करवा चौथ से अनजाने में कम तो नहीं हो रही पति की आयु? जानिए नियम



कुछ दिन पहले मैने फेसबुक में यह प्रश्न डाला था कि 

किसी को पता हो तो बताएं कि कुछ महिलाएं करवा चौथ में सूर्योदय से पहले कुछ खाने की रस्म 

जिसे सरगी भी कहते है करती है और कुछ बिना भोजन और जल के करवाचौथ करती है 

इन दोनों में क्या कोई अंतर है?

********

2011 से पहले मेरी माँ जब कहती थी कि करवा चौथ पर हमारे गांव की महिलाएं सूर्योदय से पहले कुछ खाकर दिन में करवा चौथ रखती थी।

तब अज्ञानतावश सोचता था कि दिन भर बिना अन्ना जल न रहना पड़े इसके लिए गांव की महिलाओं ने कुछ अपनी मर्जी से नियम बना लिया होगा।

परन्तु स्त्री धर्म पद्धति पुस्तक के प्रमाणित ज्ञान के अध्ययन के पश्चात जानकारी मिली कि प्रातः काल कुछ खाने के नियम जिसे सरगी भी कहा जाता है इसमें गहरा प्राचीन विज्ञान है। 

गांव की महिलाएं इस नियम का पालन करती है भले ही विज्ञान न पता हो परंतु आज फिल्मों को देखकर त्योहार, विवाह आदि दिखावा के और बाजारीकरण को बढ़ाने हेतु करने लगे है

तो इसे ध्यान से समझिए

पराशर स्मृति के अनुसार (अध्याय 4, श्लोक 17)

पत्यौ जीवति या नार्युपोष्यव्रतमाचरेत् आयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत् ॥ १७ ॥

अर्थात यदि कोई महिला अपने पति के जीवित रहते कोई व्रत करती है जिसमें उपवास सम्मिलित है। तो वह फलस्वरूप अपने पति की आयु को कम करती है एवं मृत्यु उपरांत नर्क में जाने की अधिकारी होती है

महिलाओं को करवाचौथ या किसी भी उपवास पर बिना जल एवं अन्न के उपवास से पति की आयु कम होगी अतः करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले कुछ पौष्टिक खा लेना चाहिए एवं अन्य उपवास में फलाहार या गो दुग्ध का सेवन करने का नियम बनाए। बिना अन्न जल के महिला के शरीर में प्राण ऊर्जा की कमी हो जाएगी एवं प्राण ऊर्जा की इस कमी को पत्नी पति से प्राण ऊर्जा खींचकर पूरी करेगी जिसके फलस्वरूप उसकी आयु की कम होगी। 

परन्तु पति यदि किसी कारण से यात्रा पर हैं या दूर है तो पति को आयु की हानि नहीं होगी।

इसका अर्थ है कि पति के द्वारा पत्नी के लिए भावना में आकर रखे जाने वाले काउंटर व्रत को करने से बचना चाहिए। 

इसके स्थान पर दोनों वर्ष भर करवा चौथ मनाएं जिसमें दोनों एक दूसरे को विवाह में दिए गए वचनों को पालन करने का व्रत बनाएं।

इन वचनों के महत्व को जानने हेतु  स्त्री धर्म पद्धति पुस्तक पढ़े जो अभी अंग्रेजी में है और Gaudhuli.com पर उपलब्ध है

या विस्तृत महाभारत या रामायण पढ़े।

प्राण ऊर्जा के बारे में जानकारी नहीं है तो समझ लीजिए कि जब हम किसी को मृत बताते है तो कहते है कि उसके प्राण निकल गए। यह वही प्राण ऊर्जा है जो हमें जीवित रखते है एवं ऋषियों द्वारा प्राचीन काल से हमारी दैनिक दिनचर्या के नियम इसी प्राण ऊर्जा को हमारे शरीर के अनुसार घटाने एवं बढ़ाने के अनुसार बनाए गए है। 


इस पोस्ट में लिखी जानकारी से मन में प्रश्न एवं संदेह उत्पन्न होंगे तो अपरिपक्व टिप्पणी करने से अधिक उचित है कि सकारात्मक प्रश्न करें और स्वाध्याय करें।



जानकारी स्त्रोत - 

स्त्री धर्म पद्धति पुस्तक

Virendersingh.in

Comments

Popular posts from this blog

प्यास लगी थी गजब की…मगर पानी मे जहर था…

त्रिफला कल्प: जानिए 12 वर्ष तक लगातार असली त्रिफला खाने के लाभ!

डेटॉक्स के लिए गुरु-चेला और अकेला को कैसे प्रयोग करें (संस्करण -1.1)/ How to use Guru Chela and Akela for Detox - (Version - 1.1) - with English Translation