Real से Reel में Short(s) होते जीवन - ये पल भर का तमाशा है।
ये पल भर का तमाशा है
क्या आप भी सोशल मीडिया के जरिये प्रसिद्ध होने का सपना देख रही हैं? दुनिया में अपनी पहचान बनाने के लिए मशहूर होने का ख्वाब देखना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन इसके लिए खतरनाक कदम उठाना पूरी तरह गलत है। कहीं आप भी तो इसकी लत का शिकार नहीं हो रही हैं?
वह पूरे दिन सिर्फ रोल बनाती रहती है और घर पर कोई ध्यान ही नहीं देती। सारा दिन अजीबोगरीब कपड़े पहनकर सुबह से ही वीडियो बनाने में लग जाती है। न किसी से मिलती और न ही किसी से बात करती। यहां तक कि मुझसे भी बात नहीं करती है और कुछ कह दो तो लड़ने लगती है। अब हमने कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी है। यह है इंदौर में रह रहे एक दंपति की कहानी। दंपति के पास बेशुमार दौलत है, दोनों पढ़े- लिखे परिवार से हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर फेम यानी ख्याति पाने की चाहत और अपनों से बढ़ती दूरी से आज उनका घर टूटने के कगार पर है।
इंदौर का ही एक और केस सामने आया, जिसमें एक छात्र ने रोल बनाने के चक्कर में फांसी लगा ली। ऐसा ही एक अन्य केस सामने आया, जहां एक ब्रमिक परिवार की बह रोल बनाने के लिए फांसी का सौन शूट कर रही थी, लेकिन उसी दौरान उसके पैरों के नीचे रखी ईंट फिसल गई और वह अपनी जान गंवा बैठी। ये तो केवल कुछ ही घटनाएं हैं, यदि हम सिर्फ इंदौर की ही बात करें तो परिवार न्यायालय में घरेलू कलह के आठ हजार केस लॉबित हैं, जिनमें से 40 फीसदी केस इसी तरह के है।
होड़ या नकल, ये ऐसे शब्द हैं, जिनको सुनकर दुनिया का लगभग हर व्यक्ति नाक सिकोड़ लेता है और 'मैं तो कभी किसी से होड़ नहीं करता', इसी बात का दावा करता है। इसके विपरीत जाने कितने ही ऐसे लोग हैं, जो होड़ करने की वजह से खुद को और अपने घर को बर्बाद कर चुके है। कभी अपने अभीर सर्कल में जगह बनाने के लिए जेब से अधिक खर्च करना, कभी जल्दी बॉडी बनाने के चक्कर में नशीली दवा का सेवन करना तो कहीं दूसरे को दिखाने के लिए बच्चों को क्षमता से अधिक महंगे स्कूल में पढ़ाना। ये सब ऐसी आम आदतें हैं, जिनको हम खुद समझ नहीं पाते और झूठी शान की होड़ की खातिर रेस में शामिल हो जाते हैं। दरअसल, जुनून और होड़ में एक बारीक-सा अंतर है, जिसे बहुत से लोग समझ नहीं पाते और दिखावे के फेर में अपना सुकून खो बैठते हैं। लेकिन आज के समय में सबसे प्रचलित होड़ है रील बनाने और फेमस होने की। यह होड़ आज के समय में लगभग हर बच्चे, युवा, यहां तक कि बुजुर्ग के अंदर भी घर कर चुकी है।
इसके पीछे इन लोगों का यह तर्क होता है कि अगर अमुक व्यक्ति यह कर सकता/सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते। यही कारण है कि आज फेम पाने और जल्दी फेमस होने के चक्कर में लोग कुछ भी करने को तैयार हैं। अगर उनमें कोई हुनर नहीं होता तो अश्लील कंटेंट बनाकर डाल देते हैं। लड़कियां बेवजह सोशल मीडिया पर अभद्र कपड़े पहनकर डालने लगती हैं। अब तो लोगों का यह रुझान ट्रेंड बनकर फैल चुका है और लोग अपनी निजी चीजों को भी साझा करने लगे हैं। खास बात यह है कि इसमें किसी को भी रोक-टोक बर्दाश्त नहीं है।
■ भारत में 8 करोड़ कंटेंट क्रिएटर एक उद्यम पूंजी फर्म के अध्ययन के हिसाब से भारत में करीब 8 करोड़ लोग प्रोफेशनल कंटेंट क्रिएटर हैं। मतलब यही उनका कॅरिअर है। मगर वास्तव में केवल 1.5 लाख लोग ही इससे कमाई कर पा रहे हैं। 8 करोड़ में 1 प्रतिशत से भी कम लोग ऐसे हैं, जिनके 10 लाख से ज्यादा फोलोवर हैं। आपको याद हो कि कोरोना काल के दौरान टिक टॉक एप से रील बनने का चलन शुरू हुआ था, जिस पर बाद में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
इसके बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे मोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स चलन में आए और धीरे-धीरे लोगों की आदत बनने लगे।
2017 में नौकरी छोड़ी, 2023 में वायरल एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का कहना है कि उनका उद्देश्य यही था। इसलिए उन्होंने 2017 में रिस्क लेते हुए नौकरी से इस्तीफा दे दिया। यह पॉडकास्ट के द्वारा अपना नाम बनाना चाहते थे। इसकी प्रैक्टिस के लिए उन्होंने छोटे-छोटे शॉट्स बनाने शुरू किए, मगर कुछ खास नहीं हुआ। लेकिन उन्होंने इसके लिए अपनी पहले से ही एक स्ट्रेटजी चना रखी थी और उम्मीद नहीं छोड़ी। ऐसे में उन्होंने कॉमेडी, सिंगिंग जैसी अलग-अलग बहुत तरह की चीजें आजमाई, मगर मंजिल नहीं मिली। फिर इतने सालों की कड़ी मेहनत के बाद सितंबर 2023 में उनकी पहली रोल, जो कि रिश्ते के ऊपर थी, वह वायरल हुई। आज उनके इंस्टाग्राम पर 23 हजार फॉलोअर्स हैं। "मुझे इतने सालों का समय जरूर लगा, लेकिन मेरा हौसला इसलिए भी नहीं टूटा क्योंकि हर रोल से मुझे 4-5 फॉलोअर्स जरूर मिल जाते थे।" इतने सालों की मेहनत के बाद अब उन्होंने इसके लिए मेहनत और बढ़ा दी है। "अक्सर लोग एक रील के वायरल होते ही बहुत खुश हो जाते हैं और उसे ही बार-बार देखते रहते हैं। जबकि हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि हमारी वह रील अगर वायरल हुई तो क्यों हुई। सोशल मीडिया हो या कोई भी फील्ड, वह एक स्ट्रेटजी और स्थिरता की मांग करता है। मैंने वायरल होने के बाद एक बार के अलावा अपनी वह रील नहीं देखी। बस काम कर रहा हूं। इस काम के लिए मैंने खुद का स्टूडियो बनाया है। साथ ही कमाई के लिए साइड में अपना गिफ्ट आर्ट का बिजनेस भी कर रहा हूँ। उसमें भी लोगों के जो मेरे प्रोडक्ट के लिए रिव्यू आते हैं, उन्हें में मैं शेयर करता हूँ।"
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■ पहले दिन से पैसा चाहते हैं युवा मार्केटिंग एक्सपर्ट, लेखक और यूट्यूबर नवीन चौधरी कहते हैं, "आजकल के ज्यादातर युवाओं को न तो कंटेंट पता है, न ही वह जिस मोडियम पर जाना चाहते हैं, उसकी कोई रिसर्च करते हैं। बस एक दिन उठते है और सोचते हैं, अब हम रोल बनाएंगे और पैसा कमाएंगे। इसके लिए यह लोग कुछ भी नवीन चौधरी बनाने लगते हैं। फिर जब देखते हैं कि फेमस नहीं हो पा रहे, तो डर्टी ट्रिक्स अपनाने लगते हैं। मगर ऐसा करने पर भी जरूरी नहीं कि उन्हें कुछ हासिल हो। दूसरो बात मैं कई ऐसे लोगों को भी जानता हूं, जिनके एक वीडियो पर लाखों व्यू आ जाते हैं, तो वे सोचने लगते हैं कि हम तो सेट हो गए और अपनी नौकरी छोड़ देते हैं। फिर दूसरे बीडियो उतने चलते नहीं हैं, तब डिप्रेशन में चले जाते हैं। मेरे खुद यूट्यूब चैनल पर किसी वीडियो के 70 हजार ब्यू हैं तो किसी पर बस 20। मैंने इस चैनल को पूरी प्लानिंग के साथ शुरू किया है। मेरी फेसबुक पर बहुत अच्छी रीच है और मैं मार्केटिंग फील्ड से हूं, तब भी मेरे चैनल को सेट होने में 1.5 साल लगे और अभी भी मैं इसके भरोसे बैठने का सोच नहीं सकता।"
■140 बिलियन से अधिक रील जहां एक ओर फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी साइट्स ने क्रांति ला दी है, यहीं इनका एक काला सच यह भी है कि ये लोगों को अपना आदी बनाकर उनका समय भी बर्बाद कर रही है। खुद हमको ही पता नहीं चलता है कि हमने कितना समय केवल रील्स देखने में बर्बाद कर दिया। कितने ही लोगों ने कुछ लोगों के फेम को देखकर अपनी नौकरी तक छोड़ दी और रोल्स से पैसा कमाने में लग गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि आंकड़ों के अनुसार एक दिन में फेसबुक, इंस्टाग्राम पर 140 बिलियन से ज्यादा रौल चलती हैं। इनमें से कुछ ही रील वायरल हो पाती हैं।
सबसे ज्यादा मामले मोबाइल की लत के
मेरे पास दिन में अगर 10 केस आते है तो उसमें 3 मामले मोबाइल की लत के होते हैं। जिसमें 13 साल से 18 साल तक के बच्चों को गेम की लत होती है। यह लत उन पर इस हद तक हावी होती है कि यदि मा-बाप उन्हें टोक दें या फोन ले लें तो बच्चे बहुत आक्रामक हो जाते है। इसके अलावा 18 से 24 वर्ष के युवाओं के मामले रोल शॉटुर्स से जुड़े होते हैं। इसमें रील बनाने और देखने वाले दोनी शामिल हैं। चूंकि रील शॉर्ट्स का समय 30 सेकह से 60 सेकंड तक का ही होता है, तो ऐसे में उनकी किसी भी काम को करने की सीमा भी इतनी ही बंध गई है। वे लगातार एक साथ बहुत देर तक पढ़ाई या जॉब में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। ऐसे में जब परिणाम अच्छे नहीं होते तो यह डिप्रेशन में चले जाते हैं। मेरे पास कोर्ट से कपल्स के भी बहुत केस आते हैं। उनमें सबसे ज्यादा मनमुटाव का कारण एक- दूसरे को समय नहीं देना होता है। इसमें साथ रहकर भी मोबाइल पर अधिक समय बिताना झगड़े का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए फोन से उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है। - डॉ. नेहा
मेरे पास दिन में अगर 10 केस आते है तो उसमें 3 मामले मोबाइल की लत के होते हैं। जिसमें 13 साल से 18 साल तक के बच्चों को गेम की लत होती है। यह लत उन पर इस हद तक हावी होती है कि यदि मा-बाप उन्हें टोक दें या फोन ले लें तो बच्चे बहुत आक्रामक हो जाते है। इसके अलावा 18 से 24 वर्ष के युवाओं के मामले रोल शॉटुर्स से जुड़े होते हैं। इसमें रील बनाने और देखने वाले दोनी शामिल हैं। चूंकि रील शॉर्ट्स का समय 30 सेकह से 60 सेकंड तक का ही होता है, तो ऐसे में उनकी किसी भी काम को करने की सीमा भी इतनी ही बंध गई है। वे लगातार एक साथ बहुत देर तक पढ़ाई या जॉब में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। ऐसे में जब परिणाम अच्छे नहीं होते तो यह डिप्रेशन में चले जाते हैं। मेरे पास कोर्ट से कपल्स के भी बहुत केस आते हैं। उनमें सबसे ज्यादा मनमुटाव का कारण एक- दूसरे को समय नहीं देना होता है। इसमें साथ रहकर भी मोबाइल पर अधिक समय बिताना झगड़े का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए फोन से उचित दूरी बनाए रखना जरूरी है। - डॉ. नेहा
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एक साल बाद शुरू हुई थी अर्निंग
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वैष्णवी बताती है, "2021 में अस्सिटेंट डायरेक्ट की जॉब के साथ खुद को फ्रेश रखने के लिए मैंने वीडियो बनाना शुरू किया था। उस समय चूंकि रील नई आई थी, तो मेरे 20 हजार फॉलोअर्स होने के बाद 3-4 महीने बाद कमाई शुरू हुई। करीब एक साल बाद जब मेरे 1.5 लाख फॉलोअर्स हो गए और महीने के अच्छे पैसे आने लगे तो मैंने अपनी जॉब छोड़ दी। इस समय मेरी महीने की औसत कमाई 50 हजार है। अब मैंने अपना यूट्यूब चैनल भी बना लिया है।" वैष्णवी आगे बताती है, "मैंने अपनी शुरुआत फैशन रील बनाने से की थी। इसे बनाने में करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है, क्योंकि पहले उसके लिए तैयार होना पड़ता है, फिर शूट करना होता है और आखिर में एडिट करना और म्यूजिक डालना होता है। यह सभी चीजें बहुत समय लेती है।"
एक साल बाद शुरू हुई थी अर्निंग
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वैष्णवी बताती है, "2021 में अस्सिटेंट डायरेक्ट की जॉब के साथ खुद को फ्रेश रखने के लिए मैंने वीडियो बनाना शुरू किया था। उस समय चूंकि रील नई आई थी, तो मेरे 20 हजार फॉलोअर्स होने के बाद 3-4 महीने बाद कमाई शुरू हुई। करीब एक साल बाद जब मेरे 1.5 लाख फॉलोअर्स हो गए और महीने के अच्छे पैसे आने लगे तो मैंने अपनी जॉब छोड़ दी। इस समय मेरी महीने की औसत कमाई 50 हजार है। अब मैंने अपना यूट्यूब चैनल भी बना लिया है।" वैष्णवी आगे बताती है, "मैंने अपनी शुरुआत फैशन रील बनाने से की थी। इसे बनाने में करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है, क्योंकि पहले उसके लिए तैयार होना पड़ता है, फिर शूट करना होता है और आखिर में एडिट करना और म्यूजिक डालना होता है। यह सभी चीजें बहुत समय लेती है।"
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