लाभ :

  • गाय का भोजन पहाड़ो में विचरण करते हुए जड़ी बूटियां होने के कारण,इनका घी स्वतः ही लाभदायक बन जाता है।
  • इस घी को विलोना विधि से बनाया जाता है, इसलिए इसके औषधीय गुण खत्म नहीं होते हैं।
  • बद्री गाय का घी रोग प्रतरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काफी लाभदायक होता है। और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • यह पाचन के लिए अच्छा है। पित्त और वात को शांत करता है।
  • हड्डियां मजबूत करता है, तथा जोड़ो के दर्द से राहत मिलती है।
  • त्वचा और आंखों के लिए अच्छा होता है।
  • पहाड़ी गाय का घी कॉलेस्ट्रॉल कम करता है।
  • यह घी एंटीऑक्सीडेंट,प्रजनन क्षमता और बाल विकास मे सहायक होता है।

 

घी निकालने कि वैदिक बिलोना विधि:

बिलोना विधि भारत की पारम्परिक घी निकालने की विधि है जो इस प्रकार है

  • सर्वप्रथम दूध को हल्की आंच में कई घंटो तक पकने देते हैं। लकड़ी के चूल्हा और उसी गाय के उपले इस कार्य के लिए सर्वोत्तम है
  • फिर दूध को हल्का ठंडा होने के बाद, पारम्परिक लकड़ी के बर्तनों में दही जमाने रख देते है।
  • दही ज़माने के लिए प्रयुक्त जामन या खट्टा एक हज़ार दिनों के जो दही ज़माने की क्रम से चला आ रहा है उसी का प्रयोग किया जाता है
  • दही प्राकृतिक रूप से जमनी चाहिए, तभी घी में पौष्टिकता रहती है।
  • तत्पश्चात दही को ब्रह्म मुहूर्त में हस्त चलित मथनी या बिलौने से मथ कर मक्खन अलग कर लेते है।
  • उस मक्खन को उसी दिन हल्की आंच में गरम करके उसमें से घी निकाल लेते हैं।
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